तृतीय भाव में बुध ग्रह: वैदिक ज्योतिष के अनुसार कुंडली का तृतीय भाव जातक के साहस-पराक्रम, संवाद शैली, छोटे भाई-बहनों के साथ संबंधों के लिए संदर्भित है। हम जातक के किसी भी कार्य को करने के तरीका को इस भाव के माध्यम से ज्ञात कर सकते हैं। जातक के पराक्रम का प्रतीक इस भाव में बुध ग्रह की अपनी अलग भूमिका होती है-
तृतीय भाव में बुध ग्रह (Mercury in 3rd house)
‘मंगल भवन’ के ज्योतिष आचार्य श्री भरत जी ने यहां हमें बुध के कुछ इस भाव में स्थित होने से आपको क्या शुभ और अशुभ परिणाम मिलेंगे यह बताया है। इस प्रकार जातक के जीवन में कुछ सकारात्मक व नकारात्मक परिवर्तनों बारे में भी हमें यहां इस लेख के माध्यम से पता चल सकता है। यदि आपकी जन्म कुंडली में बुध ग्रह तृतीय भाव में उपस्थित होंगे तो आपके जीवन में भी जो कुछ इस प्रकार के परिवर्तन देखने को मिलेंगे-
तृतीय भाव में बुध ग्रह: शुभ प्रभाव
ज्योतिष के अनुसार, कुंडली के तृतीय भाव में बुध ग्रह के विराजित होने से जातक, पढ़ने, बोलने, विचार -विमर्श, दैनिक समाचार, करंट अफेयर के क्षेत्रों में रूचि प्रदान करते है। ऐसे जातक नयी चीजें सीखने तथा उन्हे दूसरों के साथ साझा करने में अधिक सक्षम होते है। तृतीय भाव में बुध के होने से जातक में वाचाल होने का गुण आता है। ये जातक सामाजिक तौर से मिलनसार होते है। कुंडली के इस भाव में बुध जातक हेतु शिक्षा एवं व्यापार से संबंधित छोटी-छोटी यात्राओं से योग बनाते हैं। ऐसे जातक अपने जीवन की सभी छोटी बड़ी समस्याओं को बखूबी हल करने में सक्षम होते है।
बुध के प्रभाव से ये जातक एक समय में कई कार्यों को करने की क्षमता रखने वाले होते हैं। ये जातक एक समय में कई विषयों की शिक्षा भी ग्रहण कर सकते हैं। बुध ग्रह जन्म कुंडली के तृतीय भाव के कारक ग्रह भी हैं। जो की संवाद से संबंधित क्षेत्रों को प्रदर्शित करते हैं। इसी के साथ छोटी यात्राएं तथा लेखन कार्य से संबंधित क्षेत्रों में भी बुध का गहरा संबंध होता है। कुंडली का तृतीय भाव में जातक बुध के प्रभाव से अपने मन की बातें आसानी से दूसरों तक पहुंचाने में सामर्थ्यवान होते हैं। वे जातक अपनी बुद्धि और विचारों के माध्यम से लाभ तथा आनंद लेने की कला में निपूर्ण होते हैं। ऐसे जातक बेहद सतर्क और मेहनती भी होते है। बुध का कुंडली के तृतीय भाव में स्थित होने से जातकों का अपने से छोटे भाई-बहनों के साथ गहरे रिश्ते को भी दर्शाता है।
तृतीय भाव में बुध ग्रह: अशुभ प्रभाव
ज्योतिष की गणना कहती है कि, जिन जातकों की कुंडली के तृतीय भाव में बुध विराजमान है, तो उनकी व्यस्त दिनचर्या उनकी जिम्मेदारियों पर किसी भी प्रकार से प्रभावित न होने पाएं इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए। यदि ऐसा न कर पाएं तो उन्हे इसके संबंध में किसी से बात कर सलाह अवश्य लेनी चाहिए। उन्हे अपने कुशल संवाद कौशल का उपयोग कर उन लोगों तक अपनी बात पहुंचाने की कोशिश करनी चाहिए; जिससे उनकी सहायता हो सके। कुंडली के इस भाव में बुध जातक को कड़ी मेहनत करने हेतु प्रेरित करते है। अतः लगातार कड़ी मेहनत व मानसिक तनाव से इन जातकों को स्वयं के लिए भी समय निकालना चाहिए। जिससे कि उन्हे थकान महसूस न हो और वे शारीरिक तथा मानसिक रूप से स्वस्थ महसूस कर सकें।
