द्वितीय भाव में बुध ग्रह: जन्म कुंडली के द्वितीय भाव को ‘धन’ का भाव माना जाता है। इस भाव में बुध ग्रह के प्रभाव से जातक एक बुद्धिमान, कुशल वक्ता तथा अपनी योजनाओं को साकार रूप देने वाले होते हैं। ऐसा जातक को कहीं से खोया हुआ धन प्राप्त होता है। इनके जीवन में आकस्मिक धन प्राप्ति के प्रबल योग भी होते हैं। इस भाव में बुध के विराजमान होने पर जातक को गीत-संगीत के क्षेत्र में अत्यंत मान-प्रतिष्ठा प्राप्त होती है।
द्वितीय भाव में बुध ग्रह (Mercury in 2nd house)
‘मंगल भवन’ के ज्योतिष आचार्य श्री भरत जी ने यहां हमें बुध के कुछ धन भाव यानी द्वितीय भाव में स्थित होने के आपको शुभ और अशुभ दोनों प्रकार के परिणाम के बारे में बताया है। यह सकारात्मक व नकारात्मक प्रभावों के बारे में हम आपको इस लेख के माध्यम से बताने जा रहें बताया है। यदि आपकी जन्म कुंडली में बुध ग्रह द्वितीय भाव में उपस्थित होंगे तो आपके जीवन में भी जो कुछ इस प्रकार के परिवर्तन देखने को मिलेंगे-
द्वितीय भाव में बुध ग्रह: शुभ प्रभाव
ज्योतिष के अनुसार कुंडली में द्वितीय भाव धन का भाव माना जाता है बुध के इस भाव में स्थित होने के कारण बुध जातक को शुभ और अशुभ दोनों प्रकार के परिणाम प्रदान करेगा। बुध के शुभ प्रभाव में जातक का चेहरा सौम्य व लालिमा लिए हुए होगा। बुध के जातक के द्वितीय भाव में होने से आपकी वाणी भी बड़ी ही सम्मोहक व मधुर होगी। जातक की आंखों अथवा मस्तक पर कोई चिन्ह भी हो सकता है। बुध के प्रभाव से आप एक सुशील तथा सदाचारी व्यक्ति होंगे।
अपने सद्गुण व उदारता के कारण आप लोगों के बीच चर्चा में होंगे। बुध ग्रह को मन के उस पहलू का शासक माना जाता है निर्णय लेने के अंतर में चेतन व अवचेतन विचारों से सम्बन्ध रखती है। इसके साथ ही जातक में जिज्ञासा और विचारशीलता के गुणों का संचार होगा। कुंडली के दुसरे भाव में बुध के प्रभाव से जातक के गुण कई अधिक प्रभावित होते हैं। बुध के व्यापक प्रभाव से जातक यात्रा वित्त तर्क और शिक्षा पर नियंत्रण रखते है। कुंडली के द्वितीय भाव में बुध की मजबूत स्थिति से जातक नयी-नयी जगहों की यात्रा करते हैं। कुंडली के दूसरे भाव पर बुध के विराजित होने से जातक को मौखिक तथा लिखित संचार के माध्यम से अपने विचारों को व्यक्त करने की उत्कृष्ट क्षमता प्राप्त होती है। आप एक साहसी, पराक्रमी व न्यायप्रिय प्रतिभा के व्यक्ति होंगे।
द्वितीय भाव में बुध ग्रह: अशुभ प्रभाव
ज्योतिष के अनुसार जब जातक की जन्म कुंडली में द्वितीय भाव में बुध ग्रह कुछ क्रूर ग्रहों के साथ उपस्थित हो तो इससे जातक के जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। सामान्य तौर पर बुध से प्रभावित जातक कई चीजों को शांति पूर्वक व आराम से करने पर विश्वास रखते है; अतः ऐसे लोग किसी भी विपरीत परिस्थिति में जल्द घबरा जाते है। बुध के प्रभाव से ऐसे जातक अपने कुटुंब स्थान पर प्रतिकूल प्रभाव में बेहद जिद्दी स्वभाव के हो सकते है। कोई उन्हें किसी भी कार्य को करने के लिए प्रेरित या मजबूर नहीं कर सकता; जिस कार्य में उनकी रुचि ना हो। ऐसे जातक तुरंत निर्णय लेने में कई मुश्किलों का सामना करते हैं।
