वैदिक ज्योतिष के अनुसार, कुंडली का पांचवा भाव सूर्य का भाव माना जाता है और इस भाव में यदि केतु ग्रह भी विराजमान हो तो यह जातक के लिए बेहद शुभ फल प्रदान करने वाला होता है। ऐसे जातकों की आर्थिक स्थिति बहुत शुभ होती है। ऐसे लोगों के घर में 5 पुत्र संतान हो सकती हैं। केतु ग्रह अशुभ हो तो जातक को अस्थमा रोग हो सकता से हैं।
‘मंगल भवन’ के प्रसिद्ध ज्योतिष आचार्य श्री गोपाल जी का कहना है कि, केतु ग्रह का प्रभाव कुंडली के सभी 12 भावों पर अलग-अलग प्रकार से होता है। इन प्रभावों का परिणाम भी जातक को अपने जीवन पर भी प्रत्यक्ष रूप से देखने को मिलता है।
ज्योतिष के अनुसार में केतु एक क्रूर ग्रह माने जाते है, परंतु यदि केतु कुंडली में शुभ स्थान में होता है तो जातकों को इसके अच्छे परिणाम मिलते हैं जबकि पीड़ित होने पर यह अशुभ फल देता है। आइए विस्तार से जानते हैं केतु ग्रह पांचवें भाव को किस तरह का प्रभावित करता है-
पांचवें भाव में केतु ग्रह: महत्व (Ketu in 5th house)
ज्योतिष शास्त्र में, केतु ग्रह एक अशुभ ग्रह के रूप में माने जाते है। परन्तु ऐसा नहीं है कि केतु के द्वारा जातक को सदैव अशुभ या बुरे फल ही प्राप्त हों। केतु ग्रह के द्वारा जातक को शुभ फल भी प्राप्त होते हैं। यह अध्यात्म, वैराग्य, मोक्ष, तांत्रिक विद्या आदि का कारक होता है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, राहु ग्रह को किसी भी राशि का स्वामित्व प्राप्त नहीं है। लेकिन धनु राशि को राहु ग्रह की नीच एवं केतु ग्रह की उच्च राशि कहा है, जबकि मिथुन राशि में केतु ग्रह नीच व राहु ग्रह उच्च स्थान पर होता है। वहीं 27 नक्षत्रों में केतु ग्रह को अश्विनी, मघा और मूल नक्षत्र का स्वामित्व प्राप्त है। पौराणिक शास्त्रों के अनुसार केतु ग्रह स्वर भानु नामक राक्षस का धड़ अर्थात निचला हिस्सा है जबकि उसके सिर के भाग को राहु ग्रह की संज्ञा दी गई है।
जन्म कुंडली में पांचवां भाव मुख्य रूप से संतान और ज्ञान का भाव कहलाता है। यह भाव जातक के किसी भी बात को ग्रहण करने की मानसिक क्षमता को दर्शाता है कि, कैसे आसानी से किसी विषय के बारे में जान सकते हैं। पंचम भाव जातक के गुणात्मक संभावनाओं को भी संदर्भित करता है। पांचवां भाव प्रेम-प्रसंग, प्रेम-प्रसंग में सफलता मिलेगी या नहीं, लाइसेंस, वैध और तर्कसंगत आकर्षण, आदि को दर्शाता है। यह भाव दो लोगों के बीच शारीरिक और चुंबकीय व्यक्तित्व को आकर्षित करता है।
पांचवें भाव में केतु ग्रह: शुभ तथा अशुभ प्रभाव
- पांचवें भाव में केतु ग्रह के प्रभाव के कारण जातक बलवान होते हैं। इस भाव का केतु जातक की संतानों की संख्या को कम करता है अत: आपके पुत्र कम और कन्याएं अधिक होंगी। परिवार में भी आपकी संतानों को अधिक लगाव होगा। ऐसे जातकों के पास गाय आदि पशुओं का लाभ भी होता है अर्थात आपको पशु धन की प्राप्ति पर्याप्त मात्रा में होगी। इन जातकों की रूचि तीर्थ यात्रा या विदेश में रहने में अधिक होती है।
- ऐसे जातक पेशे में नौकरी करना पसंद करते हैं। हालांकि इनके पास भी नौकर-चाकर की कोई कमी नहीं होती। ज्योतिष के अनुसार ऐसे जातक कुछ छल-कपट करके भी लाभ कमा सकते हैं। ऐसे लोगों के द्वारा दिए गए उपदेश दूसरों को बहुत प्रभावित करते हैं।
- ये जातक विदेश जाने की भी अति इक्षा रखते है। इन जातकों की रूचि तीर्थ यात्रा या विदेश में रहने में अधिक होती है।
- लेकिन इस भाव में केतु के अशुभ प्रभाव से जातक में धैर्य की कमी देखने को मिल सकती है।
ऐसे जातकों के मस्तिष्क या मन में नकारात्मक विचारों का बाहुल्य हो सकता है। ऐसे जातक को खुद के ही गलत निर्णयों के लिए पश्चाताप करना पड सकता है।
- पंचम भाव में केतु के अशुभ प्रभाव से ऐसे जातक स्वयं के ही भ्रमात्मक ज्ञान और गलती के कारण शारीरिक कष्ट भोग सकते है। परिवार में सगे भाइयों से विवाद की स्थिति हो सकती है। इसके अलावा तंत्र-मंत्र के माध्यम से भी कष्ट मिल सकता है। पेट से सम्बंधित या चोट लगने के कारण कष्ट मिल सकता है।
पांचवें भाव में केतु ग्रह: उपाय
यदि किसी जातक को केतु अशुभ फल दे रहा है तो इससे जातक को अधिक तनाव या चिंतित होने की आवश्यकता नहीं हैं। ऐसे में इन जातकों को अपने घर या किसी भी मंदिर जाकर भगवान गणेश जी की उपासना करने से राहत मिल सकती है। केतु ग्रह को शांत करने के लिए केतु स्त्रोत, गणेश द्वादश नाम, स्त्रोत, शिव पंचाक्षर स्त्रोत और गणेश चालीसा का पाठ करना चाहिए। इसके अलावा बृहस्पति के दिन काली सरसों या उड़द की दाल का दान करना चाहिए।
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केतु ग्रह पांचवें भाव से संबंधित कुछ सवाल तथा उनके जवाब – FAQ
Q- कुंडली में पांचवें भाव में क्या फल मिलता है?
An- जन्म कुंडली में पांचवां भाव मुख्य रूप से संतान और ज्ञान का भाव कहलाता है। यह भाव जातक के किसी भी बात को ग्रहण करने की मानसिक क्षमता को दर्शाता है।
Q- पांचवें भाव में केतु ग्रह क्या फल देते हैं?
An- कुंडली का पांचवा भाव सूर्य का भाव माना जाता है और इस भाव में यदि केतु ग्रह भी विराजमान हो तो यह जातक के लिए बेहद शुभ फल प्रदान करने वाला होता है। ऐसे जातकों की आर्थिक स्थिति बहुत शुभ होती है।
Q- क्या, केतु ग्रह पंचम भाव में शुभ फल देते हैं?
An- पंचम भाव में केतु ग्रह अन्य ग्रहों के साथ होने से जातक को शुभ या अशुभ फल देते हैं।
Q- कुंडली में पांचवें भाव के स्वामी कारक ग्रह कौन से हैं?
An- कुंडली के पंचम भाव के स्वामी कारक ग्रह गुरु है।
Ketu in which house
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