वैदिक ज्योतिष के अनुसार, कुंडली के सातवें भाव में गुरु ग्रह के स्थित होने से, जातक को धन व यश की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही ऐसे जातक को व्यवसाय में खूब सफलता व लाभ मिलता है। ऐसा जातक भाग्योदय विवाह के बाद होता है। उसका विवाहित जीवन भी बहुत सुखी और संपन्न होता है।
ज्योतिष में, हम सभी की जन्म कुंडली में, 12 भाव (घर) होते हैं। हमारे जीवन के, लगभग सभी पहलुओं का चित्रण इन 12 भावों में निहित होता हैं। इनमें से प्रत्येक भाव की अपनी अलग भूमिका होती है। लेकिन अगर हम सबकी जन्म कुंडली, जब एक समान है; तो हम सबका स्वभाव अलग क्यों हैं? इसका कारण है हमारी कुंडली के इन भावों में नव ग्रहों की स्थिति।
जब ग्रह इन भावों में स्थित होते हैं, तो हमें शुभ व अशुभ दोनों तरह से प्रभावित करते हैं। इसलिए, इस लेख के माध्यम से हमने आपकी कुंडली के, सातवें भाव में गुरु ग्रह के कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों के बारे में बताया है-
सातवें भाव में गुरु ग्रह बृहस्पति (Jupiter in 7th house)
‘मंगल भवन’ के अनुभवी ‘ज्योतिषाचार्य देविका’ जी का कहना है कि- कुंडली में समस्त ग्रहों में से बृहस्पति को ‘गुरु’ का स्थान कहा जाता है। प्रत्येक मनुष्य की जन्म कुंडली में 12 भाव का भी अपना अलग महत्व होता है। सातवें भाव में गुरु ग्रह की बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका होती है। जिसकी हम इस लेख में विस्तार से चर्चा करते हैं-
जन्म कुंडली में सातवाँ भाव, जातक के वैवाहिक जीवन, जीवन साथी तथा पार्टनर के सम्बन्ध का बोध कराता है। यह भाव जातक के नैतिक व अनैतिक रिश्ते को भी दर्शाता है। शास्त्रों में मनुष्य जीवन के चार पुरुषार्थ- धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष हैं। इनमें से ‘काम’ का संबंध सप्तम भाव से होता है।
सातवें भाव में गुरु ग्रह ग्रह : शुभ प्रभाव
- सातवें भाव में गुरु के प्रभाव से आप शारीरिक रूप से सुंदर और और आकर्षक व्यक्तित्व के धनी होंगे। दूसरे लोगों को आपसे मिलकर प्रसन्नता की अनुभूति होती हैं। इसका कारण यह है कि आपके आकर्षण के कारण लोग आपसे मिलकर, आपके वशीभूत हो जाते हैं।
- आपकी वाणी भी मधुर और प्रभावशाली होगी। आपकी बुद्धि कुशाग्र व विद्या से परिपूर्ण होगी।
- आपकी रूचि ज्योतिष, काव्य साहित्य, कला प्रेमी और शास्त्र परिशीलन में हो सकती है।
- प्रतापी होने के साथ-साथ आप यशस्वी और बहुत प्रसिद्ध भी होंगे।
- सातवें भाव में गुरु ग्रह के शुभ प्रभाव से, आपका जीवन साथी कुलीन और धनवान होता है। आपका भाग्योदय विवाह के बाद होगा और आपको धन, सुख, श्रेष्ठ पद और मान्यता मिलेगी। आपका जीवन साथी गुणों से युक्त होगा।
- सप्तम भाव का बृहस्पति कामुकता अधिक देता है। यहां स्थित कभी-कभी अभिमानी भी बनाता है। अत: इन पर नियंत्रण भी आवश्यक होगा। आप शीघ्र ही बडी उन्न्ति और बडा पद प्राप्त करेंगे। आपको सरकारी कामों, कचहरी के काम, मंत्रणा देने का काम, सलाहकार का काम, चित्रकला आदि के द्वारा लाभ मिल सकता है। आप न्याय के काम से भी धनार्जन कर सकते हैं।
सातवें भाव में गुरु ग्रह: अशुभ प्रभाव
सप्तम भाव में बृहस्पति के बहुत से अच्छे प्रभाव होते हैं, तो वहीं, इस भाव में बृहस्पति की स्थिति जातकों को नकारात्मक रूप से भी प्रभावित करती है। जन्म कुंडली में बृहस्पति की स्थिति प्रतिकूल परिणाम दे सकती है। जैसे –
- वैदिक ज्योतिष के अनुसार, बृहस्पति की इस स्थिति के कारण, इन जातकों के किसी अन्य पुरुष/महिला के साथ संबंध होने की संभावना होती है। हालांकि, कुछ मामलों में, ये जोड़े आपस में मनमुटाव व समझ की कमी के कारण बहुत जल्दी अलग भी हो जाते हैं।
- ये व्यक्ति अपने साथी के प्रति कम सहानुभूति और स्नेह प्रदर्शित कर सकते हैं जो अंततः उनके जीवन में संघर्ष को जन्म देता है।
निष्कर्ष
सप्तम भाव में बृहस्पति ग्रह की उपस्थिति में, जातक अपने रिश्तों के प्रति उदार होते है। उन्हें अपने जीवन में पर्याप्त धन, ज्ञान, और सौभाग्य भी प्राप्त होता है। इस भाव में गुरु से प्रभावित जातक अत्यधिक जिम्मेदार, ईमानदार और दूसरों के प्रति उचित सम्मान रखने वाले होते हैं। हालांकि, सातवें भाव में बृहस्पति का होना जातक हेतु, दोधारी तलवार की तरह है, जो नकारात्मक रूप से भी प्रभाव दे सकता है।
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कुछ सवाल तथा उनके जवाब – FAQ
Q- कुंडली में सातवें भाव को किसका कारक कहा जाता है?
An- कुंडली में सातवां भाव, वैवाहिक जीवन, जीवन साथी तथा पार्टनर के सम्बन्ध का बोध कराता है। यह भाव जातक के नैतिक व अनैतिक रिश्ते को भी दर्शाता है।
Q- क्या सातवें भाव में बृहस्पति ग्रह की स्थिति विवाह में देरी करता है?
An- बृहस्पति और शुक्र जन्म कुंडली में जब किसी भी भाव में पीड़ित हों तो यह विवाह में देरी या विवाह में समस्या का कारण बनता है।
Q- कुंडली में सातवें भाव के स्वामी कारक ग्रह कौन है?
An- सातवें भाव के स्वामी कारक ग्रह शुक्र और बुध दोनों हैं।
Q- क्या, सातवें भाव में बृहस्पति ग्रह, जातक को शुभ फल देते हैं?
An- हां, सातवें भाव में बृहस्पति सामान्तः जातक को अच्छे फल ही देते हैं।