Mars in 9th House | कुंडली के नौवें भाव में मंगल ग्रह स्थिति होगी सहायक व निर्मित होगी रचनात्मकता

मंगल ग्रह

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कुंडली के नौवें भाव में मंगल ग्रह का स्थान हो तो ऐसा जातक खुले विचारों वाला और अधिक रचनात्मक होता है। ऐसे लोग अपने विचारों को दूसरों के साथ आसानी से साझा करना पसंद करते हैं। परन्तु कुंडली के नौवें भाव में मंगल ग्रह की उपस्थिति के कारण जातक कुछ उतावले स्वभाव के भी होते हैं, लेकिन दूसरी ओर, ऐसे लोग दूसरों के विचारों पर भी खरे उतरते हैं।

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कुंडली के नौवें भाव में मंगल ग्रह : प्रभाव

वैदिक ज्योतिष की गणना के अनुसार, कुंडली के नौवें भाव के माध्यम से जातक के धार्मिक प्रवृत्ति  मानसिक वृत्ति, भाग्योदय, तप व तीर्थ यात्रा, गुरु और दान इत्यादि की जानकारी प्राप्त होती है।
कुंडली के नौवें यानी नवम भाव में मंगल ग्रह की उपस्थिति होने से मंगल की ऊर्जा के प्रभाव से जातक अभिमानी, तेजस्वी और उत्साही बनता हैं और ऐसे जातक की धर्म के प्रति विशेष रूचि व आस्था नही होती।

कुंडली के नौवें भाव में मंगल ग्रह की स्थिति होने से जातक सुधारक प्रवृत्ति का होता है। ऐसे जातक का भाग्योदय विदेश में होने की संभावना रहती है। कुंडली के नौवें भाव में स्थित मंगल ग्रह के प्रभाव से ऐसा जातक राजनीति के क्षेत्र में कुशल होते है। ऐसे जातक को अध्यात्म और धार्मिक कार्यों में विशेष श्रद्धा नहीं होती है। इसके अलावा ऐसे जातक आधुनिक दृष्टिकोण में विश्वास करते हैं।

ज्योतिष शास्त्र की गणना के अनुसार, कुंडली के नौवें भाव में मंगल ग्रह का प्रभाव होने के कारण जातक का स्वयं पर नियंत्रण नहीं रहता क्योंकि ये जातक परंपराओं से हटकर चलना चाहते है। इसके अलावा ये जातक उच्च पद पर अधिकारी के समान रहते है। 

मंगल ग्रह में पृथ्वी तत्व की अधिकता होती है। चूँकि यह ठोस होता है अतः सभी ठोस वस्तु भूमि आदि मंगल ग्रह के कारकत्व में शामिल है। ज्योतिष शास्त्र की गणना में मंगल ग्रह की यह कठोरता, कुंडली के नौवें भाव स्थित जातक के अन्दर भी पाई जाती  है। ऐसे जातक का स्वभाव भी कठोर होता है। कुंडली के नौवें भाव में मंगल ग्रह का शुभ प्रभाव जातक को धनवान व प्रसिद्ध बनाता है। लेकिन नौवें भाव में मंगल ग्रह का अशुभ प्रभाव जातक को कानून और नीति नियमों का उल्लंघन करने के लिए आतुर बनाता है। ऐसे जातक अपने स्वार्थ या मतलब को सिद्ध करने के लिए दूसरों का नुकसान भी कर सकते हैं। 

कुंडली के नौवें भाव में मंगल ग्रह : सप्तम दृष्टि क्व अनुसार फल

ज्योतिष शास्त्र की प्रमुख गणना के अनुसार, कुंडली के नौवें भाव में मंगल ग्रह के स्थित होने से उसकी पूर्ण सप्तम दृष्टि तीसरे भाव पर पड़ती है। जिसके प्रभाव से जातक में पराक्रमी व भाग्यवान होने के गुण आते हैं। किंतु ऐसे जातकों को अपने भाईयों के सुख में कमी मिलती है।

नौवें भाव में मंगल ग्रह : चतुर्थ दृष्टि

ज्योतिष के अनुसार, कुंडली के नौवें भाव में मंगल ग्रह के विराजमान होने से उसकी चतुर्थ दृष्टि कुंडली के बारहवें (व्यय) भाव में पडती है। जिसके परिणाम से प्रभावित जातक का अधिक धन खर्च होता है। ऐसे जातक धन संचय मुश्किल से ही कर पाते है।