यदि बुध आपके कुंडली में तृतीय भाव में स्थित हैं तो आपको अपने जिज्ञासु स्वभाव का उपयोग कर अपनी नौकरी, परिवार और सामाजिक जीवन में तालमेल रखने का प्रयास अवश्य करना चाहिए। तृतीय भाव में बुध ग्रह से प्रभावित जातक अपने अलग-अलग हितों को साधने हेतु विभिन्न विषयों का ज्ञान रखते हैं।
इनके शोक भी कई प्रकार से होते हैं। अतः ऐसे जातक कभी अपने आप को किसी एक चीज या एक निश्चित गतिविधि में स्थिर नहीं रख पाते हैं। इनके लिए किसी एक विषय में पूर्ण रूप से समर्पित होना असंभव है। वे किसी एक चीज या एक विचार पर अधिक देर तक टिके नहीं रह सकते है। इस कारण से ऐसे जातक किसी भी चीज, परिस्थिति या लोगों के प्रति कुछ ही समय में अपनी राय बना लेते है।
तृतीय भाव में बुध ग्रह: वैवाहिक जीवन तथा करियर
तृतीय भाव में बुध के शुभ प्रभाव से जातक पढ़ने, बोलने, विचार -विमर्श, दैनिक समाचार, करंट अफेयर के क्षेत्रों में आगे बढ़ते हैं। बुध का प्रभाव से इस भाव में होने से जातक का वैवाहिक जीवन भी अत्यंत सुखी व्यतीत होता है।
तृतीय भाव में बुध ग्रह: निष्कर्ष
उपरोक्त बताए गए सभी अच्छे व बुरे प्रभाव को जानते हुए; यह ज्ञात किया गया है कि बुध ग्रह संचार और संवाद के क्षेत्र को प्रभावित करता है। अतः जब बुध कुंडली के तृतीय भाव में हों तो ऐसे जातक को सीखने और जानने की ललक अधिक होती। लेकिन बुध के प्रभावों से; यह अति का गुण जातक को नुकसान भी पहुंचा सकती है। इसके साथ ये जातक संवाद व संचार कौशल में महारत हासिल करते हैं। इन जातकों की सामाजिक व सामुदायिक कार्यों में विशेष रूचि होती है। हालांकि इन जातकों को अपनी सामाजिक तथा निजी जीवन में परस्पर संबंध बैठाने में अनेक समस्याओं का सामना भी करना पड़ सकता है। लगातार नई चीज के बारे में जानने की उनकी प्रबल इक्षा उन्हें किसी भी एक विषय ज्ञाता नहीं होने देती है।
ज्योतिष के अनुसार, बुध ग्रह, हमारी जन्म कुंडली में स्थित सभी 12 भावों पर अलग-अलग प्रकार से प्रभाव डालता है। ये प्रभाव हमारे जीवन को प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करते हैं। इसके अतिरिक्त बुध को एक तटस्थ ग्रह के रूप में भी संदर्भित किया गया है। परंतु अन्य ग्रहों से शुभ व अशुभ युति के कारण उसके फलों में भी परिवर्तन की संभावना देखने को मिलती है। आइए आगे के लेख में विस्तार से जानते हैं, बुध ग्रह का अन्य सभी भावों पर किस तरह का प्रभाव पड़ता है –
Must Read: कुंडली के अन्य भाव में बुध ग्रह के प्रभाव
कुछ सवाल तथा उनके जवाब – FAQ
Q- क्या तृतीय भाव का स्वामी ग्रह बुध ग्रह है?
An- हां, तृतीय भाव का स्वामी ग्रह बुध ग्रह है।
Q- क्या कुंडली के तृतीय भाव में बुध का प्रभाव शुभ माना जाता है?
An- कुंडली के इस भाव में बुध के साथ ग्रहों के युति के माध्यम से शुभ व अशुभ फल प्राप्त होते हैं।
Q- तृतीय भाव में बुध के होने से क्या प्रभाव पड़ता है?
An- तृतीय भाव में बुध के प्रभाव से जातक संवाद, कई विषयों का ज्ञान, तथा लेखन कार्य में निपूर्ण होते हैं।
Q- कुंडली में तृतीय भाव क्या दर्शाता है?
An- कुंडली में तृतीय भाव जातक के साहस-पराक्रम, संवाद शैली, छोटे भाई बहनों के साथ आपके संबंधों को दर्शाता है।