कुंडली के दसवें भाव में केतु ग्रह (Ketu in 10th house)
वैदिक ज्योतिष के अनुसार, केतु ग्रह को एक अशुभ ग्रह माना जाता है परन्तु यह राहु ग्रह के समान अशुभ फल नहीं देते हैं। इसके साथ ज्योतिष में राहु तथा केतु दोनों ग्रहों को हो मायावी ग्रह की संज्ञा दी गई है जिनका कोई वास्तविक या भौतिक अस्तित्व नहीं है। ये सौरमंडल में मात्र एक बिंदु की तरह हैं जो कि एक खगोलीय स्थिति के रूप में देखे जा सकते हैं।
हालांकि, राहु और केतु दोनों ही अलग-अलग हैं। जिसमें हम केतु को जातक के कर्म या विकास के एक चरण के रूप में संदर्भित कर सकते हैं , जिसमें जातक अपने स्वयं के कर्मो से परेशान होकर आध्यात्मिकता की ओर अग्रसर होता है।
अब बात करें जन्म कुंडली के दशम यानी दसवें भाव में केतु ग्रह के प्रभाव की तो, यह जातकों के करियर के लिए शुभ फलदायी होता है और उन्हें अपने जीवन में सफलता, शक्ति, मान-प्रतिष्ठा और धन सभी कुछ प्राप्त होने की संभावना होती है।
दसवें भाव में केतु ग्रह के शुभ प्रभाव
मंगल भवन के प्रसिद्ध तथा ज्योतिष शास्त्र में कई वर्षो के अनुभव के साथ ‘आचार्य श्री गोपाल जी’ ने इस लेख के माध्यम से जन्म कुंडली के दसवें भाव में केतु ग्रह की भूमिका के बारे में हमें विस्तार से बताया है। क्योंकि जब केतु ग्रह कुंडली के किसी भी 12 भावों में से किसी भी भाव में विराजमान होते हैं तो प्रभावित जातक के जीवन पर कई शुभ और अशुभ प्रभाव करते हैं-
ज्योतिष शास्त्र के आकड़ों के अनुसार, यदि किसी जातक की कुंडली में दसवें भाव में केतु बेठे हो तो ऐसे जातक का व्यक्तित्व बहुत मजबूत होता हैं, जो कि अत्यधिक बुद्धिमान और कई शिल्प की कलाओं में कुशल होते हैं। इन जातकों के पास स्वयं का अर्जित किया हुआ ज्ञान होता है या फिर ऐसे जातक के पास बहुत सी शिक्षा या कला में निपूर्ण होने की डिग्रियां हो सकती हैं। इसके साथ ही ऐसे जातक अपने पुरे जीवन में बहुत प्रसिद्धि और ख्याती भी अर्जित कर सकते हैं।
दसवें भाव में केतु ग्रह से प्रभावित जातक दूसरों पर अपना गहरा प्रभाव डालते हैं। ऐसे जातकों के शत्रु पक्ष भी इनकी प्रशंसा करने से कतराते नहीं हैं। हालांकि, शत्रुओं से सदैव सावधान रहना ही उचित होता है क्योंकि उनकी प्रशंसा के पीछे कोई उद्देश्य या षड्यंत्र होने की संभावना हो सकती है।
इसके अलावा केतु ग्रह जातक को सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह से प्रभावित करता है। ऐसा इसलिए क्योंकि यदि कुंडली में अन्य ग्रह भी केतु के साथ विराजमान है तो वैसा ही प्रभाव भी देंगे। उदाहरण के लिए, यदि दसवें भाव में केतु ग्रह के साथ शनि ग्रह भी की स्थित है तो वैसा ही प्रभाव जातक के जीवन पर भी होगा जो शनि ग्रह निर्धारित करेंगे।
दसवें भाव में केतु ग्रह के साथ शनि की स्थिति बताती है कि यदि कुंडली में शनि सकारात्मक है, तो केतु का प्रभाव भी जातक के लिए सुख कारी होगा और जातक को जीवन में भाग्य का साथ भी मिलेगा। इसके साथ इस भाव में केतु से प्रभावित जातक जीवन के प्रति गंभीर दृष्टिकोण रख सकते हैं और वे अपने बारे में अत्यधिक चिंतित हो सकते हैं। ऐसे जातक अपने जीवन में अच्छे अवसरों को प्राप्त करते हैं
यदि किसी जातक की कुंडली में केतु ग्रह सकारात्मकता लिए हुए है तो ऐसे जातक व्यवहार में उदार होते हैं और यदि वे अपने चरित्र को सच्चा और शुद्ध बनाएं रखेंगे तो उनके लिए यह लाभ प्राप्त करने में सहायक होगा। दसवें भाव में केतु ग्रह से प्रभावित जातक अपने भाइयों को उनके द्वारा किए गए कुकर्मों के लिए हमेशा क्षमा करने में विश्वास रखते हैं।
दसवें भाव में केतु ग्रह के अशुभ प्रभाव
बात की जाए केतु ग्रह अशुभ फल की तो यदि दसवें भाव में केतु ग्रह पीड़ित हो तो यह जातक को मानसिक रूप से अस्वस्थ बना सकता है। ऐसे में ये जातक अनावश्यक गतिविधियों या बेकार के प्रयासों में शामिल हो सकते हैं। केतु के अशुभ प्रभाव से ऐसे जातक वे स्वभाव से अहंकारी भी हो सकते हैं। इन जातकों को मानसिक शांति और खुशी की कमी हो सकती है और इनका जीवन भी काफी दुर्भाग्यपूर्ण हो सकता है जिसमें कई प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।
