Conjunction of Sun and Jupiter | कुंडली के विभिन्न भावों में सूर्य और गुरु की लाभकारी युति

सूर्य व बृहस्पति

कुंडली के विभिन्न भावों में सूर्य व बृहस्पति की युति: वैदिक ज्योतिष के अनुसार जब भी कोई दो ग्रह  गोचर में युति बनाते हैं तो वें जातक के जीवन को प्रभावित करते हैं जिसका सीधा असर मानव जीवन व पृथ्वी पर पड़ता है। इसी प्रकार बृहस्पति और सूर्य ग्रह का एक ही भाव में युति करना वैदिक ज्योतिष की दृष्टि में बहुत शुभ माना जाता है। क्योंकि ये दोनों ग्रह परस्पर मित्रता के भाव में होते है अर्थात इन दोनों ग्रहों के बीच मित्रता का भाव होता है। जिस प्रकार बृहस्पति यानी गुरु जहां जातक को नैतिक आचरण वाला बनाते है। वहीं सूर्य देव जातक का आत्मविश्वास बढ़ाते हैं। अत: इस महत्वपूर्ण संयोग या युति का प्रभाव सभी जातकों पर निश्चित रूप से शुभ फल देने वाला होता है।

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ज्योतिष शास्त्र में सूर्य देव को जातक के पद-प्रतिष्ठा, सफलता, साहस और आत्मविश्वास का कारक ग्रह माना गया है। वहीं, बृहस्पति यानी देव गुरु, जातक के सुख, धन, वैभव-संपत्ति, वैवाहिक जीवन और संतान के कारक ग्रह माने गए हैं। इन दोनों ग्रहों की युति सभी राशियों के साथ-साथ कुंडली के सभी भावों को भी प्रभावित करती है। ‘मंगल भवन’ के इस लेख में आज हम सूर्य व बृहस्पति की युति  कुंडली के सभी भावों पर क्या-क्या शुभ-अशुभ प्रभाव होंगे इस बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे-

जन्म कुंडली के पहले भाव में यदि सूर्य-बृहस्पति की युति बन रही हो तो यह जातक को उच्च आत्मसम्मान प्रदान करने वाली होगी। ऐसे जातक को किसी अंतरराष्ट्रीय संस्था या किसी उच्च स्थान से जुड़ने का अवसर मिल सकता है। सूर्य-बृहस्पति की युति जातक के स्वास्थ्य के लिए भी अच्छी मानी जाती है। इसके साथ ही ऐसे जातक एक अच्छे व्यक्तित्व के धनी होते हैं। यदि कोई जातक किसी बीमारी से परेशान है तो वह जल्द ही ठीक हो जाएगा। ऐसे जातक अपने जीवन में निश्चित सिद्धांत व नियमों का पालन करने वाले होते हैं। कुल-मिलाकर हम यह कह सकते हैं कि सूर्य-बृहस्पति की युति कुंडली के पहले भाव में शुभ परिणाम देने वाली होगी।

ज्योतिष शास्त्र में, कुंडली के दूसरे भाव में सूर्य-बृहस्पति की युति जातकों को धन कमाने के मार्ग में सहायक सिद्ध होगी। ऐसे जातक आर्थिक रूप से सफल होते है। साथ ही ऐसे जातक को अपने परिवार और जीवनसाथी से पूरा सहयोग मिलेगा। हालांकि अन्य लोगों से वाद-विवाद की स्थिति हो सकती है। इसके साथ ही जातक की माता पक्ष को स्वास्थ्य संबंधी कुछ समस्याएं हो सकती है। सूर्य-बृहस्पति की युति के शुभ प्रभाव से जातक धन अर्जित करने में सफलता प्राप्त करते हैं।

जन्म कुंडली के तीसरे भाव में सूर्य व गुरु की युति, जातक के छोटे भाई के लिए लाभदायक होती है। इसके साथ ही ऐसे जातक कार्य करने के मामलों में बहुत आलसी होते हैं। समाज सेवा का भाव होता है जिस कारण सामाजिक निर्माण के कार्यों पर ऐसे जातक धन खर्च करने में रुचि लेते हैं। बृहस्पति के शुभ प्रभाव से ऐसे जातक का वैवाहिक जीवन सुखी व खुशहाल रहेगा। युति के शुभ प्रभाव से आर्थिक स्थिति समय के साथ अच्छी होगी। हालांकि जातक को स्वास्थ्य संबंधी कुछ छोटी-मोटी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे जातकों को सभी कार्यों में अपने परिवार का अच्छा सहयोग प्राप्त होता है। 

