वैदिक ज्योतिष के अनुसार, कुंडली के पंचम (पांचवें) भाव मे गुरु ग्रह यानी बृहस्पति के शुभ प्रभाव से जातक दयालु बनाता है। इसके साथ ही ऐसे लोग, समाज के परोपकार के लिए हमेशा कार्यरत रहते हैं। ऐसे लोग दानी स्वभाव के होते हैं। इसलिए समाज में ऐसे व्यक्ति को बहुत मान-सम्मान भी प्राप्त होता है, और दूसरों से खूब प्यार मिलता है।
ज्योतिष में, हम सभी की जन्म कुंडली में, 12 भाव (घर) होते हैं। हमारे जीवन के, लगभग सभी पहलुओं का चित्रण इन 12 भावों में निहित होता हैं। इनमें से प्रत्येक भाव की अपनी अलग भूमिका होती है। लेकिन अगर हम सबकी जन्म कुंडली, जब एक समान है; तो हम सबका स्वभाव अलग क्यों हैं?
इसका कारण है हमारी कुंडली के इन भावों में नव ग्रहों की शुभ व अशुभ स्थिति। जब ग्रह इन भावों में स्थित होते हैं, तो हमें शुभ व अशुभ दोनों तरह से प्रभावित करते हैं। इसलिए, इस लेख के माध्यम से हमने आपकी कुंडली के, पांचवें भाव में गुरु अर्थात बृहस्पति ग्रह के कुछ अच्छे और बुरे प्रभावों के बारे में बताने का प्रयास किया है-
पंचम भाव में गुरु ग्रह का महत्व (Jupiter in 5th house- importance)
‘मंगल भवन’ के अनुभवी ‘ज्योतिषाचार्य देविका’ जी इस बारे में बताती है कि- कुंडली में समस्त ग्रहों में से बृहस्पति को ‘गुरु’ का स्थान कहा जाता है। गुरु आध्यात्मिकता, शिक्षक या गुरु की भूमिका निभाते है। यह एक लाभकारी ग्रह है जो उच्च ज्ञान, सीखने, आध्यात्मिक, बौद्धिक जैसे क्षेत्रों से संबंध रखते है।
प्रत्येक मनुष्य की जन्म कुंडली में 12 भाव का भी अपना अलग महत्व होता है। पंचम भाव में गुरु की बहुत ही अहम भूमिका होती है। जिसकी हम इस लेख में विस्तार से चर्चा करते हैं-
जन्म कुंडली का पांचवां भाव ’भाग्य’ का भाव कहलाता है। जो जातक की इमेजिनेशन, लव रिलेशन, रोमांस और संतान पक्ष का प्रतिनिधित्व करता है। इस भाव को जातक के जीवन में खुशियों का कारक भाव माना जाता है। साथ ही रचनात्मक गतिविधियों से जातक में जो प्रसन्नता का भाव उत्पन्न होता है; उस प्रसन्नता का प्रतिफल ही यह पंचम भाव है।
इस भाव में गुरु के प्रभाव से जातक का स्वरूप दर्शनीय होता है। आपकी आस्था ईश्वर में अधिक होगी। साथ ही आप धार्मिक और शुद्ध चित्त वाले व्यक्ति होंगे। आप दयालु होने के साथ-साथ विनम्र भी होंगे।
पंचम भाव में गुरु ग्रह : शुभ व अशुभ प्रभाव
- गुरु के प्रभाव से आप बुद्धिमान, पवित्र और श्रेष्ठ व्यक्तित्व के धनी होंगे। आप स्वभाव से न्याय प्रिय होंगे। आपकी वाणी मधुर होगी। इसके साथ ही आपकी कल्पना शक्ति बहुत प्रबल होगी।
- पंचम भाव में गुरु के प्रभाव से, आप चतुर, समझदार और महान कार्य करने वाले व्यक्ति होंगे।
