Mars in 3rd House | कुंडली के तीसरे भाव में मंगल ग्रह करेंगे विचारों की शुद्धता व मानसिक रूप से स्वस्थ

मंगल ग्रह

वैदिक ज्योतिष के अनुसार, कुंडली के तीसरे यानी तृतीय भाव में मंगल ग्रह के प्रभाव से जातक के आत्मविश्वास और ऊर्जा, आक्रमण, संचार और ज्ञान जैसे क्षेत्रों पर प्रभाव डालता है। कुंडली के तीसरे भाव में मंगल ग्रह स्थिति से जातक अपने विचारों की दृष्टि से स्पष्ट और सहजता तो आती ही है साथ ही सहजता की अच्छी क्षमता भी मिलती है। ऐसे जातक मानसिक रूप से अपने विचारों को अन्य लोगो के साथ भी अधिक बेहतर ढंग से व्यक्त कर पाते है।

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ज्योतिष में कुंडली के भावों का महत्व 

ज्योतिष में जन्म कुंडली को बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान दिया जाता है, और वास्तव में यह गलत भी नहीं है। कुंडली के आधार पर ही किसी भी जातक के भविष्यफल की गणना की जा सकती है। ज्योतिष में कुंडली को बारह हिस्सों में विभाजित किया गया है, जिन्हें हम भावों, घर या स्थान की संज्ञा देते है। कुंडली में मौजूद प्रत्येक भाव का अपना एक अलग महत्व और भूमिका होती है। सामान्य शब्दों में कहा जाए तो प्रत्येक भाव काल पुरुष के समान जातक के जन्म से मृत्यु व अंतिम समय मोक्ष तक की सभी परिस्थितियों और घटनाओं का चित्रण इन 12 भावों में ही निहित होता है।

‘मंगल भवन’ के इस लेख में आज हम कुंडली के तीसरे भाव जो कि जातक के पराक्रम का स्थान माना जाता है और इससे, पराक्रम, साहस, दोस्त, लघु प्रवास, संगीत, महत्वपूर्ण परिवर्तन , दलाली और शौर्य जैसे क्षेत्रों का ज्ञान मिलता है। ज्योतिष की गणना के अनुसार, कुंडली के तीसरे भाव में मंगल ग्रह की मौजूदगी से होने वाले अच्छे व बुरे प्रभावों के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे- 

ज्योतिष में : मंगल ग्रह का महत्व 

ज्योतिष में, मंगल ग्रह  जातक के शौर्य, पराक्रम, युद्ध, शत्रु, विरोध, क्रोध, उदारता, युवावस्था, के कारक कहलाते हैं, यदि किसी जातक की जन्म कुंडली में मंगल ग्रह बलवान है, तो ऐसे जातक अनुशासन प्रिय, न्याय पसंद, सहज बुद्धि, दूसरों पर विश्वास करने वाला, दूसरों को दिशा निर्देश देने वाला एवं उनका पालन करने वाले, स्पष्टवादी और मेहनती होते है। कुंडली में मंगल ग्रह के शुभ स्थान पर होने से व्यक्ति दृढ़ संकल्पि एवं महत्वकांशी होते है। इसके अलावा मंगल के अशुभ स्थान पर होने से जातक में उग्र, आक्रामक,हिंसक, उन्मत्तता, अविचारी, नशाखोरी व अनैतिक कार्य को करने वाले होते है। कुंडली के तीसरे भाव में मंगल ग्रह कुछ परिस्थितियों में सकारात्मक तो कुछ पहलुओं में नकारात्मक प्रभाव भी डाल सकते है। 

कुंडली के तीसरे भाव में मंगल ग्रह : अनुकूल प्रभाव व प्रतिकूल प्रभाव 

ज्योतिष की गणना में कुंडली के तीसरे या तृतीय भाव में मंगल ग्रह जातक के आत्मविश्वास और ऊर्जा, शक्ति के क्षेत्रों को प्रभावित करते है। कुंडली के तीसरे भाव में मंगल ग्रह जातक को अपने विचारों के प्रति स्पष्टता और सहजता के साथ व्यक्त करने की ऊर्जा को विकसित करते हैं। साथ ही ऐसे जातक मानसिक रूप से अपने विचारों को बड़ी ही सहजता से दूसरों के समक्ष अधिक बेहतर ढंग से व्यक्त करने की क्षमता भी रखते हैं। इसके साथ ही ऐसे जातक ज्ञानी होने के साथ-साथ कई विषयों के ज्ञाता भी होते है। 