कुंडली के चौथे भाव में सूर्य-बृहस्पति की युति से प्रभावित जातक को अपने जीवन में लाभ प्राप्त करने के कई अच्छे अवसर मिलेंगे। ऐसे जातक, चारों ओर से प्रसिद्धि प्राप्त करते हैं। जिन जातकों के जीवन में पुराने मतभेद या विवाद चल रहा हो उनकों सुलझाने के लिए यह समय अच्छा है। ऐसे जातक धन-संचय करने में सक्षम होंगे जिससे उनकी आर्थिक स्थिति अच्छी होगी। सूर्य के शुभ प्रभाव से समाज में  मान-प्रतिष्ठा बढ़ेगी। व्यवसाय संबंधी या अन्य निवेश के लिए भी यह समय बहुत अनुकूल रहेगा। कुंडली के चौथे भाव में सूर्य-बृहस्पति की युति से जातक को शुभ फलों की प्राप्ति होगी।

जन्म कुंडली के पांचवे भाव में यदि सूर्य-बृहस्पति की युति बन रही हो तो ऐसे जातक बहुत भाग्यशाली होते हैं साथ ही इन जातकों को भाग्य का साथ मिलता है व बहुत सफलता हासिल करते हैं। अपने कार्यक्षेत्र में सुधार होगा। जिससे जातक की आय में वृद्धि होगी। इसके अलावा जातक को सरकारी नौकरी में पदोन्नति मिल सकती है। ऐसे जातक समाज में बड़ी सफलता पूर्वक अपनी अलग पहचान बनाते हैं। पांचवे भाव में सूर्य के साथ बृहस्पति की युति जातक के लिए शुभ परिणाम देने वाली होगी।

कुंडली के छठे भाव में सूर्य-बृहस्पति की युति जातक के लिए बहुत ही शुभ साबित होगी। ऐसे जातक को शत्रु पक्ष से कभी हार का सामना नहीं करना पड़ता। भाग्य का भी भरपूर साथ मिलता है। कार्यक्षेत्र में ऐसे जातक बड़ी ही सफलता पूर्वक कार्य  करते हैं; जिससे बहुत प्रसिद्धि मिलती है। इसके साथ ही जातक हर कार्य में सफलता प्राप्त कर नई उपलब्धियां हासिल करता है। 

कुंडली के सातवें भाव में सूर्य-बृहस्पति की युति से जातक को बहुत अच्छा व अनुकूल समय देखने को मिलेगा। कहीं पूंजी में किया गया निवेश इन जातकों को बहुत ही अच्छा लाभ दे सकता है। किसी भी निवेश से अच्छा धन लाभ मिलेगा। इसके साथ ही पूर्व में किए गए प्रयासों का भी बहुत अच्छा परिणाम मिलेगा। जातक अपने करियर सम्बन्ध में अच्छी प्रगति करेंगे। वेतन वृद्धि होगी। प्रेम जीवन में कुछ समस्याओं के चलते मनमुटाव की स्थिति आ सकती हैं। 

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कुंडली में आठवां भाव विरासत का भाव कहलाता है। इस भाव में सूर्य व बृहस्पति की युति से प्रभावित जातक को अपने करियर में अच्छी सफलता प्राप्त होती है। साथ ही व्यापार व्यवसाय को बढ़ाने व लाभ प्राप्त करने की दृष्टि से भी यह समय में सफलता दिलाएगा। कार्यस्थल संबंधी मामलों में जीवनसाथी का पूरा सहयोग मिलेगा। धन-संपदा में वृद्धि होगी। वैवाहिक जीवन बहुत अच्छा रहेगा। ऐसे जातकों को कार्यक्षेत्र में पदोन्नति मिल सकती है।

