अष्टम भाव में बुध: ज्योतिष की गणना के अनुसार, आपकी जन्म कुंडली में अष्टम भाव को ‘आयु भाव’ की संज्ञा दी गई है। इस भाव को कुंडली के सबसे महत्वपूर्ण भावों में से एक माना जाता है। इस भाव में ऋण, मृत्यु, दीर्घायु और अचानक अप्रत्याशित घटनाओं से संबंधित जानकारी प्राप्त की जाती है। अष्टम भाव का स्वामी कारक ग्रह शनि व केतु ग्रह होते हैं। इस भाव में स्थित बुध, जातक को अधिकतम शुभ फल ही देता है। इसलिए ऐसे जातक सामान्यतः प्रसन्नचित्त और स्वाभिमानी व्यक्ति होते हैं। परोपकार करना इन जातकों को अच्छा लगता है। आप अपने गुणों के कारण ही प्रसिद्ध, यशस्वी और कीर्ति प्राप्त करने वाले व्यक्ति साबित होंगे।
अष्टम भाव में बुध ग्रह (Mercury in 8th house)
हमारे ‘मंगल भवन’ के ज्योतिष आचार्य श्री भरत जी ने यहां आपको, बुध के अष्टम भाव यानी ‘आयु भाव’ में होने से क्या शुभ-अशुभ परिणाम प्राप्त होंगे। यह बताने का प्रयास किया है। आशा करते हैं कि आपको इस लेख के माध्यम से आवश्यक जानकारी प्राप्त हो। हम आपको उससे संबंधित कुछ सकारात्मक व नकारात्मक प्रभावों के बारे में बताने जा रहे हैं। यदि आपकी जन्म कुंडली में बुध ग्रह अष्टम भाव में उपस्थित होंगे तो आपके जीवन में भी कुछ इस प्रकार के परिवर्तन देखने को मिलेंगे-
अष्टम भाव में बुध ग्रह
- शुभ प्रभाव
- जिन जातकों की कुंडली के अष्टम भाव में बुध, उच्च राशि व शुभ ग्रहों के साथ विराजित रहते हैं।
तो आपका दिमाग वित्त, चिकित्सा और अन्य विषयों के लिए बहुत ही श्रेष्ठ होता है।
- ऐसे जातक अनुसंधान और जांच के विषय में काफी अच्छा प्रदर्शन करते हैं। आप बहुत अधिकार से बोलेंगे और दूसरे आपकी बात बहुत रुचि से सुनेंगे।
- आप एक मजबूत प्रेरक शक्तियों का आदेश भी देते हैं। उनका सावधानी से उपयोग किया जाना चाहिए। ऐसे जातक का यह मानना होता है कि वे जो कुछ भी अनुभव करते हैं। उसका कोई न कोई उद्देश्य अवश्य होता है।
- बुध के शुभ प्रभाव से आपका दिमाग अत्यधिक मर्मज्ञ होगा। और आप रणनीति विकसित करने के साथ-साथ दूसरों के साथ संप्रेषित करने में भी उत्कृष्ट होंगे।
- अष्टम भाव में बुध के प्रभाव से आप में जिज्ञासु प्रवृत्ति अधिक विकसित हो सकती है। आप सदैव घटना की तह तक जाना चाहते हैं और रहस्यों को सुलझाना चाहते हैं।
- इसके अलावा, वैदिक ज्योतिष में अष्टम भाव में बुध के प्रभाव से आपको जादू-टोना, ज्योतिष, सम्मोहन और तत्वमीमांसा जैसे क्षेत्रों की ओर झुकाव हो सकता है।
- अशुभ प्रभाव
अब बात करते हैं, कुंडली के अष्टम भाव में बुध के वक्री होने से क्या-क्या परिवर्तन होते हैं-
- इस प्रभाव के दौरान जातक जादू-टोना और मन की उच्च अवस्थाओं में उलझे होने के कारण इनका रवैया उन्हें सही दिशा में नहीं जाने देता है।
- इसके अलावा आपको वसीयत लिखने और श्मशान स्थल जैसे- अंतिम संस्कार के घरों, आपराधिक जांच आदि जैसी चीजों से जुड़ना पड़ सकता है। जातक की स्वयं की मृत्यु, श्वसन विफलता या यात्रा के कारण हो सकती है।
- अष्टम भाव में बुध के प्रभाव से इन जातक को समझने में लोगों को बहुत कठिनाई हो सकती है।