ऐसे जातक के साथ वाहन चलाते समय दुर्घटना होने की भी संभावना हो सकती है। इसके अलावा, इस भाव में केतु ग्रह की अशुभ स्थिति के कारण प्रभावित जातक को अपने जीवन में विशेष रूप से वित्त और करियर के मामलों में परेशानी उठानी पड़ सकती है। ऐसे जातकों का पेशेवर जीवन बहुत तनाव ग्रस्त हो सकता है और उच्च स्तर के तनाव के कारण इससे निपटने के लिए जातक को बहुत कठिन समय का सामना करना पड़ सकता हैं।
अतः इन जातकों को ज्योतिष की यह सलाह दी जाती है कि दसवें भाव में केतु ग्रह के अशुभ प्रभाव को भोगने वाला जातक को व्यभिचार और अन्य अनैतिक कार्यों से दूर रहना चाहिए। इसके अलावा, इन जातकों को विशेष रूप से 40 वर्ष के मध्य तक पहुंचने के बाद अपने निवास स्थान पर एक पालतू कुत्ता भी अवश्य रखना चाहिए। केतु के अशुभ प्रभाव के कारण जातक के पिता की आयु कम हो सकती है। इस प्रकार दसवें भाव में केतु के दुष्प्रभावों को उचित उपायों से दूर किया जा सकता है।
कुंडली में ग्रहों की दशाओं की जानकारी हेतु आज ही सम्पर्क करें मंगल भवन के ज्योतिष आचार्यों से।
दसवें भाव में केतु ग्रह का स्वास्थ्य, प्रेम तथा करियर पर प्रभाव
- स्वास्थ्य
ज्योतिष के अनुसार, केतु के प्रभाव से जातक को वाहन कुछ भय रह सकता है अत: वाहन चलाते समय सावधानी से चलाएं। इसके साथ ही पशुओं के माध्यम से भी कुछ पीड़ा हो सकती है। मानसिक रूप से असंतुष्ट हो सकते हैं। केतु के कारण आपको गुदा, पांव, वात आदि रोग होने की संभावना हो सकती है। इसके अलावा कान से संबंधित समस्याओं का सामना कर सकते हैं और केतु के प्रभाव के कारण शरीर में दर्द का भी अनुभव कर सकते हैं।
![केतु ग्रह](https://blog.mangalbhawan.com/wp-content/uploads/2023/03/Ketu-in-10th-house-copy.webp)
- करियर
इस भाव में केतु की शुभ स्थिति के कारण जातक चिकित्सा, मशीनरी, डिजाइनिंग, आयुर्वेद, चित्रकला, ज्योतिष, तंत्र-मंत्र, योग, दर्शन, अध्यात्म, हीलिंग आदि से सम्बंधित क्षेत्रों में विशेष सफलता प्राप्त कर सकते हैं। केतु के अशुभ प्रभाव के कारण ऐसे जातक किसी भी व्यवसाय में लंबे समय तक नहीं रह पाते हैं। लेकिन अगर ये जातक चिकित्सा, आयुर्वेद व आध्यात्मिक क्षेत्रों से जुड़कर कार्य करें तो अपने कार्यक्षेत्र में सफलता हासिल कर सकते हैं। केतु का राशि स्वामी निर्बली हो या केतु कुंडली में अशुभ ग्रहों की दृष्टि या युति में हो तो ऐसे जातक अपने कार्यक्षेत्र से असंतुष्ट रह सकते हैं और बार-बार अपना कार्यक्षेत्र बदलने के कारण अपनी आजीविका से हाथ धो सकते हैं। ऐसे जातक अपने करियर के प्रति सदैव चिंतित रहते हैं।
- प्रेम संबंध
केतु के अशुभ प्रभाव के कारण ये जातक मानसिक रूप से बहुत तनावपूर्ण रहते हैं अतः ऐसे जातक का लगाव पराए संबंधों में अधिक हो सकता है।
Must Read: कुंडली के अन्य भाव में केतु ग्रह
केतु ग्रह दसवें भाव से संबंधित कुछ सवाल तथा उनके जवाब – FAQ
Q- क्या दसवें भाव में केतु ग्रह शुभ होता है?
An- कुंडली के दसवें भाव में यदि केतु सकारात्मक रूप से स्थित होता है, तो यह जातक के करियर को सफलता की ओर ले जाता है । ऐसे लोग जीवन में कौशल, शक्ति और धन प्राप्त कर सकता है।
Q- कुंडली के दसवें भाव में क्या फल दर्शाया जाता है?
An- कुंडली में दसवां भाव पिता, व्यापार, उच्च नौकरी, राजनीति, राजसुख, प्रतिष्ठा और ख्याति का कारक भाव माना जाता है।
Q- कुंडली के दसवें भाव में स्वामी कारक ग्रह कौन से होते हैं?
An- दसवें भाव के स्वामी कारक ग्रह सूर्य देव और शनिदेव हैं।
Q- क्या, कुंडली के दसवें भाव में केतु ग्रह शुभ होते हैं?
An- कुंडली के दसवें भाव में केतु शुभ ग्रहों के साथ शुभ फल देते हैं।
दसवें स्थान मे वृषभ राशि का केतु है।सातवे स्थान मे सूर्य,शनि,शुक्र एवम वक्री बुध है । जातक की मीन राशि है। लग्न सिंह राशी है। मंगल छटवे स्थान में मकर राशि का है। ब्रहपति तीसरे स्थान मे तुला राशि का है। जातक का जा १५/२/१९९४ शाम ७ बजे का रायपुर सीजी का है। जातक के कार्यक्षेत्र,विवाह और पत्नी के संबंध मे जानकारी दे।
Pls call 011-41114242 for a free astro consultation