बुध ग्रह द्वादश भाव में: ज्योतिष के अनुसार जन्म कुंडली का द्वादश भाव कुंडली का अंतिम भाव होने से जातक के जीवन का भी अंतिम भाग होता है। प्रथम भाव (लग्न) से गणना करने पर द्वादश भाव सबसे अंतिम भाव है। इसलिए ये एक प्रकार से मानव के जीवन चक्र के अंत को संदर्भित करता है। जिस प्रकार प्रारंभ हुआ, समाप्त भी होता है। उसी प्रकार लग्न जीवनारंभ का सूचक है; तो द्वादश भाव, जीवन की समाप्ति को प्रदर्शित करता है। लग्न (प्रथम भाव) जातक की जीवन शैली है; तो उसकी ऊर्जा का पूर्ण समावेश एवं व्यय, इस द्वादश भाव में निहित है। अत: इस भाव को ‘व्यय का भाव’ भी कहा जाता है।
इस भाव में बुध जातक को समाज में अपमान का भागी बनता है। इसके साथ ही जातक व्यसन तथा अनुत्पादक कार्यों में लिप्त रहता है। द्वादश भाव में कमजोर या पीड़ित बुध के प्रभाव से मानसिक कष्ट भी प्राप्त होता है। वह दूसरों के प्रभाव में सहज ही आ जाता है और दुख भी पाता है। लेकिन उच्च स्थान के बुध से अध्यात्म, गुप्त विद्याओं में रुचि के साथ-साथ अत्यधिक सम्मान भी प्राप्त करता है।
द्वादश भाव में बुध ग्रह (Mercury in 12th house)
हमारे ‘मंगल भवन’ के ज्योतिष आचार्य श्री भरत जी ने यहां आपको, बुध के द्वादश भाव में कैसे शुभ-अशुभ परिणाम प्राप्त होंगे। यह बताने का प्रयास किया है। आशा करते हैं कि आपको इस लेख के माध्यम से आवश्यक जानकारी प्राप्त हो। हम आपको उससे संबंधित कुछ सकारात्मक व नकारात्मक प्रभावों के बारे में बताने जा रहे हैं। यदि आपकी जन्म कुंडली में बुध ग्रह द्वादश भाव में उपस्थित होंगे तो आपका जीवन भी कुछ इस प्रकार प्रभावित होगा-

द्वादश भाव में बुध ग्रह
- शुभ प्रभाव
द्वादश भाव में बुध के प्रभाव से जातक को मिले-जुले परिणाम प्रदान करेगा।
- इस भाव में बुध से प्रभावित, आप बुद्धिमान, विचारशील और विवेकपूर्ण स्वभाव के होंगे।
- धार्मिकता के प्रति आपकी गहरी आस्था होगी। और आप तीर्थ यात्राओं का आनंद लेना पसंद करते हैं। आपको वेदों और शास्त्रों का भी श्रेष्ठ ज्ञान प्राप्त होगा।
- आपका स्वभाव से विनम्र तथा आप अपनी कही हुई बातों को पूरा करने का जी तोड़ प्रयास करते हैं।
- दान-पुण्य करने में भी आपको अधिक श्रद्धा होगी, जरुरत मंदों को वस्त्रों का दान करना पसंद करेंगे।
- आप अपने शत्रुओं पर सदैव विजय प्राप्त करेंगे। और परिवार में अपने भाई बंधुओं को सुखी रखेंगे।
- आप अपने लिए अच्छी संपत्ति जुटा पाएंगे। पद में भी किसी बढ़े स्थान पर प्रतिष्ठित होंगें।
- स्पष्ट बोलने व आपके शब्द मधुर और मृदुभाषी होंगे। अपने काम के प्रति चतुर और अपने पक्ष को जीतने वाले व्यक्ति हैं।
- अशुभ प्रभाव
ग्रहों के उचित युति या स्थान पर न होने से जातक के जीवन में कुछ समस्याएं भी होती हैं। जिसका प्रभाव जातक पर निश्चित रूप से होता है-
