Fourth House of Horoscope|राशि के अनुसार चतुर्थ भाव, शुभ ग्रह का है प्रभाव या देंगें प्रतिकूल परिणाम

4th house of horoscope

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हम सभी को यह ज्ञात है कि, कुंडली के प्रत्येक भाव का अपना एक महत्व होता है, यानी हमारी जन्म कुंडली में, कोई भी भाव व्यर्थ नहीं होता, जैसे कोई भाव धन से संबंधित जानकारी देता है तो, व्यवसाय या नौकरी या कोई भाव हमारे पारिवारिक मामलों को संदर्भित करता है। आज के इस ‘मंगल भवन’ के लेख में हम ऐसे ही एक भाव के बारे में महत्वपूर्ण और विस्तृत जानकारी प्राप्त करेंगे- जो कि है चतुर्थ भाव। 

यह भाव जन्म कुंडली का सुख भाव और माता से सम्बन्धित भाव माना जाता है। हमारे  ज्योतिषाचार्य इस भाव की मदद से बचपन का माहौल, मां के साथ सम्बन्ध, जमीन, मकान, सुख- सुविधाएं और वाहन से संबंधित जानकारियों को ज्ञात करते है। यदि किसी जातक की जन्म कुंडली में चतुर्थ भाव मजबूत हो तो ऐसा जातक अपनी माता का प्रेम, सुखी जीवन और सुख-संपत्ति प्राप्त करता है! लेकिन, वहीं, यदि कुंडली का चतुर्थ भाव कमजोर हैं तो ऐसे जातक को माता से दूर रहने या संपत्ति से संबंधित परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है- 

कुंडली में चतुर्थ भाव के अनुकूल और प्रतिकूल प्रभाव कैसे मिलते हैं? 

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, चतुर्थ भाव का स्वामी ग्रह चंद्रमा है। जो की मन का कारक और माता से सम्बन्धित होता है! यदि इस भाव में मजबूत चंद्रमा और शुभ ग्रहों की उपस्थिति में हो तो यह बहुत ही लाभकारी परिणाम प्रदान करता है।  ऐसे जातक को अपनी माता से सुख और आशीर्वाद प्राप्त होता है और जीवन में सुख-शांति का वातावरण बना रहता है। इसी प्रकार मंगल ग्रह, बुध और गुरु बृहस्पति के भी चतुर्थ भाव में होने से अनुकूल परिणाम होते हैं! इसके विपरीत यदि कुंडली में, चतुर्थ भाव में कोई अशुभ या प्रतिकूल ग्रहों का प्रभाव या युति बन रही हो जैसे राहु ग्रह, केतु ग्रह तो इस भाव के परिणाम प्रभावित होते हैं! 

ज्योतिष में- चतुर्थ भाव की विशेषताएं 

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कुंडली का चतुर्थ भाव मानसिक शांति, पारिवारिक जीवन, निजी रिश्तेदार, घर, समृद्धि, उल्लास, सुविधा, जमीन और पैतृक संपत्ति, छोटी-छोटी खुशियां, शिक्षा, वाहन और गर्दन व कंधों से संबंधित जानकारी देता है। इसके साथ ही यह भाव निम्न क्षेत्रों से सम्बन्धित होता है जो इस प्रकार हैं- 

  1. माता पक्ष 
  2. भौतिक सुख-सुविधा
  3. वाहन सम्बन्धी सुख 
  4. अचल संपत्ति
  5. घर-परिवार 

ज्योतिष आचार्यों के मतानुसार, चतुर्थ भाव माता से संबंधित भाव कहलाता है। यह भाव जातक के घर-परिवार, निवास, सभी प्रकार की अचल संपत्ति और सामान्य जीवन का बोध कराता है। इस भाव से घर-परिवार से जुड़ी गुप्त बातों का ज्ञान भी प्राप्त हो सकता है। जन्म कुंडली के चौथे भाव पर कर्क राशि का नियंत्रण रहता है! जिसके स्वामी ग्रह चंद्रमा है। चतुर्थ भाव जमीन या अचल संपत्ति को भी दर्शाता है, साथ ही किराये पर ली गई जमीन या वस्तुओं का बोध भी इस भाव के माध्यम से ज्ञात किया जा सकता है। यह भाव वाहन सुख और अन्य लोगों के माध्यम से मिलने वाले सुख को भी दर्शाता है। 

