जातक की कुंडली के आठवें भाव में गुरु ग्रह हो तो जातक दीर्घायु होता है तथा ऐसा जातक अधिक समय तक पिता के घर में नहीं रहता है। इस घर में गुरु अच्छे परिणाम नहीं देता लेकिन जातक को सभी सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है। संकट के समय जातक को ईश्वर की सहायता मिलेगी। धार्मिक होने से जातक के भाग्य में वृद्धि होगी।
ज्योतिष में, हम सभी की जन्म कुंडली में, 12 भाव (घर) होते हैं। हमारे जीवन के, लगभग सभी पहलुओं का चित्रण इन 12 भावों में निहित होता हैं। इनमें से प्रत्येक भाव की अपनी अलग भूमिका होती है। लेकिन अगर हम सबकी जन्म कुंडली, जब एक समान है; तो हम सबका स्वभाव अलग क्यों हैं? इसका कारण है हमारी कुंडली के इन भावों में नव ग्रहों की स्थिति।
जब ग्रह इन भावों में स्थित होते हैं, तो हमें शुभ व अशुभ दोनों तरह से प्रभावित करते हैं। इसलिए, इस लेख के माध्यम से हमने आपकी कुंडली के, अष्टम(आठवें ) भाव में गुरु अर्थात बृहस्पति ग्रह के कुछ अच्छे और बुरे प्रभावों के बारे में बताने का प्रयास किया है-
अष्टम भाव में गुरु ग्रह बृहस्पति (Jupiter in 8th house)
‘मंगल भवन’ के अनुभवी ‘ज्योतिषाचार्य देविका’ जी का कहना है कि- कुंडली में समस्त ग्रहों में से बृहस्पति को ‘गुरु’ का स्थान कहा जाता है। प्रत्येक मनुष्य की जन्म कुंडली में 12 भाव का भी अपना अलग महत्व होता है। आठवें भाव में गुरु ग्रह की बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका होती है। जिसकी हम इस लेख में विस्तार से चर्चा करते हैं-
जन्म कुंडली में अष्टम भाव को ‘आयु भाव’ की संज्ञा दी गई है। यह भाव कुंडली के सबसे महत्वपूर्ण भावों में से एक है। इस भाव में ऋण, मृत्यु, दीर्घायु और अचानक अप्रत्याशित घटनाओं जैसी चीजों से सम्बंधित जानकारी प्राप्त की जाती है। हालांकि जातक की कुंडली में अष्टम भाव अशुभ परिणाम देता है। परन्तु शुभ ग्रह के स्थान से यह जातक के लिए शुभ होता है।
आठवें भाव में गुरु ग्रह बृहस्पति : शुभ अशुभ प्रभाव
- ज्योतिष की गणना में, यदि आपकी कुंडली में आठवें यानी अष्टम भाव में बृहस्पति विराजमान है तो, यह आपको दीर्घायु प्रदान बनता है। इसके साथ ही, आप चिरंजीवी होते हैं।
- शारीरिक रूप से भी आप बहुत आकर्षक होते हैं। जिससे कि लोग सहज ही आपकी ओर आकर्षित हो जाते हैं।
- आप अपने पिता के घर में बहुत दिनो तक नहीं रुकते। आप अपने प्रिय स्वजनों में इतने लोकप्रिय होंगे कि उनका छोटे से छोटा काम करने में भी आपको आनंद आएगा।
- आपको किसी वसीयत या पैतृक संपत्ति के माध्यम से धन प्राप्त हो सकता है।
- आप एक योग साधक और अभ्यासी व्यक्ति होंगे। आपको उत्तम तीर्थ यात्राओं का सुख मिलेगा। आप अपनी कुल की परंपरा को बहुत महत्व देते हैं।
- गुरु ग्रह के शुभ प्रभाव से आपकी संगति अच्छे मित्रों के साथ होगी।
- आठवें भाव में बृहस्पति की यह स्थिति कभी-कभी विवाह के माध्यम से खूब धनार्जन भी करवाती है।
- आप ज्योतिष प्रेमी और स्थिर बुद्धि के व्यक्ति होंगे। यहां स्थित बृहस्पति आपको मोक्ष का अधिकारी भी बनाएगी।
अशुभ प्रभाव
जैसा कि ज्योतिष की गणना कहती है, प्रत्येक ग्रह किसी भी, भाव में कुछ शुभ तो कुछ अशुभ फल दोनों प्रदान करते हैं। बृहस्पति के आठवें भाव में कुछ नकारात्मक प्रभाव भी होते है, विशेषकर तब जब आठवें भाव में बृहस्पति वक्री अवस्था में हो।
- ऐसे जातक अपने विचार किसी से आसानी से साझा नहीं करते हैं, तो हो सकता है कि वे अपने आसपास के लोगों के साथ उस संबंध को प्राप्त करने में सक्षम न हों।
- इस प्रकार ऐसे जातक में गर्मजोशी और भावुकता की कमी होती है, जो एक संतुलित मानव व्यक्तित्व में भी आवश्यक है।
- कुंडली के आठवें भाव का गुरु ग्रह का असर, आपको कंजूस और लालची भी बना सकता है। अत: इन पर नियंत्रण रखते हुए मन की चंचलता पर भी नियंत्रण रखना आवश्यक होगा।
- इसके अलावा यदि आप अस्वस्थ हैं, तो भी आपकी प्रकृति में अंतर आ जाता है। आपको शूल रोग होने का भय भी रहता है।
निष्कर्ष
आठवें भाव में बृहस्पति वाले जातक भव्य, नैतिक और कुशल स्वभाव के धनी होते हैं। आपकी क्षमता शक्ति बलशाली होती है। गुरु के प्रभाव से ऐसे जातक चिरंजीवी और दीर्घायु होते हैं।
ज्योतिष में, बृहस्पति ग्रह कुंडली में स्थित 12 भावों पर अलग-अलग तरह से प्रभाव डालता है। इन प्रभावों का असर हमारे जीवन पर प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से पड़ता है। यह एक शुभ ग्रह है, अतः जातकों को इसके शुभ फल प्राप्त होते हैं। आइए विस्तार से जानते हैं बृहस्पति ग्रह के विभिन्न भावों पर प्रभाव को-
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कुछ सवाल तथा उनके जवाब – FAQ
Q- कुंडली में आठवां भाव किसका कारक होता है?