नौवें भाव में मंगल ग्रह : अष्टम दृष्टि

कुंडली के नौवें भाव में मंगल गृह की स्थिति होने से उसकी अष्टम दृष्टि चौथे भाव पर पडती है। मंगल की चतुर्थ भाव पर दृष्टि होने से जातक की माता को कष्ट मिलते हैं।

नौवें भाव में मंगल ग्रह का मित्र राशि में प्रभाव

कुंडली के नौवें भाव में मंगल ग्रह अपनी मित्र राशि में स्थित होने से जातक कीर्ति और धन प्राप्त करते है। ऐसा जातक भाग्यशाली माने जाते हैं।

नौवें भाव में मंगल ग्रह का शत्रु राशि में प्रभाव

ज्योतिष के अनुसार, कुंडली के नौवें भाव में मंगल ग्रह अपनी शत्रु राशि में स्थित होने से जातक की धर्म में के प्रति रुचि नहीं होती ऐसे जातक स्वार्थी स्वभाव के होते है।

नौवें भाव में मंगल ग्रह अपनी उच्च राशि मकर में स्थित होने से यह जातक के भाग्य को मजबूत बनाता है जिससे जातक व्यवसाय में उन्नति करता है एवं उसकी धर्म के प्रति आस्था बढ़ती है।

नौवें भाव में मंगल ग्रह अपनी नीच राशि कर्क में स्थित होने से जातक का भाग्य एवं धार्मिक कार्यों में रुचि कम होती है। ऐसे जातक के भाग्योन्नति में कई प्रकार की बाधाएं आती है। जातक संघर्षपूर्ण जीवन व्यतीत करता है।

कुंडली के नौवें भाव में मंगल ग्रह : सकारात्मक प्रभाव

ज्योतिष में नौवें घर में मंगल बताता है कि जातक अपने ज्ञान के भंडार में वृद्धि करते रहते हैं, जो उन्हें जीवन के प्रति ऊर्जावान और उत्साहित रखता है। जीवन के प्रति उनका उत्साह संक्रामक है। लोग इन जातकों के आसपास रहना पसंद करते हैं क्योंकि ये जातक बहुत दिलचस्प होते हैं। वे चाहते हैं कि हर समय कुछ न कुछ दिलचस्प होता रहे। चाहे वह गरमागरम बहस और चर्चा हो या घूमने के लिए किसी नई जगह की खोज करना हो या कहीं अलग जाना हो, उनका दिमाग हर समय लगातार काम करता रहता है। चूंकि वे सामाजिक हैं, वे हमेशा दोस्तों और परिवार के सदस्यों के साथ घूमने जाते रहते हैं।

अपने वैवाहिक साथी के साथ शारीरिक अंतरंगता के मामले में ये काफी चंचल और ऊर्जावान होते हैं। इसके अलावा मंगल की यह स्थिति विदेश यात्रा का भी संकेत देती है। संभावना है कि जातक उच्च शिक्षा प्राप्त करेंगे। बातचीत के मामले में वे ईमानदार और कभी-कभी एकदम स्पष्टवादी होते हैं। लेकिन दूसरों को उनका हास्यबोध और सीधा दृष्टिकोण काफी आकर्षक लगता है। उनकी हार्दिक हंसी आकर्षक है और जीवन के प्रति उनका उत्साह अचूक है। वे मानसिक रूप से बेचैन हो सकते हैं, और कभी-कभी, शारीरिक रूप से भी, क्योंकि वे अन्वेषण और विकास के लिए नए क्षितिज तलाशते हैं।

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ऐसे जातक मज़ेदार, चुलबुले और उत्साही होते हैं। वे गंभीर बातचीत या उबाऊ दिनचर्या में पड़े बिना अच्छा समय बिताना चाहते हैं। वे एक ताकतवर ताकत हैं और उन्हें एक ऐसे साथी की जरूरत होगी जो चुनौती के लिए तैयार हो। वे ऐसे साथी से प्यार करते हैं जो उन्हें हँसाए और जिसके पास जीवन के बारे में कहने के लिए कुछ दिलचस्प हो।