कुंडली के नौवें भाव को ज्योतिष में भाग्य  का भाव माना गया है; ऐसे में  सूर्य-बृहस्पति की युति जातक को लाभ प्रदान करती है। इस अवधि में जातक को व्यापार\व्यवसाय में बहुत मुनाफा हो सकता है। आय में वृद्धि होगी व आय के नए-नए  स्रोत बनेंगे। इसके साथ ही पूंजी या किसी प्रॉपर्टी में किया गया निवेश आपको अच्छा लाभ दे सकता है। अतः हम कह सकते हैं कि नौवें भाव में सूर्य व बृहस्पति की युति जातक के लिए लाभकारी साबित होगी। 

कुंडली के दसवें भाव में सूर्य और बृहस्पति की युति, जातक के कार्यकुशलता, करियर और नौकरी में लाभ प्रदान करने वाली होगी। इस अवधि में जातक की कार्यक्षमता व दृढ़ निश्चय की क्षमता का विकास होगा। ऐसे जातक कार्यस्थल पर अपनी कुशल कार्य क्षमता के कारण अधिकारी वर्ग को खुश रखने में सफल होंगे। साथ ही नई नौकरी का ऑफर आ सकता है या वेतन में वृद्धि मिल सकती है। युति के शुभ प्रभाव से व्यवसाय में भी आशा से दुगनी सफलता व लाभ मिलेगा। जातक यदि कोई नया व्यवसाय प्रारंभ करने के विचार में है तो; यह समय अनुकूल रहेगा। 

सूर्य व बृहस्पति

ज्योतिष में कुंडली का ग्यारहवां भाव ऐसा भाव माना गया है; जहां सूर्य व बृहस्पति की युति विशेष लाभ देने वाली मानी जाती है। इस भाव में लगभग सभी ग्रह शुभ फल देते हैं। युति के अच्छे प्रभाव में जातक के जीवन में आर्थिक सफलता और सुख-समृद्धि आएगी। जातक की लोकप्रियता बढ़ेगी। वैवाहिक जीवन भी खुशहाल रहेगा। ऐसे जातक सफल लोगों के संपर्क में आने से अच्छा, लाभ कमाएंगे। साथ ही जातक को व्यवसाय में भी अच्छी सफलता मिलेगी। 

ज्योतिष शास्त्र के कथन अनुसार, कुंडली का बारहवां भाव मुक्ति का भाव कहलाता है। इस महत्वपूर्ण भाव में सूर्य व बृहस्पति यानी गुरु की युति जातक को अच्छी सफलता देती है। हालाँकि जातक को आर्थिक हानि उठानी पड़ सकती है। इसके साथ जातक को आध्यात्मिक गुरु के रूप में भी प्रसिद्धि मिल सकती है। स्वास्थ्य के सम्बन्ध में कुछ खर्चे बढ़ सकते हैं। वैवाहिक जीवन में कुछ परेशानियां आ सकती हैं।


Q. सूर्य व बृहस्पति की युति हो तो क्या प्रभाव पड़ता है?

An. ज्योतिष के अनुसार जब भी कोई दो ग्रह गोचर में  युति बनाते हैं तो वें जातक के जीवन को प्रभावित करते हैं जिसका सीधा असर मानव जीवन व पृथ्वी पर पड़ता है। इसी प्रकार बृहस्पति और सूर्य ग्रह का एक ही भाव में युति करना वैदिक ज्योतिष की दृष्टि में बहुत शुभ माना जाता है। क्योंकि ये दोनों ग्रह परस्पर मित्रता के भाव में होते है।

Q. क्या, सूर्य व बृहस्पति की युति शुभ परिणाम देती है?

An. हां, सूर्य व बृहस्पति की युति जातक को शुभ परिणाम देती है। क्योंकि सूर्य व बृहस्पति परस्पर मित्रता का भाव रखते हैं अतः जातक को शुभ फलों की प्राप्ति होती है।

Q. क्या, सूर्य व बृहस्पति दोनों मित्र ग्रह है?

An. हां, सूर्य व बृहस्पति दोनों मित्र ग्रह होते है।

Q. कुंडली के अंतिम यानी बारहवें भाव में सूर्य-बृहस्पति की युति का क्या प्रभाव होता है?

An. कुंडली का बारहवां भाव मुक्ति का भाव कहलाता है। इस महत्वपूर्ण भाव में सूर्य व बृहस्पति यानी गुरु की युति जातक को अच्छी सफलता देती है। हालाँकि जातक को आर्थिक हानि उठानी पड़ सकती है।

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