चतुर्थ भाव जातक की शिक्षा और शैक्षणिक योग्यता के बारे में बताता है! अतः इससे जातक की प्रारम्भिक शिक्षा और कॉलेज की पढ़ाई के बारे में जानकारी प्राप्त की जा सकती है। इसके अलावा चतुर्थ भाव पैतृक संपत्ति (जातक की जन्म भूमि), घर या जन्मभूमि से दूर जाने की संभावना, भूमिगत स्थान, प्राचीन स्मारक, आर्किटेक्चर, वाहन, घोड़े, हाथी और जातक का माँ के साथ संबंधों को संदर्भित करता है।

जहां, वैदिक ज्योतिष में मंत्रिमंडल को प्रथम भाव से देखा जाता है! वहीं पश्चिमी ज्योतिष में चतुर्थ भाव को (मंत्रिमंडल) के तौर पर देखा गया है। उसी प्रकार चतुर्थ भाव भौगोलिक मंत्रालय का भी प्रतिनिधित्व करता है जो, किसी भी प्रकार सहमति या समझौते को निरस्त करने का निर्धारण करता है।

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विभिन्न राशियों में- चतुर्थ भाव का स्वभाव व प्रभाव 

मेष राशि में- चतुर्थ भाव 

ज्योतिष में, मेष राशि अग्नि चिन्ह होने के साथ नेतृत्व और स्वतंत्रता का प्रतीक भी है। मेष राशि के चौथे भाव में होने पर यह जातक की स्वतंत्रता की इच्छा दर्शाता है। यानि परिवार या निवास स्थान से संबंधित कोई बात हो तो ऐसे लोग तीव्रता के साथ कार्यवाही करते हैं और अपनी बात रखने में पीछे नहीं रहते हैं। 

वृषभ राशि में- चतुर्थ भाव 

राशि चक्र की दूसरी राशि वृषभ का चौथे भाव पर शासन होने से यह जातक के सुरक्षा, आराम और भौतिक वस्तुओं से सम्बन्ध की जानकारी देता है। इसका अर्थ यह है कि, जब वृषभ चौथे भाव में होता है, तो जातक अपने घर और भौतिक सुख-सुविधाओं के संसाधनों में अधिक रुचि होती है जो उन्हें एक सुखी और संतुष्ट आरामदायक जीवन के लिए प्रेरित करता है। ऐसे जातक अपने पारिवारिक सम्बन्ध बहुत ही ईमानदारी से निभाते हैं और व्यवस्थित दिनचर्या का पालन करते हैं।

मिथुन राशि में- चतुर्थ भाव  

मिथुन एक वायु प्रधान राशि है जो अपने लचीलेपन, संचार और जिज्ञासा की योग्यता के लिए जानी जाती है। कुंडली में चौथे भाव पर मिथुन राशि का शासन है, तो यह इस बात का सूचक है कि जातक एक खुल कर जीवन जीने वाले परिवार से सम्बन्धित और परिवार में मुखिया की भूमिका रखने वाला हो सकता है और साथ ही ऐसे जातक अपने परिवार के साथ विचारों को व्यक्त करने में रूचि रखते हैं।

कर्क राशि- चतुर्थ भाव  

कर्क राशि का चतुर्थ भाव यह दर्शाता है कि, जातक भावनाओं, मातृत्व और घरेलू कार्यों से संबंध रखने वाला है। कर्क राशि के चौथे भाव में होने से जातक को अपने घर और परिवार से गहरा और भावनात्मक लगाव होता है, जो अपने परिवार के लिए एक सुरक्षित और संतुलित वातावरण को महत्व दे सकता है।