- इस भाव में बुध के प्रभाव से जातक स्वभाव से कभी-कभी आलसी, क्रूर, विद्याहीन, कठोर भाषा और दुखी हो सकता है। जातक का चित्त चंचलता पूर्ण होता है। उसे राजदंड का भी भय सताता है।
- यदि सप्तम दृष्टि से द्वादश भाव में बुध की दृष्टि सप्तम स्थान पर होने से जातक को उसके नौकर-चाकर या कार्यकर्ताओं के कारण हानि उठानी पड़ सकती है।
- मित्र/शत्रु राशि स्व, मित्र या उच्च राशि में जातक धनी पर अपव्यय करने वाला होता है। उसे प्रवृत्ति नेता बनने जैसी होती है। शत्रु व नीच राशि में बुध के प्रभाव से जातक को अशुभ फल प्राप्त होते हैं। ऐसे जातक दुखी और अपव्ययी होते है। प्रायः बीमारियों में जातक का धन खर्च होता है।
- परिवार में परिवारजनों से कलह की स्थिति बनी रहती है।
- जातक स्वयं को आरोपों से घिरा हुआ भी महसूस करता है। ऐसे जातक अपने शत्रु का निर्माण स्वयं ही करते हैं। जातक को कई चिंताओं, विद्याओं और अपव्यय से समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

कुंडली से संबंधित किसी भी ज्योतिष परामर्श हेतु आप ‘मंगल भवन’ के वरिष्ट व अनुभवी आचार्यों से जुड़ सकते हैं।
- अंतिम भाव में बुध का करियर पर प्रभाव
ऐसे जातक एक अच्छे वक्ता और पंडित हो सकते हैं। हालांकि आप अपने लाभ को दृष्टिगत रखकर ही कार्य करते हैं फिर भी संयम रखने की की सलाह आपके लिए श्रेष्ठ होगी। अन्यथा आपके स्वभाव में लालच आ सकता है। आपकी अंतः प्रेरणा ही आपको सफलता के मार्ग की ओर अग्रसर करती है।
निष्कर्ष
ज्योतिष की सभी गणनाओं के अनुसार, हमें यह ज्ञात होता है कि, कुंडली में द्वादश भाव जातक के ‘मोक्ष’ का भी प्रतिनिधित्व करता है। जिसका अर्थ है- ‘जन्म और मृत्यु के चक्र से अंतिम मुक्ति’। यह भाव आपके लिए जन्म और पुनर्जन्म के चक्र से, अंत तक मुक्ति के द्वार खोलता है। और आपको परम शांति प्रदान करता है। कुंडली का यह भाव सत्य, ज्ञान और अमरत्व की सर्वोच्चता को भी दर्शाता है।
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कुछ सवाल तथा उनके जवाब – FAQ
Q- कुंडली में बारहवें भाव के स्वामी कारक ग्रह कौन से हैं?
An- कुंडली में बारहवें भाव के स्वामी कारक ग्रह केतु और शुक्र हैं।
Q- कुंडली में बारहवां भाव क्या दर्शाता है?
An- कुंडली में बारहवें भाव में हमारे अवचेतन और छिपे हुए स्वभाव का ज्ञान प्राप्त होता है। वैदिक ज्योतिष में इस भाव को ‘व्यय’ का भाव कहा जाता है। यह हानि, मुक्ति, अलगाव और गिरावट का भाव है।
Q- क्या, बारहवें भाव में बुध जातक के लिए अच्छा फल प्रदान करता है?
An- हां, शुभ ग्रहों के साथ बारहवें भाव में बुध जातक को अच्छा परिणाम देता है।
Q- बारहवें भाव में बुध के होने से जातक का करियर कैसा होता है?
An- बारहवें भाव में बुध के प्रभाव से जातक एक अच्छे वक्ता और पंडित हो सकते हैं।
अति सुन्दर