सप्तम भाव में बुध ग्रह: कुंडली में स्थित सप्तम भाव जातक के वैवाहिक जीवन व लाइफ पार्टनर से संबंधित विषयों का बोध कराता है। इस भाव के माध्यम से जातक के नैतिक व अनैतिक रिश्तों के बारे में भी ज्ञान प्राप्त किया जाता है। शास्त्रों में मनुष्य के जीवन के चार पुरुषार्थ- धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष हैं। इनमें से ‘काम’ का संबंध कुंडली के इस सप्तम भाव से होता है। इसके साथ ही बुध से यह ज्ञात किया जाता है कि जातक की सामान्य लोगों के साथ संवाद शैली आकर्षक होगी। इस भाव में बुध के प्रभाव से जातक अच्छे वैभव व पराक्रम व विनोदी स्वभाव के होते हैं। बुध के शुभ ग्रहों के साथ होने से, उसे साझेदारी एवं व्यापार में लाभ प्राप्त होता है। सप्तम भाव के स्वामी कारक ग्रह, शुक्र व बुध ग्रह हैं।
बुध ग्रह सप्तम भाव में (Mercury in 7th house)
‘मंगल भवन’ के ज्योतिष आचार्य श्री भरत जी ने यहां हमें बताया है कि, बुध के सप्तम भाव यानी साझेदारी के भाव में बुध के होने से आपको क्या शुभ-अशुभ परिणाम प्राप्त होंगे। यहाँ हम आपको उससे संबंधित कुछ सकारात्मक व नकारात्मक प्रभावों के बारे में बताने जा रहे हैं। यदि आपकी जन्म कुंडली में बुध ग्रह सप्तम भाव में उपस्थित होंगे तो आपके जीवन में भी कुछ इस प्रकार के परिवर्तन देखने को मिलेंगे-
बुध ग्रह सप्तम भाव में
- शुभ प्रभाव
ज्योतिष के अनुसार, बुध यदि किसी जातक की कुंडली में सप्तम भाव में विराजमान हैं तो; यह विशेषकर शुभ फल ही प्रदान करेंगे।
- इस भाव में स्थित बुध के कारण आपको धन तो प्राप्त होता ही है; इसके साथ ही आप आकर्षक, बुद्धिमान व रूपवान भी होंगे। इसलिए आपका जीवन साथी भी सुन्दर व रूपवान होगा। साथ ही आपके जीवन साथी भी धन-संपदा से अत्यंत धनी होगे।
- आपके जीवन में मित्रों में स्त्रियों की संख्या अधिक होती है। बुध के प्रभाव से आप देखने में सुन्दर, कुलीन और शिष्ट दिखाई देते हैं। आपका स्वभाव उदार और धार्मिक होता है।
- इसके अलावा आप दीर्घायु, मधुरभाषी तथा सुशील भी होंगे। बुध के शुभ प्रभावों से आप शिल्पकला में चतुर व विनोदी होने के साथ-साथ काम की कला में भी निपुण होंगे।
- सप्तम भाव में शुभ ग्रहों के साथ बुध ग्रह की युति से आप एक कुशल व्यवसायी हो सकते हैं। ज्योतिष के अनुसार आप किसी भी वस्तु की बिक्री व खरीदी पर लाभ कमा सकते हैं। लेकिन आप अपने व्यापार में साझेदार व्यक्ति पर विश्वास नहीं करेंगे।
- ऐसे जातक की ट्रिक व टेक्निक की समझ अच्छी होती है। ये जातक अपने व्यापारिक गुणों के कारण, व्यापार में अधिक सफलता प्राप्त करते हैं।
- सप्तम भाव चतुर्थ भाव का भावत भाव होता है। इसलिए जातक उत्तम शिक्षा अर्जित करता है।
बुध ग्रह सप्तम भाव में
- अशुभ प्रभाव
- वैदिक ज्योतिष की गणना में, ऐसे जातक अपने रिश्ते में रहने के लिए तरसते हैं। क्योंकि इनके पास अपने विचार व्यक्त करने के लिए बहुत कुछ होता है।
