चंद्र ग्रह के कुंडली में द्वितीय भाव में होने से बहुत से परिणाम देखने को मिलते हैं। क्युकी चन्द्र को मन का कारक कहा जाता है। और कुंडली के द्वितीय भाव यानी ‘धन’ के भाव में चंद्र का स्थान होने से जातक आर्थिक स्थिति पर प्रभाव होता है।
ज्योतिष में, हम सभी की जन्म कुंडली में, 12 भाव (घर) होते हैं। हमारे जीवन में इनमें से प्रत्येक भाव की अपनी अलग भूमिका होती है। अगर हम सबकी जन्म कुंडली में नौ ग्रहों की स्थिति एक समान होती तो हमारा स्वभाव भी एक समान होता। लेकिन इस विषय में ज्योतिष के अनुसार, हर कुंडली अलग होती है और इसका कारण होता है नवग्रहों की विशेष स्थिति जो हमारे स्वभाव और भविष्य को निर्धारित करती है। जब ग्रह इन भावों में स्थित होते हैं तो हमें शुभ व अशुभ दोनों तरह से प्रभावित करते हैं। इसलिए, इस लेख के माध्यम से हमने आपकी कुंडली के, द्वितीय भाव में चंद्र ग्रह के कुछ अच्छे और बुरे प्रभावों के बारे में बताने का प्रयास किया है-
द्वितीय भाव में चंद्र ग्रह( Moon in 2nd house)
- महत्व
वैदिक ज्योतिष में द्वितीय भाव को धन संपदा और भौतिक संपत्ति का कारक बताया है। यह भाव जातक के सांसारिक और बढ़ती अवस्था का बोध कराता है। ज्योतिषियों ने जन्म कुंडली में इस द्वितीय भाव को ‘धन’ भाव की संज्ञा दी है। अर्थात इस भाव से जातक की जन्म कुंडली में भौतिक सुखों और सांसारिक अवस्थाओं के विभिन्न चरणों की गणना की जाती है। इस श्रंखला को आगे बढ़ाते हुए अब हम द्वितीय भाव में चद्र के प्रभाव के बारे में विस्तार पूर्वक बात करते हैं-
यदि आपकी जन्म कुंडली में चंद्रमा, द्वितीय भाव विराजित हैं तो। ऐसे जातक मधुरभाषी, सुंदर, और शांति प्रिय स्वभाव के होते हैं। इस भाव में चन्द्र का स्थान होना अति लाभकारी और शुभकारी होता है। जातक के पास अत्यधिक धन-संपदा एकत्र होती है। चंद्र के प्रभाव से ऐसा जातक अच्छे गायक या कवि हो सकते हैं। अथवा इन क्षेत्रों में रुचि रखने वाले भी हो सकते हैं।
द्वितीय भाव में चंद्र ग्रह
- प्रभाव
चूँकि, कुंडली का द्वितीय भाव का संबंध धन-संपत्ति से होता है। और चंद्र के इस भाव में होने से आपकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। लेकिन आपको उसमें कुछ उतार चढ़ाव भी देखने को मिल सकते हैं।
- कुंडली के द्वितीय भाव में चंद्र ग्रह के साथ, अन्य ग्रहों की स्थिति से भी कई प्रभाव होते हैं। यदि चंद्रमा किसी दूषित ग्रह के प्रभाव में है, तो आपको वित्तीय समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
- इसके साथ ही यदि चंद्रमा को किसी शुभ ग्रह के साथ है तो; यह आपकी आर्थिक स्थिति मजबूत करने में सहायक सिद्ध होगा।
- द्वितीय भाव में स्थित चंद्र ग्रह से आपको अधिकांश मामलों में लाभ प्राप्त होगा।
- ऐसे जातक का परिवार बडा और खुशहाल होता है। आपकी आमदनी भी अच्छी होगी और साथ ही आप धन, अर्जित भी कर पाएंगे।
