Conjunction of Sun and Venus | कुंडली में सूर्य-शुक्र की युति का कैसा है प्रभाव

सूर्य-शुक्र की युति

कुंडली के विभिन्न भावों में सूर्य-शुक्र की युति- ज्योतिष शास्त्र का ज्ञान बहुत ही विशाल व विस्तृत होता है। इसी विशेष ज्ञान से हमें जानकारी मिलती है कि कुंडली के किसी भी भाव में जब कोई दो ग्रहों की युति बनती है तो, यह जातक के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। ज्योतिष में शुक्र ग्रह को प्रेम, सुन्दरता और कलात्मकता देने वाला ग्रह माना जाता है, जबकि सूर्य को मान-सम्मान और पिता का कारक ग्रह कहा गया है। यदि ये दोनों ग्रह कुंडली के किसी भाव में विराजमान होते है, तो इसका प्रभाव जातक के जीवन को व उससे जुड़े कई क्षेत्रों को प्रभावित करते हैं। सूर्य-मंगल  यह जातकों के लिए अच्छे परिणाम देते हैं जो अपने व्यक्तित्व को निखारना चाहते हैं। वहीं दूसरी ओर इस युति के अशुभ प्रभाव में अपनों के साथ मधुर संबंध बनाए रखने के लिए जातक को संघर्ष की स्थिति का सामना करना पड़ सकता है।

गौर करने वाली बात यह है कि वैसे तो ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक सूर्य और शुक्र दोनों  ही बहुत शुभ ग्रह होते है। लेकिन इन दोनों ही ग्रहों का साथ में मिलना शुभ नहीं होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि जब, शुक्र ग्रह, सूर्य के करीब आता है तो वो अस्त अवस्था में चला जाता है और अपने शुभ प्रभाव को खोने लगता है। ऐसे में यह अवधि ज्यादा अनुकूल परिणाम नहीं देती है।

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ज्योतिष में, सूर्य ग्रह को अग्नि तत्व की संज्ञा दी गई है जबकि शुक्र ग्रह की बात की जाए तो, वह जल तत्व से संबंधित ग्रह है। इसके साथ ही, यह भी जानने वाली बात है कि शुक्र ग्रह को एक शुभ ग्रह का दर्जा दिया गया है और सूर्य के साथ आने पर यह अस्त हो जाता है तो उसके साथ ही उसके शुभ प्रभावों का अस्त होना भी स्वाभाविक है। इसी के साथ ज्योतिष शास्त्र में इस तथ्य का उल्लेख किया गया है कि, कर्क राशि में जब सूर्य और शुक्र के एक साथ आते हैं तो ‘राजभंग योग’ का निर्माण होता है।आइये अब हम इस लेख के अंतर्गत जानते हैं कि कुंडली के विभिन्न भावों में इस युति का क्या परिणाम देखने को मिलेगा।

ज्योतिष की गणना में, सूर्य व शुक्र के कुंडली के पहले भाव में होने पर यह जातक को बहुत अच्छे परिणाम देता है।

जिसे जातक के जन्मजात गुण के रूप में भी देखा जा सकता है। ऐसे जातक शारीरिक रूप से बहुत आकर्षक होता है।

साथ ही ये जातक कई प्रकार के रचनात्मक गुणों से भी संपन्न होते है। इन जातकों की वाणी मधुर और प्रभावित करने वाली होती है। ये जातक कला और संस्कृति के क्षेत्र में अधिक रूचि रखने वाले होंगे। युति के शुभ प्रभाव से जातक अच्छे पद पर कार्यरत होंगे, व समूह का नेतृत्व करने की अच्छी समझ रखने वाले होंगे।

कुंडली के दूसरे भाव में सूर्य के साथ शुक्र ग्रह का होना, जातक को पारिवारिक स्नेह व सहयोग प्रदान करने वाला है। ज्योतिष में कुंडली के दूसरे भाव को भाषा का भाव कहते हैं जो, जातक को वाणी के साथ नेतृत्व का गुण भी देता है।

ऐसा जातक एक अच्छा वक्ता होता है। सूर्य व शुक्र की युति जातक को अपने भौतिक और व्यक्तिगत जीवन को सुचारू रूप से संतुलित करने में सहायक होती है। साथ ही ऐसे जातक एक आकर्षक व्यक्तित्व के धनी होते हैं; जो आसपास के लोगों को आसानी से अपनी ओर आकर्षित या मोहित कर लेते है। 

कुंडली के तीसरे भाव में सूर्य-शुक्र की युति से प्रभावित जातक मिले-जुले परिणाम प्राप्त करते है। ऐसे जातकों को बहुत मान-सम्मान व ख्याति मिलती है। साथ ही उनकी मानसिक शक्ति बहुत प्रभावशाली होती है जो समाज में उनकी एक अलग पहचान व प्रतिष्ठा बनाए रखने में सक्षम होती है। ऐसे जातक अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने वाला होता है।

