जन्म कुंडली के ग्यारहवें भाव में गुरु ग्रह यानि बृहस्पति की मौजूदगी से जातक को शुभ फल की प्राप्ति होती है। इस भाव को जन्म कुंडली का ‘लाभ’ का भाव माना जाता है। इसके साथ ही ग्यारहवां भाव जातक की आय, बड़े भाई, उपलब्धि, मनोकामनाओं की पूर्ति, बहन, पुत्रवधू और कान से भी संबंधित भाव माना गया है। गुरु ग्रह के शुभ होने पर बड़े भाइयों से अच्छा सहयोग मिलता है।
ज्योतिष में, हम सभी की जन्म कुंडली में, 12 भाव (घर) होते हैं। हमारे जीवन के, लगभग सभी पहलुओं का चित्रण इन 12 भावों में निहित होता हैं। इनमें से प्रत्येक भाव की अपनी अलग भूमिका होती है। लेकिन अगर हम सबकी जन्म कुंडली, जब एक समान है; तो हम सबका स्वभाव अलग क्यों हैं?
इसका कारण है हमारी कुंडली के इन भावों में नव ग्रहों की स्थिति। जब ग्रह इन भावों में स्थित होते हैं, तो हमें शुभ व अशुभ दोनों तरह से प्रभावित करते हैं। इसलिए, इस लेख के माध्यम से हमने आपकी कुंडली के, ग्यारहवें भाव में गुरु अर्थात बृहस्पति ग्रह के कुछ अच्छे और बुरे प्रभावों के बारे में बताने का प्रयास किया है-
ग्यारहवें भाव में गुरु ग्रह ( Jupiter in 11th house ): महत्व
‘मंगल भवन’ के अनुभवी ‘ज्योतिषाचार्य देविका’ जी इस बारे में बताती है कि- कुंडली में समस्त ग्रहों में से बृहस्पति को ‘गुरु’ का स्थान कहा जाता है। गुरु आध्यात्मिकता, शिक्षक या गुरु की भूमिका निभाते है। यह एक लाभकारी ग्रह है जो उच्च ज्ञान, सीखने, आध्यात्मिक, बौद्धिक जैसे क्षेत्रों से संबंध रखते है।
प्रत्येक मनुष्य की जन्म कुंडली में 12 भाव का भी अपना अलग महत्व होता है। ग्यारहवें भाव में गुरु की बहुत ही अहम भूमिका होती है। जिसकी हम इस लेख में विस्तार से चर्चा करते हैं-
ज्योतिष के अनुसार, जन्म कुंडली में ग्यारहवां भाव जातक की ‘आमदनी’ और ‘लाभ’ से संबंधित होता है। यह भाव जातक की कामना, आकांक्षा एवं इच्छापूर्ति को दर्शाता है। किसी जातक द्वारा कार्य को पूर्ण किए जाने वाले प्रयासों से जो लाभ प्राप्त होता है; उस लाभ की गणना कुंडली के ग्यारहवें भाव में की जाती है।
ग्यारहवें भाव में गुरु ग्रह: शुभ प्रभाव
- ज्योतिष के अनुसार इस भाव में बैठे, बृहस्पति ग्रह आपको सुंदर व आकर्षक शरीर के साथ-साथ स्वस्थ और दीर्घायु भी देते हैं।
- आप संतोषी तो होंगे ही, इसके साथ ही आप उदार और परोपकारी स्वभाव के व्यक्ति होंगे।
- आप कुशाग्र बुद्धि और विचारवान हैं। आप प्रमाणित सच बोलने वाले और साधु स्वभाव के हैं। आपकी संगती सज्जनों और श्रेष्ठ व्यक्तियों के साथ होगी।
- आप राजा या सरकार के द्वारा सम्मान और लाभ प्राप्त कर सकते हैं। अनुभवी और उच्च कुलीन लोगों से आपकी मित्रता होगी। आपके मित्र अच्छे स्वभाव के होंगे। और आपकी आशाओं और महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने में वो आपके सहायक भी होंगे।
- आपके उत्तम कार्यों के लिए अग्रसर होंगे और इस कारण समाज में आपका बहुत नाम और सम्मान होगा। जिससे आपकी श्रेष्ठता में वृद्धि होगी।
- आप धन धान्य से पूर्ण व भाग्यवान व्यक्ति होंगे। अपनी समझदारी से आप आमदनी के कई साधन जुटा लेंगे।
