षष्टम भाव में बुध ग्रह : ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जन्म कुंडली के षष्टम भाव को ‘शत्रु भाव’ की संज्ञा दी गई है। जातक की कुंडली के अन्य भावों के समान ही यह भाव भी महत्वपूर्ण एवं अद्वितीय है। आमतौर पर इस भाव का संबंध जातक के स्वास्थ्य और कल्याण से होता है। इसी कारण से इस भाव को ‘रोग स्थान’ भी कहा जाता है। स्वस्थ मन एवं स्वस्थ शरीर के अलावा इस भाव का संबंध जातक की दैनिक क्रियाकलापों व दिनचर्या से होता है। इस प्रकार इस भाव में बुध शुभ-अशुभ स्थिति के अनुसार जातक को मिलाजुला फल प्रदान करता है। इसके प्रभाव में जातक विद्वान,विनोदी तो होता ही है; परन्तु साथ ही विवाद प्रिय व चरित्रहीन भी होता है। इस भाव का स्वामी कारक ग्रह केतु व मंगल ग्रह होते हैं।
बुध ग्रह षष्टम भाव में (Mercury in 6th house)
‘मंगल भवन’ के ज्योतिष आचार्य श्री भरत जी ने यहां हमें बताया है कि, बुध के षष्टम भाव में होने से यह आपको शुभ-अशुभ अर्थात मिश्रित परिणाम देगा। यहाँ हम आपको उससे संबंधित कुछ सकारात्मक व नकारात्मक प्रभावों के बारे में बताने जा रहें हैं। यदि आपकी जन्म कुंडली में बुध ग्रह षष्टम भाव में उपस्थित होंगे तो आपके जीवन में भी कुछ इस प्रकार के परिवर्तन देखने को मिलेंगे-
बुध ग्रह षष्टम भाव में
- शुभ प्रभाव
यदि किसी भी जातक की जन्म कुंडली में बुध कुंडली के छठे भाव में विराजमान हों तो उसके जीवन में उसे मिश्रित फल प्राप्त होते हैं।
- चूँकि षष्टम भाव, शत्रु का भाव होता है अतः आपको गुप्त शत्रुओं भय रहेगा। परन्तु ये शत्रु पढ़े लिखे व सहकर्मी ही होते हैं।
- इसके साथ ही आपको जीवनपर्यंत कोर्ट-कचहरी के मामलों में भी चक्कर लगाने पड़ सकते हैं। कई बार इस भाव में बुध के प्रभाव से देखा गया है कि जातक के करियर में काफी उतार-चढ़ाव भी बना रहता है।
- यदि इस भाव में बुध मिथुन या कन्या राशि में हों तो इन समस्याओं में कुछ हद तक कमी आ सकती है। जातक विदेश में रहने का का भी आनंद प्राप्त कर सकते हैं।
- इसके साथ ही षष्टम भाव में स्थित बुध उत्तम स्थिति में हो तब जातक की मानसिक शक्ति अच्छी होती है।
- अन्य सभी भावों के समान ही कुंडली में यह षष्टम भाव भी अत्यंत महत्वपूर्ण व अद्वितीय स्थान रखता है। इस भाव के माध्यम से आप किसी भी व्यक्ति या कोई अन्य इकाई हेतु भविष्य को समझने में मदद करता है।
- इस भाव में प्रबल ग्रहों की स्थिति के आधार पर जातक को कई परिणामों से होकर गुजरना होता है। इस भाव से आपके डर तथा आप इससे कैसे निपटते हैं; के बारे में भी पता लगाया जा सकता है।
- अशुभ प्रभाव
- इस भाव को रोग का भाव भी कहा जाता है। इसलिए बुध ग्रह जब षष्टम भाव में पीड़ित अवस्था में हो तब जातक अत्यधिक सोचने के कारण मानसिक तनाव से पीड़ित भी रह सकता है। जैसे उत्तेजना पागलपन इत्यादि।