अपने कार्य क्षेत्र में भी ऐसे जातक अपनी मेहनत के बल पर सफलता प्राप्त करते हैं। एक साथ कई वस्तुओं का ज्ञान व कौशल के कारण इन जातकों को एक ही काम पर ध्यान केंद्रित करने में कुछ मुश्किल महसूस होती है लेकिन ऐसे जातक एक साथ कई चीजों को करने का हुनर रखने वाले होते हैं।

कुंडली के चौथे भाव में सूर्य के साथ शुक्र का योग जातक को कुछ मामलों में चुनौतीपूर्ण परिणाम दे सकता है। इन जातकों को भौतिकता का लाभ तो मिलता है; लेकिन साथ में उसका सुख पाने के लिए बहुत संघर्ष का सामना करना पड़ता है।

सूर्य व शुक्र के प्रभाव से परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी होगी लेकिन अशुभ प्रभाव में माता-पिता के स्वास्थ्य को लेकर कुछ समस्या हो सकती है। जातकों पैतृक संपत्ति का सुख मिल सकता है। आराम के साथ-साथ विलासिता भी प्राप्त होगी। इन जातकों को धन-संपत्ति की प्राप्ति होगी व जीवन में नौकरों का सुख भी प्राप्त करेंगे।

जन्म कुंडली के पांचवे भाव में सूर्य-शुक्र की युति में सूर्य का होना, जातक के लिए बहुत महत्वपूर्ण सिद्ध होता है। इस भाव से जातक के रचनात्मक होने के गुण के बारे में ज्ञान मिलता है साथ ही ऐसे जातक कई अच्छे विचार से परिपूर्ण होते हैं।

एन जातकों का कला, चित्रकला, कविता व मनोरंजन की ओर अधिक रुझान रहता है। साथ ही इन जातकों का व्यक्तित्व समूह के बीच अलग दिखने वाला होता है। एन जातकों का धार्मिकता में अधिक विश्वास होता है; और वे एक विद्वान व मंत्रों का अच्छा ज्ञाता हो सकता है।

कुंडली के छठे भाव में सूर्य के साथ शुक्र का होना जातक के लिए नाम एवं प्रसिद्धि दिलाने वाला होता है। ऐसे जातक अपने आसपास की चीजों के प्रति अधिक सजग नहीं रहते हैं इस लापरवाही के कारण वें अक्सर दूसरों से परेशान हो सकते हैं। ज्योतिष की सलाह में इन जातकों को स्वास्थ्य के प्रति सजग रहने की आवश्यकता है। सूर्य के शुभ प्रभाव से जातक शत्रुओं को समाप्त करने में सफल रहते है। साथ ही कानूनी या राजनीति के मामलों में सफलता मिलेगी।

सातवें भाव में सूर्य-शुक्र की युति से जातक को उसके वैवाहिक जीवन में मिले-जुले प्रभाव देखने को मिलेंगे। वैवाहिक जीवन में उन्हें अपने साथ से अच्छा प्रेम व सहयोग प्राप्त होता है; लेकिन कुछ विपरीत प्रभाव के चलते अलगाव या मनमुटाव के योग भी बन सकते हैं। ऐसे जातक कुछ मामलों को लेकर काफी अंतर्मुखी भी हो सकते हैं। वित्तीय मामलों को लेकर चीजें अच्छी रहेगी। परिवार में कभी-कभी संपत्ति को लेकर पारिवारिक विवाद हो सकते हैं; जिसके कारण व्यर्थ की चिंता भी हो सकती है।

कुंडली के आठवें भाव में सूर्य के साथ शुक्र का होना जातक के लिए कई तरह के परिणाम देने वाला होता है। इस युति से प्रभावित जातक प्रेम संबंधों में बहुत लकी होते हैं। इसके अलावा जातकों को अपने परिवार के साथ संबंधों को लेकर कुछ तनाव का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे जातक मानसिक रूप से कुछ अशांत महसूस करते हैं। जिसके कारण जातक की प्रतिभा को उचित सराहना नहीं मिल पाती है।

कुंडली के नौवें भाव में सूर्य के साथ शुक्र की युति होने पर जातक को भाग्य का अच्छा साथ मिलता है। इसी के साथ जातक वरिष्ठों के लिए मान-सम्मान की भावना रखने वाला होता है। ऐसे जातक का व्यक्तित्व बहुत आकर्षक होता है और वें विपरीत लिंग के प्रति अच्छा आकर्षण रखने वाला होता है। युति के प्रभाव में जातक अहं केंद्रित होने वाला होता है।