An- कुंडली में अष्टम (आठवां) भाव को ‘आयु’ का कारक भाव माना जाता है।
Q- कुंडली में आठवें भाव का स्वामी कारक ग्रह कौन से हैं?
An- कुंडली में अष्टम भाव के स्वामी ग्रह शनि व केतु ग्रह हैं।
Q- क्या, कुंडली के आठवें भाव में बृहस्पति शुभ फल देते हैं?
An- हां, यदि कुंडली के आठवें भाव में कोई अशुभ ग्रह स्थान में ना हो तो जातक को शुभ फल प्राप्त होते हैं।
Q- कुंडली के आठवें भाव में गुरु ग्रह का क्या प्रभाव पड़ता है?
An- आठवें भाव में बृहस्पति के प्रभाव से, जातक भव्य, नैतिक और कुशल स्वभाव के धनी होते हैं। आपकी क्षमता शक्ति बलशाली होती है। गुरु के प्रभाव से ऐसे जातक चिरंजीवी और दीर्घायु होते हैं।
Agar 8th house me guru Mangal Chandra yuti ho vrishchik lagna me to kase fal milte ha
1. भौतिक स्वास्थ्य पर प्रभाव:
अगर व्यक्ति का वृश्चिक लग्न है और उसके हृदय के अंश में गुरु, मंगल और चंद्र एक साथ आते हैं, तो इससे उसका भौतिक स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ सकता है। यह विशेष रूप से उसके स्वास्थ्य के निर्धारण और स्थायिता के संकेतकारी हो सकता है।
2. वित्तीय स्थिति में सुधार:
यह योग व्यक्ति की वित्तीय स्थिति में सुधार कर सकता है। गुरु का संयोजन मंगल और चंद्र के साथ वृश्चिक लग्न के अष्टम भाव में वित्तीय सामरिक क्षेत्र में पौराणिक विद्वत्ता और स्वार्थनिरतता के साथ हो सकता है।
3. योगिक और धार्मिक अभिरूचि:
गुरु, मंगल, और चंद्र का संयोजन वृश्चिक लग्न में योगिक और धार्मिक अभिरूचियों को प्रेरित कर सकता है। यह व्यक्ति को अध्ययन और ध्यान की दिशा में बढ़ने के लिए प्रेरित कर सकता है और उसे आध्यात्मिक अनुसंधान में रुचि लेने के लिए प्रेरित कर सकता है।
4. पारिवारिक और सामाजिक संबंधों में समृद्धि:
इस योग का असर पारिवारिक और सामाजिक संबंधों में भी महत्वपूर्ण हो सकता है। यह व्यक्ति को परिवार और समाज में आदर्श साथी बनने की दिशा में प्रेरित कर सकता है, और उसे सामाजिक संबंधों में समृद्धि प्राप्त करने की क्षमता प्रदान कर सकता है।
5. मानसिक स्थिति पर प्रभाव:
इस योग का मानसिक स्वास्थ्य पर भी प्रभाव हो सकता है। गुरु, मंगल, और चंद्र की यह युति मानसिक स्थिति को सुधार सकती है और व्यक्ति को आत्म-समर्पण और सकारात्मक भावना में स्थायिता प्रदान कर सकती है।
इस प्रकार, वृश्चिक लग्न में अष्टम भाव में गुरु, मंगल, और चंद्र की युति का संयोजन व्यक्ति के जीवन के विभिन्न पहलुओं पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकता है और उसे समृद्धि और सफलता की दिशा में मदद कर सकता है।
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