वैदिक ज्योतिष के अनुसार, यदि किसी जातक की जन्म कुंडली में केतु ग्रह पहले भाव में स्थित हो तो, यह स्थित केतु ग्रह जातक को व्यापार, सेवा क्षेत्र या व्यवसाय में मनचाही सफलता हासिल करता है। इसके साथ ही ऐसे जातक को आध्यात्मिक क्षेत्र में भी अच्छी सफलता मिल सकती है, कभी-कभी उनका पारिवारिक जीवन तनावपूर्ण हो सकता है। इसके साथ ही सिर दर्द की समस्या भी हो सकती है।
‘मंगल भवन’ के वैदिक ज्योतिष शास्त्र में निपूर्ण आचार्य श्री गोपाल जी का कहना है कि, केतु ग्रह, कुंडली के सभी 12 भावों पर अलग-अलग तरह से प्रभाव डालता है। इन प्रभावों का परिणाम जातक को अपने जीवन पर भी प्रत्यक्ष रूप से देखने को मिलता है।
ज्योतिष में केतु एक क्रूर ग्रह है, परंतु यदि केतु कुंडली में मजबूत होता है तो जातकों को इसके अच्छे परिणाम मिलते हैं जबकि पीड़ित या कमजोर होने पर यह अशुभ फल देता है। आइए विस्तार से जानते हैं केतु ग्रह पहले भाव को किस तरह का प्रभावित करता है-
पहले भाव में केतु ग्रह: महत्व (Ketu in 1st house)
ज्योतिष में, केतु ग्रह को एक अशुभ ग्रह की संज्ञा दी गई है। हालांकि ऐसा नहीं है कि केतु के द्वारा जातक को हमेशा ही बुरे फल प्राप्त हों। केतु ग्रह के द्वारा जातक को शुभ फल भी प्राप्त होते हैं क्योंकि केतु को आध्यात्म, वैराग्य, मोक्ष, तांत्रिक विद्या आदि का कारक माना जाता है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, राहु ग्रह को किसी भी राशि का स्वामित्व प्राप्त नहीं है। लेकिन धनु राशि राहु ग्रह की नीच एवं केतु ग्रह की उच्च राशि है, जबकि मिथुन राशि में केतु नीच व राहु ग्रह की उच्च राशि होती है। वहीं 27 नक्षत्रों में केतु ग्रह को अश्विनी, मघा और मूल नक्षत्र का स्वामी कहा गया है। वैदिक शास्त्रों के अनुसार केतु ग्रह स्वर भानु राक्षस का धड़ है। जबकि उसके सिर के भाग को राहु ग्रह कहा गया है।
जन्म कुंडली में पहला भाव यानी लग्न भाव बहुत महत्वपूर्ण होता है। प्रथम भाव का कारक ग्रह सूर्य को कहा जाता है। यह भाव जातक की शारीरिक संरचना, रूप, रंग, ज्ञान, स्वभाव, बाल्यावस्था और आयु आदि का बोध कराता है। प्रथम भाव के स्वामी को लग्नेश कहा जाता है। लग्न भाव का स्वामी अगर क्रूर ग्रह भी हो तो, वह अच्छा फल ही प्रदान करता है।
पहले भाव में केतु ग्रह: शुभ तथा अशुभ प्रभाव
- पहले भाव में स्थित केतु ग्रह अधिकांश मामलों में शुभ फल नहीं देते हैं। फिर भी कहीं कुछ शुभफल भी जरूर मिलते ही हैं। इसके शुभ प्रभाव के कारण आप परिश्रम पर अधिक विश्वास करने वाले व्यक्ति होते हैं और अपने परिश्रम के दम पर ही ऐसे जातक धनवान बन सकते हैं।
- यदि इन जातकों को अपने भाई-बंधुओं का सहयोग मिले तो उनका जीवन और अधिक सुखी व्यतीत होता है। लेकिन केतु ग्रह की अशुभता के कारण ये जातक मन से चंचल और डरपोक हो सकते हैं। थोड़े से भी कठिनाई या समस्या मिलते ही पलायन करने का विचार कर लेते हैं।
- ऐसे जातक भय से सदैव व्याकुल और चिंतित हो जाते हैं। केतू ग्रह के प्रभाव के कारण मन में घबराहट भी बनी रहती है। ऐसे जातक सदैव चित्त भ्रम और मानसिक तनाव की पीड़ा से जूझते रहते हैं।