- अपनी उम्र के बत्तीसवें वर्ष में आपको बहुत लाभ मिलेगा। लेकिन आपकी पूर्वाजित सम्पति को कोई और हड़प सकता है या किसी कारण से वह आपके हाथ से निकल जाएगी।
- पराक्रमी होने के साथ-साथ आप अपने पिता के सहायक होंगे। शत्रुओं को सदैव विजय प्राप्त करेंगे।
ग्यारहवें भाव में गुरु ग्रह: अशुभ प्रभाव
- इस भाव में गुरु से प्रभावित जातक व्यसन आदतों जैसे अधिक खाने और अधिक पीने में लिप्त हो सकते हैं। जिससे कि उन्हें अधिक खाने या पीने की लत लगने की संभावना हो सकती है।
- इस भाव का बृहस्पति ग्रह जातक को कभी-कभी कंजूस प्रवृत्ति का बनाता है। और इन्हें संतान को लेकर भी कुछ चिंता हो सकती है।
- ग्यारहवें भाव में बृहस्पति के प्रभाव के कारण जातक बहुत अधिक मित्रता के चलते अत्यधिक सामाजिक रूप से सक्रिय प्राणी हो सकते हैं। यह अक्सर उन्हें बहुत खर्च करने और सामूहिक गतिविधियों के कारण थका देने वाला हो सकता है।
- इस भाव में गुरु के अशुभ प्रभाव से, आपकी पूर्वाजित सम्पति को कोई और हड़प सकता है या किसी कारण से वह आपके हाथ से निकलने की संभावना हो सकती है।
निष्कर्ष
ज्योतिष में ग्यारहवें भाव को संचय का भाव भी कहा जाता है। यह ज्ञान के साथ-साथ सौभाग्य में भी लाता वृद्धि है। यह कानून, विवाह, अभिभावकों और दोस्तों का प्रतिनिधित्व करता है। कुंडली में शुभ होने पर, बृहस्पति ग्रह जातकों को फलते-फूलते धन और वैभव का आशीर्वाद देता है। हालांकि, जब कुंडली में अशुभ होता है, तो यह उन्हें अति आत्मविश्वासी और गैर जिम्मेदार बनाता है। ग्यारहवां भाव, यह दिखाता है कि जातक सामाजिक गतिविधियों में किस प्रकार शामिल होंगे। यह उनके मानवीय पहलू, दान और सामाजिक कारण के लिए स्वेच्छा को प्रदर्शित करता है। यह उस सामाजिक क्षेत्र को भी दर्शाता है जिसमें जातक की रुचि स्वेच्छा से काम करने में होती है। एकादश भाव में बृहस्पति ग्रह जातकों के जीवन में सौभाग्य लाता है। ऐसे जातक बहुत धन अर्जित करते हैं और उनके अपने दोस्तों का एक बड़ा दायरा भी हो सकता है।
Must Read: कुंडली के अन्य भाव में गुरु ग्रह बृहस्पति के प्रभाव
कुछ सवाल तथा उनके जवाब – FAQ
Q- कुंडली में ग्यारहवां भाव क्या दर्शाता है?
An- कुंडली में ग्यारहवां भाव, यह दिखाता है कि जातक सामाजिक गतिविधियों में किस प्रकार शामिल होंगे। यह उनके मानवीय पहलू, दान और सामाजिक कारण के लिए स्वेच्छा को प्रदर्शित करता है।
Q- कुंडली में ग्यारहवें भाव के बृहस्पति कैसा फल देते हैं ?
An- कुंडली के ग्यारहवें भाव में गुरु हो तो जातक ऐश्वर्यवान, पिता के धन को बढ़ाने वाला, व्यापार में दक्षता के लिए होता है। इस भाव में बृहस्पति अपने शत्रु ग्रहों बुध, शुक्र और राहु से संबंधित चीजों और रिश्तेदारों पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है।
Q- कुंडली में ग्यारहवें भाव के स्वामी कारक ग्रह कौन से हैं?
An- कुंडली में ग्यारहवें भाव के स्वामी कारक ग्रह शुक्र, चंद्र, सूर्य, और गुरु हैं।
Q- क्या, कुंडली में ग्यारहवें भाव में गुरु ग्रह का विराजमान होना शुभ होता है?
An- हां, कुंडली में ग्यारहवें भाव में गुरु का होना शुभ होता है।
Kya 11th ghar mai guru acha hota hai aur kaise
Pls call 011-41114242 for a free astro consultation