कुंडली के नौवें भाव में मंगल गृह : नकारात्मक प्रभाव

कुंडली के नौवें भाव में मंगल की स्थिति वाले जातक यात्रा और रोमांच के शौकीन होते हैं। हालांकि, इस साहसिक कार्य के साथ एक जोखिम भी जुड़ा हुआ है, जो मंगल ग्रह की लापरवाही से प्रेरित है। जब बात अपने आदर्शों की आती है तो ये जातक काफी कठोर होते हैं, जो कि मंगल के नीच होने पर और भी अधिक संभव है। जिस धर्म और दर्शन को वे जीवन में अपनाते हैं, उस पर जब उंगलियां उठती हैं तो वे विरोध से लड़ने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। उन्हें आत्म-तुष्टि बनने की प्रवृत्ति से बचना चाहिए और सत्य को उजागर करने के उत्साह में दूसरों की राय की उपेक्षा करनी चाहिए। कुछ मामलों में, जातक धर्म या विश्वास के मामलों में अत्यधिक दृष्टिकोण अपना सकते हैं। यहां पर उन्हें चीजों को नियंत्रित करना चाहिए।’ इन जातकों को विचारों का पालन करना चाहिए न कि उनकी पूजा करनी चाहिए।

वैदिक ज्योतिष में नवम भाव में स्थित मंगल के अनुसार, अगर दूसरे लोग उनसे असहमत हों तो जातकों में क्रोधित होने या आहत होने की प्रवृत्ति होती है। उन्हें इस प्रवृत्ति से बचना चाहिए अन्यथा वे अपनी विश्वसनीयता और सम्मान खो देंगे। यहां मंगल की स्थिति यह दर्शाती है कि व्यक्ति को कानूनी मामलों में अत्यधिक सतर्क रहना चाहिए। निर्णय तर्कसंगतता पर आधारित होने चाहिए न कि भावनाओं पर।

नौवें भाव में मंगल का प्रभाव उन्हें बहुत कमजोर बना देता है। चूँकि वे हमेशा चलते रहते हैं, वे कभी-कभी किसी मीटिंग के बारे में भूल जाते हैं या दोस्तों के साथ एक अच्छी तरह से निर्धारित पार्टी से चूक जाते हैं। उनके पास अधिक आयोजन क्षमताएं नहीं हैं क्योंकि उनके पास रुकने और अपने कार्यक्रम को प्राथमिकता देने का समय नहीं है।

इसका मतलब यह भी है कि उन्हें अपने दिमाग में चीजों को सही ढंग से रखने में परेशानी होती है क्योंकि उनके दिमाग में हजारों अलग-अलग विचार घूमते रहते हैं। उन्हें इस ऊर्जा का उपयोग सप्ताह के लिए एक एजेंडा बनाने में करने का प्रयास करना चाहिए।

फ़ोन पर कुछ टाइप करने या कैलेंडर पर लिखने में ज़्यादा समय नहीं लगता। इस तरह, वे अपने सामाजिक दायरे में सभी को खुश रख सकते हैं और इस प्रक्रिया में उन्हें थकान महसूस नहीं होगी। वे ऊर्जा और उत्साह का समान स्तर बनाए रख सकते हैं।

कुंडली के नौवें भाव में मंगल ग्रह : पारिवारिक जीवन पर प्रभाव  

ज्योतिष के अनुसार, कुंडली के नौवें भाव में मंगल ग्रह के विराजमान होने से जातक का पारिवारिक जीवन सामान्य रूप से सुख प्रदायक होता है। इस भाव में मंगल का स्थान होने से पिता को अरिष्ट होता है अर्थात आप अपने पिता के लिए  भारी रहते है।  ऐसे जातक की अपने पिता के साथ किसी न किसी कारण से मत भिन्नता या मनमुटाव बना रहता है। इन जातकों के पिता और छोटे भाई का स्वभाव जातक के लिए कुछ कड़वा या कटु हो सकता है। इसके साथ ही इन जातकों को अपने पिता कुछ फैसलों के कारण मानसिक तनाव महसूस हो सकता है परन्तु इस बात से चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है, क्योकि उनके इस निर्णय में ही आपका अच्छा भविष्य छुपा है।

मंगल ग्रह

इसके अतिरिक्त ज्योतिष की गणना के अनुसार, इन जातकों को अपने जीवन काल में कुछ कानूनी अड़चन का भी सामना करना पड़ सकता है। ऐसे जातकों की दूर की यात्रा सुखद नहीं होगी। जिस जातक की कुंडली के नौवें भाव में मंगल ग्रह का स्थान होता है उसे बड़ा साला तथा जेठ भाई नही होता ऐसा और इन जातकों को अनुज भाई – बहन का सुख मिलता है।