तीसरे भाव में मंगल होने से व्यक्ति अपने विचारों को व्यक्त करते समय साहसी और उग्र हो जाते हैं। कुछ लोग विवादास्पद शब्द का भी प्रयोग कर सकते हैं। आप किसी बहस से पीछे नहीं हटते हैं और अक्सर बहस तब शुरू करते हैं जब आपको लगता है कि आप जो कहना चाह रहे हैं दूसरे लोग उसे समझ नहीं रहे हैं।

लग्न से तीसरे घर में मंगल की स्थिति वाले जातक अपनी राय और मान्यताओं का दृढ़ता से बचाव करेंगे। वे सभी बाधाओं के बावजूद भी दृढ़ता से अपने परिवार का पक्ष लेंगे। तीसरे घर में मंगल की स्थिति यात्रा करने और साहसिक कार्य करने की इच्छा को बढ़ा सकती है। इन जातकों में औसत से अधिक साहस होता है। मंगल ग्रह की ऊर्जा उन्हें लापरवाह बना सकती है। जातक बहुत बड़े जोखिम उठा सकते हैं जो बाद में उनके हितों के लिए हानिकारक हो सकता है। बहुत अधिक दुस्साहस जीवन के लिए खतरनाक हो सकता है। इससे मृत्यु और दुर्घटनाओं की संभावना बढ़ जाती है।

इसके अलावा, उन्हें बिना ध्यान भटकाने जानकारीपूर्ण होना चाहिए। यदि वे ऐसा करते हैं, तो अन्य लोग अधिक आसानी से बातचीत में शामिल होंगे। उन्हें आत्मविश्वासी बनने की कोशिश करनी चाहिए लेकिन दबंग नहीं। तब मूल निवासी अन्य लोगों को बिना किसी समस्या के मेज पर लाएंगे। मंगल की भावुक ऊर्जा उन्हें तब तक हटने नहीं देगी जब तक वे अपनी बात नहीं कह देते। यह जातकों को समस्या-समाधान में प्रभावी बनाता है।

कुंडली के तीसरे भाव में मंगल ग्रह : राशि एवं नक्षत्र पर प्रभाव

ज्योतिष के तीसरे घर में मंगल जातक में जबरदस्त साहस का संकेत देता है लेकिन स्वार्थ के साथ। जिन जातकों के तीसरे घर में मंगल होता है वे एक नेता बनने और हर चीज के प्रभारी होने की इच्छा रखते हैं, और जातक हमेशा अपने परिवार के सदस्यों या भाई-बहनों को निर्देशित या नियंत्रित करना चाहते हैं। यह जातक को एक स्वार्थी नेता या प्रबंधक बनाता है, जैसे स्वार्थी एथलीट, मतलबी प्रबंधक या बॉस, या असभ्य और आक्रामक आधिकारिक व्यक्ति। तीसरे भाव में मंगल के साथ जातक एक एथलीट, आक्रामक विक्रेता, स्व-निर्मित वकील या व्यवसायी व्यक्ति हो सकता है।

चिंतित हैं अपने भविष्य को लेकर? या मिल नहीं रहा हो कोई सटीक सुझाव, तो आज ही ‘मंगल भवन’ के ज्योतिष व शास्त्र विद्या में निपूर्ण आचार्यों से परामर्श कर अपनी चिंता को दूर करें। 

तीसरे भाव में मंगल वाले जातकों को वाद-विवाद करना पसंद होता है। उनका संचार बहुत प्रभावी और प्रभावशाली हो सकता है। उनमें गजब का आत्मविश्वास होता है. इसलिए चाहे उन्हें इसके बारे में पता हो या नहीं, उनके इरादे चाहे जो भी हों, वे अपने विचार में बहुत सशक्त हो सकते हैं। अपनी मानसिक स्थिति के सर्वोत्तम चरण में, तीसरे घर में मंगल ग्रह वाले जातक बहुत उत्साही, हो सकते हैं। उनकी सकारात्मक तरंगे संक्रामक होती हैं और किसी के भी जीवन को सकारात्मक रूप से बदल देते हैं। लोग उनकी सकारात्मकता और आत्मविश्वास से प्रेरित हो सकते हैं।

कुंडली के तीसरे भाव में मंगल ग्रह : मित्र राशि, शत्रु राशि व स्वराशि पर प्रभाव 

मंगल ग्रह : मित्र राशि में प्रभाव 

वैदिक ज्योतिष के अनुसार कुंडली के तीसरे भाव में मंगल ग्रह जब अपनी मित्र राशि में विराजमान होते हैं तो जातक में शौर्य व पराक्रम का विकास होता है।

