वैदिक ज्योतिष के अनुसार, कुंडली के बारहवें भाव में गुरु ग्रह के प्रभाव से जातक लोभी और लालची प्रवृत्ति का शिकार होता है। बारहवां (द्वादश) भाव बृहस्पति और राहु ग्रह के संयुक्त प्रभाव में होता है। जो कि एक दूसरे के शत्रु ग्रह माने जाते हैं। यदि जातक पर इसका शुभ प्रभाव होगा तो, वह अच्छा आचरण करता है, धार्मिक प्रथाओं को मानने वाला व्यक्ति होगा। और यह सभी के लिए अच्छा चाहता है, तो वह खुशहाल होगा। और रात में आरामदायक नींद का आनंद भी ले सकेगा। इस भाव में गुरु ग्रह के शुभ प्रभाव से जातक धनवान और शक्तिशाली होगा।
ज्योतिष में, हम सभी की जन्म कुंडली में, 12 भाव (घर) होते हैं। हमारे जीवन के, लगभग सभी पहलुओं का चित्रण इन 12 भावों में निहित होता हैं। इनमें से प्रत्येक भाव की अपनी अलग भूमिका होती है। लेकिन अगर हम सबकी जन्म कुंडली, जब एक समान है; तो हम सबका स्वभाव अलग क्यों हैं?
इसका कारण है हमारी कुंडली के इन भावों में नव ग्रहों की स्थिति। जब ग्रह इन भावों में स्थित होते हैं, तो हमें शुभ व अशुभ दोनों तरह से प्रभावित करते हैं। इसलिए, इस लेख के माध्यम से हमने आपकी कुंडली के, बारहवें भाव में गुरु अर्थात बृहस्पति ग्रह के कुछ अच्छे और बुरे प्रभावों के बारे में बताने का प्रयास किया है-
बारहवें भाव में गुरु ग्रह ( Jupiter in 12th house ): महत्व
‘मंगल भवन’ के अनुभवी ‘ज्योतिषाचार्य देविका’ जी इस बारे में बताती है कि- कुंडली में समस्त ग्रहों में से बृहस्पति को ‘गुरु’ का स्थान कहा जाता है। गुरु आध्यात्मिकता, शिक्षक या गुरु की भूमिका निभाते है। यह एक लाभकारी ग्रह है जो उच्च ज्ञान, सीखने, आध्यात्मिक, बौद्धिक जैसे क्षेत्रों से संबंध रखते है।
प्रत्येक मनुष्य की जन्म कुंडली में 12 भाव का भी अपना अलग महत्व होता है। बारहवें भाव में गुरु ग्रह की बहुत ही अहम भूमिका होती है। जिसकी हम इस लेख में विस्तार से चर्चा करते हैं-
जन्म कुंडली का बारहवां भाव कुंडली का अंतिम भाव होने से जातक के जीवन का भी अंतिम भाग होता है। प्रथम भाव (लग्न) से गणना करने पर द्वादश भाव सबसे अंतिम भाव है। इसलिए ये एक प्रकार से मानव के जीवन चक्र के अंत को संदर्भित करता है। जिस प्रकार प्रारंभ हुआ; समाप्त भी होता है; उसी प्रकार लग्न जीवनारंभ का सूचक है; तो द्वादश भाव जीवन की समाप्ति को प्रदर्शित करता है।
बारहवें भाव में गुरु ग्रह बृहस्पति: अच्छे व बुरे प्रभाव
ज्योतिष की गणना में, यहां स्थित बृहस्पति ग्रह के कारण आप धार्मिक आचरण करते हुए संसार में बहुत पूजनीय व उच्च स्थान प्राप्त करेंगे। इसके अलावा आप निर्भीक प्रकृति और सुखी व्यक्ति होंगे। आपके मन में सदैव परोपकार और विश्वबंधुत्व की भावना होगी। आप कम बोलने पसंद करेंगे। उदार स्वभाव को अपनाएंगे।
इसके अलावा आपको अप्रिय सम्भाषण और आलस्य से भी बचाव का सुझाव दिया जाता है। ज्योतिष के अनुसार आपकी रुचि अध्यात्म और गूढशास्त्रों में होनी चाहिए। आप पुराने रीति-रिवाजों को भी बहुत महत्वपूर्ण मानते हैं। इसके साथ ही दान पुण्य के कार्यों में आपका बहुत विश्वास रखते हैं और यही कारण है कि आप बडे से बडा दान करने में बिल्कुल भी पीछे नहीं हटते।
