ज्योतिष शास्त्र में, गुरु ग्रह नवम यानी नौवें भाव में बृहस्पति ग्रह के होने से, आप स्वभाव से धार्मिक होंगे और आप सच बोलना पसंद करेंगे। आपका व्यक्तित्व नीतिमान, विचारशील और माननीय होगा। आपकी श्रद्धा देवताओं, ब्राह्मणों और गुरुजनों में अधिक होगी। बृहस्पति के शुभ प्रभाव से आप दान पुण्य में विश्वास करने वाले व्यक्ति होंगे।
ज्योतिष में, हम सभी की जन्म कुंडली में, 12 भाव (घर) होते हैं। हमारे जीवन के, लगभग सभी पहलुओं का चित्रण इन 12 भावों में निहित होता हैं। इनमें से प्रत्येक भाव की अपनी अलग भूमिका होती है। लेकिन अगर हम सबकी जन्म कुंडली, जब एक समान है; तो हम सबका स्वभाव अलग क्यों हैं? इसका कारण है हमारी कुंडली के इन भावों में नव ग्रहों की स्थिति।
जब ग्रह इन भावों में स्थित होते हैं, तो हमें शुभ व अशुभ दोनों तरह से प्रभावित करते हैं। इसलिए, इस लेख के माध्यम से हमने आपकी कुंडली के, नौवें भाव में गुरु अर्थात बृहस्पति ग्रह के कुछ अच्छे और बुरे प्रभावों के बारे में बताने का प्रयास किया है-
नवम भाव में गुरु ग्रह बृहस्पति (Jupiter in 9th house)
‘मंगल भवन’ के अनुभवी ‘ज्योतिषाचार्य देविका’ जी का कहना है कि- कुंडली में समस्त ग्रहों में से बृहस्पति को ‘गुरु’ का स्थान कहा जाता है। प्रत्येक मनुष्य की जन्म कुंडली में 12 भाव का भी अपना अलग महत्व होता है। नौवें भाव में गुरु ग्रह की बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका होती है। जिसकी हम इस लेख में विस्तार से चर्चा करते हैं-
ज्योतिष शास्त्र में, जन्म कुंडली का नौवां भाव व्यक्ति के भाग्य को प्रदर्शित है इसलिए इसे ‘भाग्य’ का भाव कहा जाता है। जिस भी जातक का नवम भाव,अच्छा होता है वह भाग्यवान होता है। इसके साथ ही नौवें भाव से व्यक्ति के धार्मिक दृष्टिकोण का पता चलता है। अतः इसे ‘धर्म’ का भाव भी कहते हैं। कुंडली में नौवां भाव त्रिकोण स्थान कहलाता है।
नवम भाव में गुरु ग्रह: शुभ प्रभाव
- ज्योतिष शास्त्र से ज्ञात होता है कि, बृहस्पति ग्रह से प्रभावित जातक हमेशा ज्ञान और बुद्धि के नए मार्ग ढूढ़ते रहते हैं। ऐसे जातकों का स्वभाव दार्शनिक होता है और इन्हें अपना ज्ञान दूसरों के साथ साझा करने में बहुत आनंद आता है।
- ये लोग अच्छे शिक्षक हो सकते हैं और सीखने की प्रक्रिया को पसंद करते हैं। इनके लिए अपने विचारों की अभिव्यक्ति व स्वतंत्रता अधिक महत्वपूर्ण होती है। ऐसे जातक गुरु के शुभ प्रभाव से यात्रा, शिक्षा, शिक्षण, खेल, प्रकाशन और विदेशी संस्कृतियों में श्रेष्ठ सफलता हासिल कर सकते हैं।
- इसके साथ ही, नौवां भाव ( घर) बृहस्पति का प्राकृतिक भाव होता है। जिससे व्यक्ति, विद्वान और आध्यात्मिक रूप से बुद्धिमान होता है। इन जातकों में दूसरों की आस्था और विश्वास को प्रभावित करने की अचूक शक्ति होती है।
- बृहस्पति ग्रह की इस स्थिति में, जातकों के धार्मिक गतिविधियों व आध्यात्मिक कार्यों में सम्मिलित होने की संभावना अधिक होती है। ऐसे जातक आध्यात्मिक नेता के रूप में महत्वपूर्ण पदों पर आसीन भी हो सकते हैं। नवम भाव में बृहस्पति ग्रह से प्रभावित जातक अपने जीवन में कई परंपराओं और रीति-रिवाजों का पालन करने वाले होते हैं।
नवम भाव में गुरु ग्रह बृहस्पति: अशुभ प्रभाव
- नवम भाव में बृहस्पति वाले लोगों में पाया जाता है कि, जब वे कहीं दूर की यात्रा कर रहे होते हैं तो अपने दोस्तों और परिवार को पीछे छोड़ देते हैं। जबकि उनका एक बड़ा सामाजिक दायरा होता है। और ये दायरा सिमट जाता है, क्योंकि उन्होंने लोगों को देखने या मिलने के लिए एक नई जगह का चुनाव कर लिया होता है।
- मूल निवासियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे इन यात्राओं पर अपने साथ परिवार के किसी सदस्य को साथ लाएं, अन्यथा इनका परिवार पूरी तरह से उपेक्षित महसूस करेगा। अगर उनके जीवन में कोई चीजें बिगड़ती है, तो इस भाव में बृहस्पति ग्रह के प्रभाव से जातक का वैवाहिक जीवन भी प्रभावित हो सकता है।
निष्कर्ष
नौवें भाव में बृहस्पति ग्रह के प्रभाव में, जातक बहुत बुद्धिमान और ज्ञानी होते हैं। इसके साथ ही ऐसे लोग, धनवान और यशस्वी भी होते हैं। वे अपने करियर को अग्रसर करने हेतु दूर स्थानों पर जा सकते हैं। हालांकि, उन्हें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि; वे अपने बढ़ते भाग्य में अपने सहयोगियों और परिवार के सदस्यों को दूर न करें।
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कुछ सवाल तथा उनके जवाब – FAQ
Q- कुंडली के नौवें भाव में स्वामी कारक ग्रह कौन होते हैं?
An- कुंडली के नौवें भाव के स्वामी कारक ग्रह गुरु यानी बृहस्पति ग्रह होते हैं।
Q- कुंडली में, नौवें भाव में बृहस्पति क्या परिणाम देते हैं?
An- कुंडली में, नौवें भाव में बृहस्पति आप स्वभाव से धार्मिक होंगे और आप सच बोलना पसंद करेंगे। आपका व्यक्तित्व नीतिमान, विचारशील और माननीय होगा।
Q- क्या, कुंडली के नौवें भाव में गुरु ग्रह शुभ होते हैं?
An- कुंडली के नौवें भाव में गुरु ग्रह जातक को शुभ और अशुभ दोनों प्रकार के फल देते हैं।
Q- कुंडली का नौवां भाव किसका कारक माना जाता है?
An- ज्योतिष शास्त्र में, जन्म कुंडली का नौवां भाव व्यक्ति के भाग्य को प्रदर्शित है, इसलिए इसे ‘भाग्य’ का भाव कहा जाता है।