मंगल ग्रह : शत्रु राशि में प्रभाव

तृतीय भाव में मंगल ग्रह जब अपनी शत्रु राशि में विराजमान होते हैं तो, जातक को अपने भाइयों का सुख प्राप्त नहीं होता और जातक अपने में निहित शक्ति का दुरुपयोग करता है।

मंगल ग्रह : स्वराशि, उच्च व नीच राशि में प्रभाव

तृतीय भाव में विराजित मंगल ग्रह जब अपनी स्वराशि मेष या वृश्चिक में विराजमान होते हैं तो, जातक अपने स्वयं के पराक्रम से सफलता व सब कुछ प्राप्त करता है। तथा ऐसे जातकों का उसके भाई-बहनों से भी सुख प्राप्त होता है।

मंगल ग्रह : उच्च राशि व नीच राशि में प्रभाव 

  1. तीसरे भाव में, मंगल ग्रह जब अपनी उच्च राशि, मकर में विराजमान होते हैं तो जातक के पराक्रम में वृद्धि कर उसकी क्षमता को भी बढाते हैं।
  2. तीसरे भाव में मंगल ग्रह अपनी नीच राशि, कर्क में विराजमान होते हैं तो वें जातक के नीच के प्रभाव से उनके भाई -बहनों के संबंधों पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं। तथा उसके पराक्रम को भी कम करते हैं। ऐसे जातक अपनी शक्ति व बुद्धि का प्रयोग गलत दिशा में कर सकता है।

कुंडली के तीसरे भाव में मंगल ग्रह : पारिवारिक जीवन पर प्रभाव 

ज्योतिष के अनुसार, तीसरे भाव का मंगल ग्रह जातक के पारिवारिक जीवन पर व उसके छोटे भाई के साथ संबंधों में सुख में कमी करता है या फिर ऐसे जातक का छोटा भाई होता ही नहीं है। और यदि छोटा भाई है भी तो उनका जातक के साथ परस्पर संबंध अच्छे नहीं होते हैं। परन्तु ऐसे जातक को छोटे भाई के स्थान पर छोटी बहन का सुख प्राप्त हो सकता है। इसके साथ ही ऐसे जातक आप शारीरिक रूप से स्वस्थ और बुद्धिमान होते हैं लेकिन मंगल ग्रह की कुंडली के तीसरे भाव में मौजूदगी से जातक को कुछ हद तक कठोर या कटुभाषी बना सकती है। ज्योतिष के अनुसार ये जातक थोड़े क्रोधी स्वभाव के होते है परन्तु वें अपने क्रोध पर काबू पाने के लिए हमेशा प्रयतन शील रहते हैं। परन्तु इस प्रयत्न कारी स्थिति को भी तब ही लागू कर पाएँगे जब जातक के तीसरे भाव में मंगल ग्रह शुभ स्थान पर होगा या शुभ ग्रह की दृष्टि में हो। 

मंगल ग्रह

इसके अलावा कभी-कभी ऐसी स्थिति भी हो सकती है कि अन्य व्यक्ति के साथ आप कुछ हिंसात्मक या दुर्व्यवहार भी कर सकते हैं परन्तु ऐसा करना आप के लिए ठीक नहीं है। इसके अलावा इन जातकों के  पिता का स्वभाव बहुत हद तक गुस्सैल और रूखा हो सकता है। 

तीसरे भाव में मंगल ग्रह : स्वास्थ्य पर प्रभाव 

कुंडली के तीसरे भाव तृतीय भाव में मंगल ग्रह विराजमान है तो जातक को आपको गर्दन,या बाजुओं में  समस्या हो सकती है। साथ ही इन जातकों को सर्वाइकल की बीमारी का खतरा भी हो सकता है और यदि मंगल पर किसी अशुभ ग्रह की दृष्टि या प्रभाव है तो जातक को निश्चित रूप से सतर्क रहने की आवश्यकता हैं। 