लेकिन जब बात खर्चे की आती है तो फिजूलखर्ची आपको बिल्कुल भी पसंद नहीं है। ज्योतिष आपको दूसरों के प्रति किसी प्रकार का द्वेष नहीं रखने की सलाह देंगे। अपने जीवन में कई बार आपको विदेश प्रवास व अन्य यात्राओं का मौका भी मिल सकता है। इसके अलावा देशत्याग, अज्ञातवास तथा दूर प्रदेशों में रहने से आपको लाभ, धन और कीर्ति की प्राप्ति होगी।
यदि आप, एक चिकित्सक, लोक सेवक संपादक, वेद ज्ञान, धर्मगुरु या सम्पादक हैं तो इस भाव में स्थित बृहस्पति ग्रह आपके लिए अत्यधिक शुभ फलदायी रहेगा। ज्योतिष के अनुसार, आपके लिए आपकी उम्र का मध्य भाग तथा उत्तरार्ध श्रेष्ठ होगा। आपको अन्न की कमी का कभी सामना नहीं करना पड़ेगा। आपको अपने जीवन काल में पर्याप्त, धन-संपत्ति, सोना(आभूषण), वस्त्र आदि प्राप्त करेंगे। आपको अपने पिता के माध्यम से भी बहुत धन मिलेगा।
- निष्कर्ष
जैसा की हमने लेख में बताया, कुंडली में बारहवां भाव मोक्ष का प्रतिनिधित्व करता है। जिसका अर्थ है जन्म और मृत्यु के चक्र से अंतिम मुक्ति। कुंडली का यह भाव आपके लिए जन्म और पुनर्जन्म चक्र के अंत के द्वार खोलता है और आपको परम शांति और मोक्ष प्रदान करता है।
बारहवां भाव आध्यात्मिकता के महत्व और अंतिमता को स्वीकार करने के बारे में होता है। जो हमें आध्यात्मिक रूप से विकसित और ज्ञानी बनाता है और अंततः जीवन के सभी दुखों और कष्टों को समाप्त में सहायक होता है।
बारहवां भाव व्यक्तिगत जीवन की पराकाष्ठा को भी संदर्भित करता है क्योंकि यह अपने अंत के करीब है और तत्काल मुक्ति संभव नहीं होने पर अगले जीवन में बेहतर जन्म प्राप्त करने के अपने उद्देश्य को पूरा करने का प्रयास करता है।
ऐसा माना जाता है कि मानव जीवन समय की बर्बादी है, यदि भौतिक ज़रूरतों को पूरा करने के अलावा, यह आध्यात्मिकता नहीं जुड़ा है तो।
ज्योतिष में बृहस्पति ग्रह में जन्म कुंडली के सभी 12 भावों पर अलग-अलग तरह से प्रभाव डालता है। इन प्रभावों का असर मानव जीवन पर प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से पड़ता है। यह एक शुभ ग्रह है, अतः जातकों को इसके शुभ फल प्राप्त होते हैं। आइए विस्तार से जानते हैं बृहस्पति ग्रह के विभिन्न भावों पर प्रभाव –
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कुछ सवाल तथा उनके जवाब – FAQ
Q- कुंडली में बारहवां भाव किसका स्थान होता है?
An- कुंडली में बारहवां भाव मोक्ष का प्रतिनिधित्व करता है। जिसका अर्थ है जन्म और मृत्यु के चक्र से अंतिम मुक्ति।
Q- क्या, कुंडली के बारहवें भाव में गुरु शुभ होता है?
An- कुंडली का बारहवां (द्वादश) भाव बृहस्पति और राहु ग्रह के संयुक्त प्रभाव में होता है। जो कि एक दूसरे के शत्रु ग्रह माने जाते हैं। यदि जातक पर इसका शुभ प्रभाव होगा तो, वह अच्छा आचरण करता है, धार्मिक प्रथाओं को मानने वाला व्यक्ति होगा।
Q- कुंडली के बारहवें भाव के स्वामी कारक ग्रह कौन हैं?
An- कुंडली में बारहवें भाव के स्वामी कारक ग्रह राहु और शुक्र हैं।
Q- कुंडली के बारहवें भाव में गुरु ग्रह कैसा फल देते हैं?
An- कुंडली के बारहवें भाव में गुरु ग्रह शुभ ग्रहों के साथ शुभ फल देते हैं।