सिंह राशि में- चतुर्थ भाव 

सूर्य ग्रह के द्वारा शासित सिंह राशि एक अग्नि प्रधान राशि है जो कि सूर्य के समान तेज वाली होती है सिंह राशि का चौथा  भाव आत्म-अभिव्यक्ति और नेतृत्व से सम्बन्ध को दर्शाता है। ऐसे जातक अपने श्रेष्ठ नेतृत्व के गुण से अपने परिवार और  समाज में लीडर बनने की क्षमता रखते हैं।

कन्या राशि में- चतुर्थ भाव 

पृथ्वी चिन्ह के रूप में व्याप्त कन्या राशि ज्योतिष में, योजना, समर्पण और सार्थक होने का प्रतीक मानी जाती है! चतुर्थ भाव में ऐसे जातक घर और पारिवारिक जीवन में कुशल और प्रभावी गुण वाले होते है। वे अपने प्रियजनों और परिवार वालों की आवश्यकताओं का बहुत ध्यान रखते हैं! साथ ही, और दूसरों की मदद करने के लिए सदैव तैयार रहते हैं।

तुला राशि में- चतुर्थ भाव

तुला राशि एक वायु चिन्ह है जो संतुलन और आपसी संबंधों को दर्शाता है। कुंडली के चौथे भाव में  भाव में, तुला राशि के जातक एक शांत और आकर्षक स्थान बनाने के लिए अधिक प्रेरित रहते हैं और अपने घर में मनोरंजन का आनंद लेने वाले होते हैं। क्युंकी, यह राशि परिवारों या समुदायों के मुद्दों को प्रभावी ढंग से सुलझाने में सक्षम होती है।

वृश्चिक राशि में- चतुर्थ भाव

वृश्चिक राशि जल तत्व राशि के साथ-साथ तीव्रता, परिवर्तन और साहस की विशेषता को दर्शाती है! इस राशि का चौथे भाव पर शासन यह दर्शाता है कि, जातक का अपने घर और परिवार के साथ एक मजबूत भावनात्मक संबंध हो सकता है और वह अपने निजी स्थान के प्रति सुरक्षात्मक दृष्टिकोण रखता है। 

धनु राशि- चतुर्थ भाव

धनु जैसी अग्नि प्रधान राशि को उनके खोज, दर्शन और रोमांच के गुण के लिए जाना जाता है। जब धनु राशि चौथे भाव में होती है, तो ऐसे जातक बेचैनी का अनुभव कर सकता है और उसे घर में अपने आस- पास कुछ खोज करने की इच्छा हो सकती है। साथ ही, ऐसे जातक की रूचि जीवन के प्रति दार्शनिक या आध्यात्मिक दृष्टि  के साथ-साथ पारिवारिक इतिहास या परंपराओं के बारे में सीखने में हो सकती है।

मकर राशि- चतुर्थ भाव

कुंडली में मकर राशि का चतुर्थ भाव जातक के घर के वातावरण में संस्कृति और विरासत पर ध्यान देने का संकेत दे सकता है। क्योंकि, राशियों में मकर एक जिम्मेदार और अनुशासित राशि मानी गई है। जिसमें जातक का अपने परिवार के प्रति जवाबदारी का स्वभाव देखा जाता है जो अपने परिवार की स्थिति को बनाए रखने की अच्छी क्षमता रखता है रखता है।

कुंभ राशि में- चतुर्थ भाव 

सभी राशियों में कुंभ राशि एक स्वतंत्र राशि मानी जाती है और इसका चौथे भाव में होने से यह किसी के व्यक्तिगत स्थान में स्वतंत्रता और रचनात्मकता की इच्छा को दर्शाता है। ऐसे जातक असामान्य व्यवहार वाले हो सकते हैं जो अपने परिवार या घर के साथ बातचीत करने के नए तरीके की खोज के उत्सुक होते है।

मीन राशि में- चतुर्थ भाव  

मीन एक जल तत्व राशि है, जो कुंडली के चौथे भाव में इसे चौथे घर में जातक के अत्यधिक भावुक होने के गुण को दर्शाता है। ऐसे जातक अपने अतीत के बारे में सोचकर भावुक या उदास महसूस करते है और उसका अपने परिवार या बचपन के घर से भी गहरा लगाव हो सकता है।