- करियर में आप एक आप उत्तम वक्ता, धाराप्रवाह बोलने वाले और कुशल व्याख्याता हो सकते हैं। साथ ही आप प्रतिभावान और नीतिविशारद होंगे।
- आप एक श्रेष्ट लेखक या ग्रंथकार भी हो सकते हैं। गुरु के शुभ प्रभाव से आपकी रुचि ज्योतिष में भी हो सकती है।
- आप निडरता के साथ, संघर्षों से मुंह न मोड़ कर समस्याओं का सामना करेंगे।
- बृहस्पति के प्रभाव के कारण आपका स्वभाव आराम तलब या आलसी हो सकता है।
- आपकी संतान सुंदर और सुखी होगी।
अपने जीवन में आ रही सभी समस्याओं के समाधान हेतु ‘मंगल भवन’ से आज ही जुड़े।
पंचम भाव में गुरु ग्रह: अशुभ या नकारात्मक प्रभाव
ज्योतिष में, प्रत्येक भाव ग्रहों की स्थिति के आधार पर ग्रह सकारात्मक व नकारात्मक प्रभाव करते हैं।
- पंचम भाव में बृहस्पति के अनुसार इन जातकों के आस-पास के लोग कभी-कभी इनसे इनकी बागडोर लेना चाहते हैं।
- मूल निवासी स्वाभाविक रूप से नेतृत्व या हस्तक्षेप करते हैं। परन्तु, उन्हें यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि वे अपनी गतिविधियों को आगे बढ़ाते समय दूसरों को प्रभावित नहीं कर रहे हैं।
- ऐसे जातकों का अहंकार अक्सर उनके बेहतर निर्णय लेने के रास्ते में रुकावट बन सकता है।
- मूल निवासियों को अपने निकटतम लोगों पर विश्वास करना पड़ता है। ताकि वें अपनी सीमा का उल्लंघन न करें। लेकिन, इस प्रकार की गलतफहमियां बहुत आसानी से जातकों का भाग्य परिवर्तन कर सकती हैं।
निष्कर्ष
अंत में, ज्योतिष के अनुसार पंचम भाव में बृहस्पति वाले जातक खुशहाल, हंसमुख, चंचल और कुल मिलाकर स्वस्थ होते हैं। इनके पारिवारिक रिश्तें भीअच्छे होते हैं। हालांकि, उन्हें अपने अहंकार के प्रति सावधान रहने की सलाह दी जाती है। अहंकार के कारण उन्हें गंभीर समस्या का सामना करना पड़ सकता है।
ज्योतिष के अनुसार गुरु, एक शुभ ग्रह है। अतः जातकों को इसके शुभ फल प्राप्त होते हैं। आइए विस्तार से जानते हैं बृहस्पति ग्रह के विभिन्न भावों पर प्रभाव –
Must Read: कुंडली के अन्य भाव में गुरु ग्रह बृहस्पति के प्रभाव
कुछ सवाल तथा उनके जवाब – FAQ
Q- कुंडली के पंचम भाव में गुरु क्या फल देते हैं?
An- कुंडली के पंचम भाव में गुरु के प्रभाव से जातक दयालु बनाता है। इसके साथ ही ऐसे लोग, समाज के परोपकार के लिए हमेशा कार्यरत रहते हैं।
Q- कुंडली में पंचम भाव के स्वामी कारक ग्रह कौन हैं?
An- कुंडली के पंचम भाव के स्वामी कारक ग्रह गुरु है।
Q- कुंडली में पंचम भाव किसका स्थान होता है?
An- कुंडली में पंचम भाव ‘भाग्य’ का भाव होता है। जो जातक की इमेजिनेशन, लव रिलेशन, रोमांस और संतान पक्ष का प्रतिनिधित्व करता है।
Q- क्या,कुंडली के पंचम भाव में गुरु शुभ फल देते हैं?
An- कुंडली के पंचम भाव में गुरु अन्य ग्रहों के साथ शुभ व अशुभ फल देते हैं।