जातक के विवाह में कुछ समस्याएं आ सकती है। परिवार में भाई-बहनों के साथ अच्छे संबंध रहेंगे।

जन्म कुंडली के दसवें भाव में सूर्य के साथ शुक्र का होना जातक को प्रसिद्धि दिलाने वाला होता है। ऐसे जातक सूर्य के समान तेज व आकर्षक व्यक्तित्व के होते है। ऐसे जातक के लिए अपने परिवार के प्रति जिम्मेदारी और विश्वास सर्वोपरि होता है। साथ ही ऐसे जातक अपने आस-पास की घटनाओं को नियंत्रित करने में बहुत कुशल होते हैं। इन जातकों को  सरकार व बड़े अधिकारि वर्ग के साथ मिलकर कार्य करने पर अच्छा लाभ प्राप्त होगा।

ग्यारहवें भाव में सूर्य और शुक्र की युति जातक को बहुत रोमांटिक बनाती है। इस बीच प्यार की तलाश की जाती है. आमतौर पर शादियां अपने से कम उम्र के व्यक्ति से ही बनती हैं। अंतर्राष्ट्रीय मामलों में काफी रुचि हो सकती है। इस संयोग के दौरान जातकों की रुचि शिक्षा क्षेत्र में बढ़ती है। इस युति के दौरान लोगों से जुड़ने की क्षमता बढ़ती है। 

सूर्य-शुक्र की युति

यदि बारहवें भाव में सूर्य और शुक्र की युति हो तो ऐसे जातक को कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। जातक को करियर में सफलता मिल सकती है। पारिवारिक मामलों को लेकर जीवनसाथी से विवाद हो सकता है। परिवार में पिता के स्वास्थ्य को लेकर चिंताएं बढ़ सकती हैं। जीवनसाथी बिना सोचे-समझे खर्च करेंगे, जिससे आर्थिक परेशानी हो सकती है। 

ज्योतिष में सूर्य ग्रह का शुक्र ग्रह के साथ होना जातक के भौतिक सुख में कमी को दर्शाता है। ऐसे में शुक्र ग्रह को मजबूत करने के लिए हमारे वरिष्ट आचार्यों द्वारा कुछ आसान से उपाय बताए गए है- जो कुछ इस प्रकार है। 

  1. शुक्र ग्रह को मजबूत करने के लिए जातक सोने व चांदी के आभूषण धारण कर सकते हैं। 
  2. सूर्य व शुक्र ग्रह के अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए प्रतिदिन सूर्योदय पर सूर्यदेव को अर्घ्य दें और दान करें।
  3. मां दुर्गा की विधिवत पूजा करें। 
  4. महिलाओं की विशेष तौर पर इज्जत करें और उन्हें कभी भी किसी तरह का दुख या तकलीफ ना दें। 
  5. अपने पिता का आदर व सम्मान करें जिससे कि रिश्ते में किसी प्रकार का मनमुटाव ना हो। 
  6. भोजन के पहले पहली रोटी गौ माता के लिए निकालें।


Q. सूर्य और शुक्र की युति से कौन सा योग बनता है?

An. वैदिक ज्योतिष के अनुसार, शुक्र व सूर्य की युति से राजभंग योग बनता है। जो मेष राशि, कर्क राशि, तुला राशि और धनु राशि वालों के लिए अच्छा माना जाता है।

Q. ज्योतिष में, सूर्य और शुक्र की युति का क्या अर्थ है?

An. सूर्य-मंगल यह जातकों के लिए अच्छे परिणाम देते हैं जो अपने व्यक्तित्व को निखारना चाहते हैं। वहीं दूसरी ओर इस युति के अशुभ प्रभाव में अपनों के साथ मधुर संबंध बनाए रखने के लिए जातक को संघर्ष की स्थिति का सामना करना पड़ सकता है।

Q. सूर्य और शुक्र की युति के अशुभ प्रभाव हेतु क्या उपाय है?

An.  सूर्य व शुक्र ग्रह को मजबूत करने के लिए जातक सोने व चांदी के आभूषण धारण कर सकते हैं। सूर्य व शुक्र ग्रह के अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए प्रतिदिन सूर्योदय पर सूर्यदेव को अर्घ्य दें और दान करें। इसके साथ ही मां दुर्गा की विधिवत पूजा करें। व अन्य ज्योतिष उपाय बताए गए हैं।

Q. क्या सूर्य और शुक्र मित्र ग्रह हैं?

An. ज्योतिष में शुक्र का मूल, त्रिकोण तुला है और वें शनि तथा बुध से मित्रता रखता है। जबकि शुक्र, सूर्य और चंद्रमा का शत्रु है।

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