- ऐसे जातक अपनी संगति खराब व्यक्तियों से कर सकते हैं। ये जातक झूठ बोलने पर ज्यादा यकीन कर सकते हैं। विद्या अर्चन करने में आपकी रुचि कम हो सकती है अथवा शिक्षा ग्रहण करने में कुछ समस्याएं आ सकती है। लेकिन, हालांकि जानबूझकर पढ़ाई के प्रति की गई लापरवाही को लेकर आगे चलकर आपको पश्चाताप महसूस होगा।
- इसके साथ ही इन जातकों को अपने भाई-बंधु पक्ष से कष्ट मिलेगा और ये उन्हें बर्दाश्त भी करेंगे। ऐसी स्थिति भी हो सकती है कि इन लोगों के भाई-बंधुओं को कष्ट सहना पडे या भाई-बंधुओं से क्लेश हो।
- इस भाव में केतु ग्रह के अशुभ प्रभाव से, जातक के जीवन साथी को कुछ हद तक कष्ट रह सकता है या फिर जीवन साथी या संतान को लेकर चिंता की स्थिति रह सकती हैं। दुष्ट जनों से भय बना रहेगा।
- आपको अपनी संगत हमेशा अच्छे व्यक्तियों से बनाए रखने की सलाह दी जाती है। आपके शरीर में वात रोग के कारण पीड़ा हो सकती है। पेट से संबंधित परेशानियां भी रह सकती है।
कुछ ध्यान रखने योग्य बातें
- यदि सूर्य सप्तम स्थान में हो तो सुबह और शाम को दान न करें।
- पत्नी से अच्छे संबंध बनाए रखें।
- किसी भी प्रकार का व्यसन और नशे की आदतों से दूर रहें।
- अपनी संतान को खाने-पीने की चीजें के लिए पैसा न दें।
केतु ग्रह के प्रभाव को कम करने हेतु उपाय
- बंदरों को गुड़ खिलाएं।
- माथे पर केसर का तिलक लगाएं।
- विघ्नहर्ता गणेश जी की पूजा करें।
- यदि शनि और मंगल अशुभ हो तो उसका उपाय करें।
- किसी भी मंदिर में काले और सफेद रंग के वस्त्र या कंबल दान करें।
निष्कर्ष
केतु ग्रह, राहु का ही एक अंग या रूप माना गया है। यह ग्रह राहु के द्वारा किए गए नुकसान भरपाई कर सकता है। ज्योतिष के अनुसार यदि राहु ग्रह आपको बुराई की ओर ले जाता है, तो केतु ग्रह उस बुराई के लिए आपको सचेत होने की क्षमता देता है, कि आप गलत जगह पर हैं। लेकिन यह भी आसानी से नहीं होता। केतु ग्रह पहले आपके जीवन में कुछ घटनाओं को कार्यान्वित करेगा, जो आपको बुरी तरह परेशान कर सकती हैं। परन्तु , जल्द ही आपको यह भी महसूस हो जायेगा कि आपको बदलने की आवश्यकता है। अच्छा होने पर ही आप खुशहाल जीवन व्यतीत करेंगे।
Must Read: कुंडली के अन्य भाव में केतु ग्रह
केतु ग्रह पहले भाव से संबंधित कुछ सवाल तथा उनके जवाब – FAQ
Q- पहले भाव में केतु ग्रह क्या फल देता है
An- यदि किसी जातक की जन्म कुंडली में केतु ग्रह पहले भाव में स्थित हो तो, यह स्थित केतु ग्रह जातक को व्यापार, सेवा क्षेत्र या व्यवसाय में मनचाही सफलता हासिल करता है।
Q- कुंडली में पहले भाव किसका स्थान होता है?
An- कुंडली में प्रथम भाव लग्न भाव कहलाता है, इसका अर्थ होता है ‘स्वयं का भाव’
Q- क्या केतु ग्रह सदैव अशुभ फल ही देता है?
An- नहीं, केतु ग्रह से शुभ फल भी होते हैं।
Q- पहले भाव के स्वामी कारक ग्रह कौन होते हैं?
An- पहले भाव के स्वामी कारक ग्रह मंगल हैं।
Mujhe meri padhai k baare me puchhna h kb start hogi ?2 saal se nhi hui!
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Ashtam bhav mein shukr Singh Rashi ka kaisa pal dikh raha hai 😭😭😭
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