- यदि बुध इस भाव में नीच स्थान का हो तो; इन जातकों का सामान्यतः एक बड़ा सामाजिक दायरा भी नहीं होता है। फिर भी वे अपने से प्रिय के बिना अकेलापन महसूस करते हैं। जो उनके घरेलू जीवन को समृद्ध रूप प्रदान करता है। कभी-कभी वे इस स्थिति से मायूस भी महसूस करते हैं।
- इन जातकों को उनके अपने जीवन के प्रति निर्णय लेने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है। क्योंकि जब भावनाओं की बात आती है तो अक्सर इन्हें कोई सटीक उत्तर नहीं मिलने के कारण आसानी से किसी निर्णय पर भी नहीं पहुंच पाते।
- यदि इन जातकों का अपने निर्णय के प्रति कोई स्थायित्व नहीं होता है; तो यह उनके लिए किसी दुसरे के प्रति वचनबद्ध होना लगभग असंभव होता है।
- यह पूर्णतया सत्य है कि; इस भाव में तुला राशि उनकी सत्तारूढ़ राशि होती है। इससे दूसरे के लिए उनके साथ गंभीर संबंध बनाना कठिन होता है।
- सप्तम भाव में बुध का स्वास्थ्य, करियर व वैवाहिक जीवन पर प्रभाव
बुध के इस भाव में स्थित होने से उसकी पूर्ण दृष्टि लग्न पर पडती है। जिससे शुभ फल से जातक अच्छे संपादक या लेखक का कार्य में लाभ प्राप्त करते हैं। चूँकि यह भाव लग्न राशि से सम्बंधित होता है अतः जातक का स्वास्थ्य सामान्य रहता है। साझेदारी का यह भाव है, अतः जातक का वैवाहिक जीवन भी अच्छा होता है।
निष्कर्ष
सप्तम भाव में बुध की स्थिति से जातक में दयालुता, ईमानदारी व संस्कारी गुण का संचार होता है। इसके साथ इनमें अपने रिश्तों के लिए पोषण व साझेदारी का भी गुण होता है। इनका भाव एकता को संजोए रखने वाला होता है। वे अपने अच्छे पलों, भावनाओं व खुशी को साझा करने में माहिर होते हैं। इनके रिश्ते कई सालों के बाद भी तरों-ताजा ही रहते है। ये सदैव अपने जीवन साथी के प्रति एक समान प्रेम की भावना रखते हैं।
ज्योतिष के अनुसार, बुध ग्रह, हमारी जन्म कुंडली में स्थित सभी 12 भावों पर अलग-अलग प्रकार से प्रभाव डालता है। ये प्रभाव हमारे जीवन को प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करते हैं। इसके अतिरिक्त बुध को एक तटस्थ ग्रह के रूप में भी संदर्भित किया गया है। परंतु अन्य ग्रहों से शुभ व अशुभ युति के कारण उसके फलों में भी परिवर्तन की संभावना देखने को मिलती है। आइए आगे के लेख में विस्तार से जानते हैं, बुध ग्रह का अन्य सभी भावों पर किस तरह का प्रभाव पड़ता है –
Must Read: कुंडली के अन्य भाव में बुध ग्रह के प्रभाव
कुछ सवाल तथा उनके जवाब – FAQ
Q- सप्तम भाव के कारक ग्रह कौन-कौन से हैं?
An- सप्तम भाव के कारक ग्रह शुक्र तथा बुध हैं।
Q- सप्तम भाव में बुध ग्रह क्या फल प्रदान करते हैं?
An- सप्तम भाव में बुध ग्रह जातक सामान्यतया शुभ फल ही प्रदान करते हैं।
Q- सप्तम भाव कुंडली में किसका प्रतीक होता है?
An- सप्तम भाव कुंडली में साझेदारी अर्थात विवाह से सम्बन्धित होता है।
Q- सप्तम भाव में कौन सा ग्रह उच्च व नीच स्थान पर में क्या होता है?
An- सप्तम भाव में शनि उच्च व सूर्य नीच स्थान का होता है।