कुंडली के इस भाव में बुध के होने से जातक कोई भी चीज को नियंत्रित करने की कोशिश में लगे रहते हैं। और इसके लिए वें अपनी जी तोड़ मेहनत भी करते है। लेकिन उन्हे इस बात को समझने का प्रयास करना होगा कि हर चीज को नियंत्रित नहीं किया जा सकता। अन्तः में बुध के विपरीत प्रभाव के कारण जातक इस बात को नहीं समझ पाते और हर चीज पर नियंत्रण करने का प्रयास करते है। कुंडली के दूसरे भाव में बुध के प्रतिकूल प्रभाव के कारण जातक को अपने जीवन काल में कुछ गंभीर समस्याओं का सामना भी करना का पड़ सकता है। जिससे वें अपनी निर्धारित की गई योजनाओं को समय पर पूरा नहीं कर पाते। ऐसे जातकों को विनम्र व लचीला होने की आवश्यकता है; अन्यथा वे अपने निर्धारित लक्ष्यों तक नहीं पहुंच पाएंगे।
द्वितीय भाव में बुध ग्रह: वैवाहिक जीवन व करियर
ज्योतिष में, बुध ग्रह का जातक के द्वितीय भाव में होने से आप एक कुशल विचारक या वक्ता बन सकते हैं। किसी सर्व जनित सभा में किया गया आपका सम्भाषण सिंह तुल्य, तेजस्वी एवं प्रभावशाली होगा। ऐसे जातकों की रुचि शास्त्र चर्चा और कविताओं के प्रति भी अधिक हो सकती है। आप परोपकारी तथा दानी प्रवृत्ति के लिए लोगों के बीच प्रशंसनीय होंगे। आपके जीवन काल का छत्तीसवां वर्ष धन लाभ हेतु आपके लिए शुभ रहेगा। आप लेखन, अध्यापन कार्य, मध्यस्थता व लिपिक जैसे कार्यों के माध्यम से अपनी आजीविका कमाएंगे। इसके अलावा आप प्रोफेसर, प्रिन्सिपल और डायरेक्टर जैसे पदों पर भी आसीन होकर अच्छा धन कमा सकते हैं।
ज्योतिष की गणना में बुध ग्रह का द्वितीय भाव में होने से जातक का वैवाहिक जीवन समर्थवान व अच्छा होता है। सामान्य तौर पर उन्हें एक अच्छा लाइफ पार्टनर मिलता है।
द्वितीय भाव में बुध ग्रह : निष्कर्ष
उपरोक्त गुणों के आधार पर जातक की जन्म कुंडली के दूसरे भाव में बुध के होने से जातक संवाद, तथा संचार के क्षेत्र में कार्य करते है। बुध के अनुकूल प्रभाव जातक को वित्तीय प्रबंधन में कुशलता प्रदान करता है। हालांकि उन्हे किसी कार्य को करने के लिए कई बार सोच-विचार करना पड़ता है। अपने अत्यधिक बुद्धिमान और गुणी होने के गुण के कारण ऐसे जातक कभी-कभी अभिमान वश अपने रिश्तों को खराब कर सकते है। ऐसे में उन्हे अपने रिश्तों के प्रति सावधान रहने की आवश्यकता होती है।
ज्योतिष के अनुसार, बुध ग्रह, हमारी जन्म कुंडली में स्थित सभी 12 भावों पर अलग-अलग प्रकार से प्रभाव डालता है। ये प्रभाव हमारे जीवन को प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करते हैं। इसके अतिरिक्त बुध को एक तटस्थ ग्रह के रूप में भी संदर्भित किया गया है। परंतु अन्य ग्रहों से शुभ व अशुभ युति के कारण उसके फलों में भी परिवर्तन की संभावना देखने को मिलती है। आइए आगे के लेख में विस्तार से जानते हैं, बुध ग्रह का अन्य सभी भावों पर किस तरह का प्रभाव पड़ता है –
Must Read: कुंडली के अन्य भाव में बुध ग्रह के प्रभाव
कुछ सवाल तथा उनके जवाब – FAQ
Q- क्या कुंडली में दूसरे भाव में बुध ग्रह शुभ होता है?
An- हां, दूसरे भाव में बुध शुभ ग्रहों के साथ अच्छे परिणाम प्रदान करते हैं।
Q- कुंडली में द्वितीय भाव में बुध के होने से जातक के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है?
An- कुंडली के इस भाव में बुध के होने से जातक में बुद्धि व ज्ञान की प्रबल सम्भावना होती है। इसके अलावा ऐसे जातक एक कुशल वक्ता होते हैं।
Q- कुंडली में द्वितीय भाव का स्वामी ग्रह कौन सा ग्रह है?
An- कुंडली में द्वितीय भाव का स्वामी ग्रह शुक्र ग्रह होता है।
Q- क्या द्वितीय भाव में बुध ग्रह अशुभ फल भी प्रदान करते हैं?
An- हां, यदि इस भाव में बुध ग्रह किसी अशुभ ग्रह के साथ है तो, जातक को अशुभ फल प्रदान करते हैं।