- इस भाव में स्थित बुध जातक को न्यूरोलॉजिकल की समस्या भी देता है। जातक बहुत ज्यादा स्व केंद्रित हो जाता है; जिसके कारण भी कई समस्या का सामना करना पड़ सकता है।
- इस स्थिति में जातक को भावनात्मक परेशानी से जूझना पड़ता है; क्योंकि वह अपनी भावनाओं पर कंट्रोल नहीं कर पता है।
- जातक को स्किन से संबंधित समस्या या रोग हो सकता है।
- महज जातक का बोल-चाल या कम्युनिकेशन स्टाइल थोड़ा रुखा या तेज हो सकता है। उसके इस मिसबिहेव या रुखे बोलने के कारण वह झगड़ालू प्रवृत्ति का व्यक्ति भी माना जा सकता है।
- ऐसे जातक दूसरों का अपमान करने वाले व्यक्ति होते हैं। इसके साथ जातक एक क्रिटिसाइजर या आलोचक भी हो सकता है।
- षष्टम भाव में बुध ग्रह का स्वास्थ्य तथा करियर पर प्रभाव
षष्टम भाव में स्थित बुध जातक को उत्तम मानसिक की क्षमता प्रदान करता है। इसलिए जातक एक अच्छा वक्ता या अच्छा तर्क करने वाला हो सकता है। षष्टम भाव शत्रु या रोग भाव भी कहा जाता है अतः जातक को स्वास्थ्य संबंधी कुछ समस्याएं आ सकती हैं।
निष्कर्ष
इस प्रकार हम कह सकते हैं कि जन्म कुंडली में षष्टम भाव उस रिश्ते को भी संदर्भित करता है; जिसे आप अपने घरेलू सहायकों, सहकर्मियों तथा अपनी मां के रिश्तेदारों (मामा के रिश्तेदारों) के साथ साझा करते हैं। यह भाव आपके संघर्ष और प्रयासों को भी दर्शाता है। जो आप उन्हें प्रबंधित करने हेतु करते हैं। ज्योतिष के अनुसार वास्तव में जो शैतानी विचार आपके मन में आते हैं वे इस षष्टम भाव प्रभाव से ही आते हैं। यह भाव आत्म-अनुशासन व निस्वार्थ सेवा आदि को भी प्रदर्शित करता है। रोजगार, श्रम कानून तथा मानव संसाधन के प्रबंधन से जुड़े मामले सभी कुछ इस भाव के दायरे में सम्मिलित हैं।
ज्योतिष के अनुसार, बुध ग्रह, हमारी जन्म कुंडली में स्थित सभी 12 भावों पर अलग-अलग प्रकार से प्रभाव डालता है। ये प्रभाव हमारे जीवन को प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करते हैं। इसके अतिरिक्त बुध को एक तटस्थ ग्रह के रूप में भी संदर्भित किया गया है। परंतु अन्य ग्रहों से शुभ व अशुभ युति के कारण उसके फलों में भी परिवर्तन की संभावना देखने को मिलती है। आइए आगे के लेख में विस्तार से जानते हैं, बुध ग्रह का अन्य सभी भावों पर किस तरह का प्रभाव पड़ता है –
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कुछ सवाल तथा उनके जवाब – FAQ
Q- कुंडली के षष्टम भाव का स्वामी कौन है?
An- कुंडली में षष्टम भाव का स्वामी केतु व मंगल ग्रह है।
Q- षष्टम भाव में बुध कैसा परिणाम प्रदान करते हैं?
An- षष्टम भाव में बुध जातक को मिला-जुला (शुभ व अशुभ) परिणाम प्रदान करते हैं।
Q- षष्टम भाव किसका कारक ग्रह होता है?
An- षष्टम भाव शत्रु व रोग का कारक भाव माना जाता है।
Q- क्या, षष्टम भाव में बुध के प्रभाव से जातक को समस्याओं का सामना ही करना पड़ता है?
An- षष्टम भाव में जातक को सामान्यतः समस्याओं से जूझना पड़ता है।