- ऐसे लोग अपनी बातचीत में बहुत अप्रत्याशित होते हैं। दूसरे लोग शायद यह भी नहीं समझ पाते कि वे क्या कहना चाहते हैं। बहुत से लोगों को यह पेचीदा लगता है।
- इस भाव का मुख्य रूप से जिस एक क्षेत्र में पहरा होता है, वह है आपकी भावनाएं। इस कारण आपकी रवैये के कारण उनकी शादी भी खतरे में पड़ सकती है।
- इन जातकों का साथी अक्सर यह सोच में रह जाता है कि उनके दिमाग में क्या चल रहा है। इससे पार्टनर असुरक्षित महसूस कर सकता है। ऐसे में आपको समय-समय पर अपने साथी को अपनी भावनाओं को समझने का प्रयास व मौका देना चाहिए। यह आपके सभी करीबी रिश्तों को मजबूत रखने में मदद करेगा।
- अष्टम भाव में बुध ग्रह का करियर व स्वास्थ्य पर प्रभाव
इस भाव में बुध के शुभ प्रभाव से आप अनुसंधान व जांच के विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े व्यवसायों के लिए बहुत उपयुक्त होंगे। आप जासूस या विभिन्न खुफिया एजेंसियों में शामिल भी हो सकते हैं। इस भाव में बुध वाले जातकों को अपने लाभ के लिए योजनाओं और विचारों को संप्रेषित करने की अपनी क्षमता का उचित उपयोग करना चाहिए। यदि बुध आपके अष्टम भाव में नीच राशि के साथ है तो आपके स्वास्थ्य पर प्रभाव हो सकता है।
निष्कर्ष
इस प्रकार अष्टम भाव में बुध वाले जातक अपने दृष्टिकोण तथा विश्लेषणात्मक रूप से खोजी स्वभाव के होते हैं। हालांकि, आपको उन लोगों के लिए अधिक खुला होना चाहिए जो आपके सबसे अधिक करीब हैं।
तभी आप दूसरों के साथ एकीकृत हो पाएंगे और एक पूर्ण जीवन जी पाएंगे। इसके अलावा यदि आपको कोई समस्या से ग्रस्त है तो अष्टम भाव में बुध के उपाय करके उन समस्याओं का समाधान किया जा सकता है।
ज्योतिष के अनुसार, बुध ग्रह, हमारी जन्म कुंडली में स्थित सभी 12 भावों पर अलग-अलग प्रकार से प्रभाव डालता है। ये प्रभाव हमारे जीवन को प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करते हैं। इसके अतिरिक्त बुध को एक तटस्थ ग्रह के रूप में भी संदर्भित किया गया है। परंतु अन्य ग्रहों से शुभ व अशुभ युति के कारण उसके फलों में भी परिवर्तन की संभावना देखने को मिलती है। आइए आगे के लेख में विस्तार से जानते हैं, बुध ग्रह का अन्य सभी भावों पर किस तरह का प्रभाव पड़ता है –
Must Read: कुंडली के अन्य भाव में बुध ग्रह के प्रभाव
कुछ सवाल तथा उनके जवाब – FAQ
Q- कुंडली में अष्टम भाव के स्वामी ग्रह कौन से हैं?
An- कुंडली में अष्टम भाव के स्वामी ग्रह शनि व केतु ग्रह हैं।
Q- अष्टम भाव में बुध से क्या प्रभाव पड़ता है?
An- अष्टम भाव में बुध के प्रभाव से जातक प्रसन्नचित्त और स्वाभिमानी व्यक्ति होते हैं।
Q- कुंडली का अष्टम भाव क्या दर्शाता है?
An- कुंडली का अष्टम भाव में ऋण, मृत्यु, दीर्घायु और अचानक अप्रत्याशित घटनाओं से संबंधित जानकारी प्राप्त की जाती है।
Q- क्या, कुंडली के अष्टम भाव में बुध, जातक के वैवाहिक जीवन को प्रभावित करते हैं?
An- हां, अष्टम भाव में बुध के प्रभाव से जातक के वैवाहिक जीवन में कुछ समस्याएं आ सकती हैं।
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