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कुंडली के चौथे  भाव में मंगल ग्रह: उपाय

  1. प्रतिदिन हनुमान चालीसा का जाप करें।
  2. मंगलवार के दिन साफ ​​लाल या पीले वस्त्र पहने और ब्रह्मचर्य का पालन करें
  3. मंगलवार की सुबह अपनी अनामिका उंगली में लाल मूंगा पहनें।
  4. कुंडली में अशुभ मंगल के उपाय:-
  5. मंदिर में या किसी धार्मिक स्थान पर मिठाइयाँ बाँटें।
  6. आपको चांदी का एक चौकोर टुकड़ा अपने पास रखना चाहिए या रखना चाहिए।
  7. सुबह सबसे पहले शहद का सेवन करें।
  8. बंदरों को खाना खिलाना मंगल के नकारात्मक या अशुभ प्रभाव को खत्म करने का एक और तरीका है
  9. अपने मित्रों और रिश्तेदारों को तांबे के बर्तन उपहार में दें।

जानिए कुंडली के चतुर्थ भाव में राहु ग्रह की भूमिका और प्रभाव के बारे में

निष्कर्ष:

चौथे भाव में मंगल ग्रह से प्रभावित जातकों के जीवन में ताकत और कमजोरियां दोनों होती हैं। यह उन्हें बहादुर, निडर और ताकतवर बनाता है लेकिन साथ ही, यह उन्हें गुस्सा करने वाला , आक्रामक और आत्म-विनाशकारी भी बनाता है। ऐसी स्थिति वाले व्यक्तियों को सलाह दी जाती है कि वे दयालुता से बात करें और अपनी पत्नी और मां से बात करते समय कभी भी नियंत्रण न खोएं क्योंकि जातक की सफलता के पीछे उनका महत्व महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

Q. जन्म कुंडली का चतुर्थ भाव क्यों महत्वपूर्ण है?

An. जन्म कुंडली चतुर्थ भाव माता से संबंधित भाव कहलाता है। यह भाव जातक के घर-परिवार, निवास, सभी प्रकार की अचल संपत्ति और सामान्य जीवन का बोध कराता है। इस भाव से घर-परिवार से जुड़ी गुप्त बातों का ज्ञान भी प्राप्त हो सकता है। 

Q. यदि चतुर्थ भाव में शनि ग्रह स्थित हो तो, क्या प्रभाव देता है?

An. चतुर्थ भाव में शनि का स्थान जातक के रूढ़िवादी और पारंपरिक जीवन के तरीकों को दर्शाता है। ऐसे जातक जीवन किसी भी प्रकार के परिवर्तन को पसंद नहीं करते हैं और एक स्थिर जीवन शैली को अपनाते हैं। ऐसे जातकों का पारिवारिक जीवन समस्याओं, जिम्मेदारियों और तनाव से ग्रस्त होता है।

Q. क्या चतुर्थ भाव अशुभ होता है?

An. नहीं, कुंडली के प्रत्येक भाव का अपना एक महत्व होता है, यानी हमारी जन्म कुंडली में, कोई भी व्यर्थ नहीं होता, जैसे कोई भाव धन से संबंधित जानकारी देता है तो, व्यवसाय या नौकरी या कोई भाव हमारे पारिवारिक मामलों को संदर्भित करता है। वेसे ही, चतुर्थ भाव भी महत्वपूर्ण है जो कि माता से सम्बन्धित होता है।

Q. चतुर्थ भाव पर कौन सी राशि के के द्वारा शासित होता है?

An. जन्म कुंडली के चौथे भाव पर कर्क राशि का नियंत्रण रहता है! जिसके स्वामी ग्रह चंद्रमा है।


Q- चतुर्थ भाव में कौन सा ग्रह अच्छा है?

An- कुंडली में चतुर्थ भाव, चतुर्थ भाव का स्वामी, मंगल और शनि जितने बलवान और शुभ ग्रहों के प्रभाव में होंगे, उस व्यक्ति का स्वयं का मकान बनने की उतनी ही अधिक संभावना होती है।

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