तीसरे भाव में मंगल ग्रह : वैवाहिक जीवन पर प्रभाव 

तीसरे घर में मंगल विवाह में अच्छे और बुरे दोनों समय देगा। इनके जीवन में अच्छे वैवाहिक जीवन साथी होंगे लेकिन आपका स्वभाव वैवाहिक जीवन में परेशानियां पैदा करेगा। ज्योतिष में जन्मतिथि के आधार पर विवाह की भविष्यवाणी के अनुसार, तीसरा भाव आपको ऐसा साथी देता है जो आपका समर्थन करता है और आपकी सराहना करता है, लेकिन जातक का अति-अधिकारवादी और हावी होने वाला स्वभाव वैवाहिक जीवन में कुछ बड़ी समस्याएं पैदा कर सकता है। वैवाहिक जीवन को सुचारू और शांतिपूर्ण बनाए रखने के लिए आपको अपने व्यवहार पर काम करना चाहिए।

तीसरे भाव में मंगल ग्रह: ज्योतिष उपाय 

  1. मंगलवार की सुबह तांबा, लाल वस्त्र, लाल मूंगा, लाल चंदन पाउडर, गुड़ या मसूर की दाल किसी ब्राह्मण या मंदिर में दान करना चाहिए।
  2. प्रतिदिन हनुमान चालीसा का जाप करें।
  3. मंगलवार के दिन साफ ​​लाल या पीले वस्त्र पहने और ब्रह्मचर्य का पालन करें
  4. प्रतिदिन हनुमान मंदिर में हनुमान आरती का पाठ करें
  5. मंगलवार की सुबह अपनी अनामिका उंगली में लाल मूंगा पहनें।
  6. कुंडली में अशुभ मंगल के उपाय:-
  7. मंदिर में या किसी धार्मिक स्थान पर मिठाइयाँ बाँटें।
  8. किसी बरगद के पेड़ पर मीठा दूध चढ़ा सकते हैं।
  9. आपको चांदी का एक चौकोर टुकड़ा अपने पास रखना चाहिए या रखना चाहिए।
  10. सुबह सबसे पहले शहद का सेवन करें।
  11. अपने घर के बाहर अनार का पेड़ लगाएं
  12. बंदरों को खाना खिलाना मंगल के नकारात्मक या अशुभ प्रभाव को खत्म करने का एक और तरीका है
  13. गायत्री मंत्र का जाप करें और नियमित रूप से हनुमान मंदिर जाएं।
  14. दोस्तों और रिश्तेदारों को तांबे के बर्तन उपहार में दें

निष्कर्ष 

तीसरे भाव में मंगल ग्रह के जातक विचार, ऊर्जा और जानकारी से भरपूर होते हैं। हालांकि, उन्हें इसका उपयोग अच्छे कारणों से करना चाहिए। उन्हें अपने गुस्से पर नियंत्रण रखना चाहिए और किसी भी बात को लेकर उग्र नहीं होना चाहिए।

कुंडली के तीसरे भाव में मंगल ग्रह से सम्बंधित- सामान्यप्रश्न- FAQ


Q- कुंडली में तीसरा भाव किसका होता है?

An- कुंडली का तीसरा भाव पराक्रम स्थान के रूप में जाना जाता है। तीसरे भाव का संबंध जातक के पराक्रम, छोटे भाई, दोस्त, लघु प्रवास, सगे संबंधी, संचार, कार्य सफलता, गुप्त शत्रु, महत्वपूर्ण फेरबदल और दलाली के लाभ जैसे क्षेत्रों से होता है।

Q- मंगल किसका कारक होता है?

An- दरअसल मंगल को ग्रहों में सेनापति कहा गया है और यह व्यक्ति के रक्त और साहस का कारक है।

Q- तीसरे भाव का स्वामी कौन है?

An- तीसरे भाव का स्वामी ग्रह बुध होता है और कारक ग्रह मंगल है। 4. चौथे भाव का स्वामी ग्रह चंद्र होता है और कारक चंद्रमा है।

Q- क्या? कुंडली के तीसरे भाव में मंगल शुभ होता है?

An- कुंडली के तीसरे भाव में मंगल ग्रह ग्रहों की युति के साथ शुभ अशुभ फल देते हैं।

Q- कुंडली के तीसरे भाव में मंगल ग्रह क्या परिणाम देते हैं?

An- तीसरे यानी तृतीय भाव में मंगल ग्रह के प्रभाव से जातक के आत्मविश्वास और ऊर्जा, आक्रमण, संचार और ज्ञान जैसे क्षेत्रों पर प्रभाव डालता है। कुंडली के तीसरे भाव में मंगल ग्रह स्थिति से जातक अपने विचारों की दृष्टि से स्पष्ट और सहजता तो आती ही है साथ ही सहजता की अच्छी क्षमता भी मिलती है।

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