कुंडली के नौवें भाव में मंगल ग्रह : स्वास्थ्य पर प्रभाव 

ज्योतिष की गणना में, कुंडली के नौवें भाव में मंगल ग्रह की उपस्थिति होने से जातक सदा रोगी के समान रहता है उसकी आँखे हाथ व शरीर लाल-पीले रंग के हो सकते हैं। ऐसे जातक को विष तथा आग से कष्ट हो सकता है। साथ ही इन जातकों के पैर में रक्त रोग हो सकता है। किसी दुर्घटना में आँख में चोट लगने से आँख नष्ट भी हो सकता है। इसके अतिरिक्त, जातक त्वचा रोग के भी शिकार भी हो सकते हैं।

कुंडली के नौवें भाव में मंगल ग्रह : आर्थिक स्थिति पर प्रभाव 

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कुंडली के नौवें भाव में मंगल ग्रह जातक की आर्थिक दृष्टि से बहुत कमजोर नहीं होंगे। ऐसे जातक अपने व्यवसाय में सफलता प्राप्त करते हैं परन्तु प्रसिद्धि प्राप्त करने के बाद भी ऐसे जातक अपने आप को सहज महसूस नहीं कर पाते। यदि जातक एक डॉक्टर (चिकित्सक) और मंगल उनके नौवें स्थान में है तो  यह योग बहुत ही शुभ माना जाता है। 

कुंडली के नौवें भाव में मंगल ग्रह : कुछ आसान से ज्योतिष उपाय 

  1. ज्योतिष के अनुसार लाल वस्त्र अथवा रुमाल अपने साथ रखने से  लाभ होगा।
  2. अपने भाई की पत्नी का सम्मान व सहायता करें।
  3. अपने से बड़े भाई की आज्ञा का पालन करें।
  4. यथा शक्ति मंगलवार वाले दिन किसी भी बजरंग बलि के के मंदिर जाकर सिंदूर अर्पित करें।
  5. अपने आचरण को शुद्ध रखें। 

निष्कर्ष:

नौवें घर में मंगल ग्रह के जातक मिलनसार होंगे और यात्रा और अन्वेषण करना पसंद करेंगे। हालांकि, उन्हें अपने दुस्साहस में बहुत सावधान रहना चाहिए। इसके अलावा, उन्हें अपनी मान्यताओं और आस्था को लेकर कम कठोर होने की जरूरत है।

कुंडली के नौवें भाव में मंगल ग्रह से सम्बंधित- सामान्यप्रश्न- FAQ


Q- कुंडली के नौवें भाव में मंगल ग्रह हो तो क्या होता है

An- कुंडली में मंगल अगर नौवें भाव में है तो ऐसा व्यक्ति काफी अभिमानी होता है। क्रोध ज्यादा रहता है और वह व्यक्ति नेता या अधिकारी बनता है।

Q- कुंडली का नौवां भाव किसका होता है?

An- वैदिक ज्योतिष के अनुसार जन्म कुंडली में नौवें भाव जातक के भाग्य को दर्शाता है और इसलिए इसे भाग्य का भाव कहा जाता है। जिस व्यक्ति का नौवां भाव अच्छा होता है वह व्यक्ति भाग्यवान होता है। इसके साथ ही नवम भाव से व्यक्ति के धार्मिक दृष्टिकोण का पता चलता है।

Q- कुंडली के नौवें भाव का स्वामी कौन है?

An- गुरु यानी बृहस्पति कुंडली के नौवें स्थान का स्वामी ग्रह माना जाता है। गुरु का इस स्थान में होना उत्तम माना जाता है। ऐसे व्यक्ति का भाग्योदय 24वें वर्ष में होता है उन्हें भाग्य का साथ हमेशा मिलता रहता है। धन-संपत्ति के साथ ही उन्हें मान-सम्मान भी प्राप्त होता है।

Q- मंगल ग्रह कमजोर होने से क्या होता है?

An- ज्‍योतिष शास्‍त्र के अनुसार अगर किसी जातक का मंगल खराब हो, तो उसे नेत्र रोग की समस्या आए दिन परेशान करती करती रहती है। इसके अलावा उच्‍च रक्‍तचाप, गठिया रोग, फोड़े-फुंसी या फिर गुर्दे में पथरी की समस्या होती है।

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