- चंद्र के इस भाव में होने से आप अनेकों लोगों को रोजगार देने में सक्षम हो सकते हैं। और स्त्रियों का आपके, धन संग्रह में अच्छा योगदान रहेगा।
- चंद्र का आपके द्वितीय भाव में होने से आप उत्तम व उच्च शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं। और आप पढे लिखे व उदार व्यक्तित्व को अपनाएंगे।
- चंद्रमा आपकी जन्मतिथि के अनुसार आपके जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके शुभ प्रभाव से आपका चेहरा न सिर्फ आकर्षक और मोहक होता है, बल्कि आपके व्यक्तित्व को भी अधिक चमकता है। चंद्र की शुभ विभूति आपकी भावनाओं और विषय वासनाओं को प्रभावित करती है जो आपकी रुचि के अनुसार हो सकती है।
- आप एक प्रतिष्ठित और सम्मानित व्यक्ति होंगे। और आप स्वादिष्ट भोजन के शौकीन होंगे।
- चंद्रमा के अशुभ प्रभाव से आपको आंखों से सम्बंधित कोई परेशानी हो सकती भी है।
- आपकी संतान विदेश यात्रा करेंगे और ये अलग-अलग व्यवसाय करने में रुचि ले सकते हैं।
निष्कर्ष
अंततः यहां हम कह सकते हैं कि, कुंडली के द्वितीय भाव में चंद्र के होने से जातक व्यक्ति के आर्थिक रूप से मजबूत होने की अधिक संभावनाएं होती हैं। और साथ ही ऐसे जातक समझदार और जिम्मेदार भी होते हैं। लेकिन किसी वस्तु या व्यक्ति विशेष से आपका अधिक लगाव, आपको भावनात्मक रूप से परेशान कर सकता है।
यदि आपके जीवन में भी चल रही है कोई आर्थिक समस्या? तो समाधान हमारे ज्योतिषियों के पास है।
ज्योतिष शास्त्र में चंद्र ग्रह को महत्व दिया जाता है। हालांकि खगोलीय दृष्टि में चंद्रमा को पृथ्वी ग्रह का एक प्राकृतिक उपग्रह माना जाता है। ज्योतिष के अनुसार, इसके द्वारा व्यक्ति की चंद्र राशि ज्ञात की जाती है। हमारी जन्म कुंडली में स्थित 12 भावों में चंद्र ग्रह, अलग-अलग रूप से प्रभाव डालते है। उन प्रभावों को के बारे में आप इस लेख में विस्तृत रूप से जान सकते हैं।
द्वितीय भाव में चंद्र ग्रह से सम्बंधित- सामान्यप्रश्न- FAQ
Q- चंद्र ग्रह के द्वितीय भाव में होने से क्या प्रभाव होता हैं?
An- द्वितीय भाव में चंद्र के होने से जातक व्यक्ति के आर्थिक रूप से मजबूत होने की अधिक संभावनाएं होती हैं। और साथ ही ऐसे जातक समझदार और जिम्मेदार भी होते हैं।
Q- कुंडली में द्वितीय भाव किसका कारक होता है?
An- कुंडली में द्वितीय भाव धन का कारक होता है। जातक के पास कितनी धन-संपत्ति और भौतिक सुख-सुविधाएं होगी, वह दूसरे भाव में ही पता लगाया जा सकता है।
Q- क्या, चंद्र ग्रह द्वितीय भाव में शुभ होता है?
An- द्वितीय भाव में चन्द्र के साथ यदि कोई क्रूर ग्रह का स्थान ना हो, तो जातक को शुभ फल प्राप्त होते हैं।
Q- चंद्र ग्रह के द्वितीय भाव में होने से जातक का स्वभाव कैसा होता है?
An- द्वितीय भाव में चंद्र से प्रभावित जातक, मधुरभाषी, सुंदर, और शांति प्रिय स्वभाव के होते हैं।