कुंडली के 12 भावों में शनि व मंगल की युति: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, यदि किसी जातक की जन्म कुंडली में शनि और मंगल की युति बन रही हो तो ऐसे जातक उच्च पद और कर्मठ प्रधान होते हैं। लेकिन यह स्थिति जातकों को कुछ नकारात्मक प्रभाव भी देती है। किसी जातक की कुंडली में यदि शनि और मंगल की युति लग्न में हो, तो ऐसा जातक स्वभाव से हर कार्य को ईमानदारी और समय पर पूर्ण करने वाला व सैद्धांतिक रूप से मजबूत होता है।
‘मंगल भवन’ के इस लेख में आज हम कुंडली के 12 भावों में शनि व मंगल की साथ में युति व प्रभाव के बारे में पढ़ेंगे-
वैदिक ज्योतिष में, शनि और मंगल को शत्रु ग्रह के रूप में जाना जाता है, इसलिए इन दोनों ग्रहों के साथ में युति को शुभ नहीं माना जाता है। मंगल व शनि का साथ होना जातक के लिए एक कठिन स्थिति को दर्शाती है। मंगल एक अग्नि तत्व प्रधान ग्रह कहलाता है। जो कि स्वभाव से बहुत हिंसक होता है। इसी के साथ शनि को एक क्रूर ग्रह की संज्ञा प्राप्त है। इस तरह देखा जाए तो इन दोनों का एक साथ होना कुंडली के किसी भी भाव में उनके फलों को कमजोर कर सकता है।
इसके साथ ही शनि व मंगल इन दोनों ही ग्रहों की शक्ति में जो द्वंद है। जातक को उसके बहुत ही नकारात्मक परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। इन दोनों ग्रहों की युति से जीवन में किसी भी तरह की उथल-पुथल पैदा कर सकता है। इसके अलावा भी कई सारे दुष्परिणाम व हिंसक घटनाओं में वृद्धि भी इस योग के होने से देखने को मिलती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जातक के जीवन में मंगल और शनि की युति से कई अचानक घटित होने वाली घटनाओं के योग निर्मित होते हैं। इसके अलावा यह युति दांपत्य जीवन, नौकरी, व्यापार, संतान और घर संबंधित मामलों के लिए भी शुभ नहीं मानी जाती है।
कुंडली के 12 भावों में शनि और मंगल की युति
प्रथम भाव: शनि और मंगल की युति
वैदिक ज्योतिष के अनुसार, कुंडली के पहले भाव यानी लग्न भाव में शनि और मंगल की युति का योग जातक को बेचैन बना सकता है। अपने आसपास घटित होने वाली घटनाओं से बहुत आतुर व परेशान हो जाते हैं। ऐसे जातक दूसरों के साथ नियंत्रण को समझ नहीं पाता है। हालांकि कई मामलों में इन जातकों में गंभीरता भी देखी जा सकती है जिससे कि ये जातक जिम्मेदार स्वभाव के हो जाते है। लेकिन अधिकांश मामलों में उन्हें अस्थिर व असंतोषजनक स्थिति में ही देखा गया है। शनि से अच्छे गुणों से प्रभावित जातक न्याय के मार्ग पर चलता है। इन जातकों में ज्ञान व शक्ति दोनों ही गुण पाए जाते हैं। ऐसे जातक बहुत प्रतिष्ठा तो प्राप्त करते हैं लेकिन जीवन में उचित निर्णय लेने में कमजोर होते है।
दूसरे भाव: शनि और मंगल की युति
जन्म कुंडली के दूसरे भाव में शनि और मंगल की युति का प्रभाव जातक के पारिवारिक सुख को प्रभावित करता है। ऐसे जातक को अपने परिवार से अधिक सुख नहीं मिल पाता है। इसके साथ ही ऐसे जातक अपने स्वयं की मेहनत व बल पर धन-संपत्ति अर्जित करते है। ज्योतिष के अनुसार ये जातक सदैव दूसरों के काम में उनकी सहायता करते हैं; लेकिन उनकी स्वयं की सहायता करने वालों की संख्या कम होती है। साथ ही ऐसे जातक अपने ससुराल पक्ष से भी सुखी नहीं रहते, कुछ न कुछ अनबन झेलनी पड़ सकती है। दूसरे भाव में मंगल और शनि की युति स्वास्थ्य को प्रभावित नहीं करती है।
तीसरे भाव: शनि और मंगल की युति
कुंडली के तीसरे भाव में शनि और मंगल की युति से प्रभावित जातक अपनी मेहनत से धन कमाने के लिए प्रेरित रहते है। शनि के शुभ प्रभाव से इन जातकों को शक्ति एवं बुद्धि प्राप्त होती है। साथ ही ये जातक पराक्रमी और मेहनती होते है। जिससे उन्हें अच्छा धन लाभ प्राप्त होता है। परिवार में अपने भाई-बहनों से थोड़ी अनबन की स्थिति देखी जा सकती है। स्वभाव से ये जातक कुछ जिद्दी होते हैं जिससे परिवार में अशांति भी हो सकती हैं। ये जातक कार्य के मामलों में यात्रा भी अधिक करते हैं।
चौथे भाव में: शनि और मंगल की युति
कुंडली के चौथे भाव में शनि और मंगल की युति से प्रभावित जातक धन संपदा प्राप्त करते है। ऐसे जातक अपनी माता के निर्देशानुसार कार्य करने वाले होते है। ऐसे जातकों का मन धार्मिक कार्यों में अधिक रहता है साथ ही ये उनके जीवन में सुख की कमी का अनुभव भी करते सकते है। ऐसे जातक अपने बड़े बुजुर्गों के प्रति मान-सम्मान का भाव रखने वाले होते है। स्वास्थ्य संबंधी बात करें तो इन जातकों को हृदय व छाति से संबंधित रोग परेशान कर सकते है। इसके अलावा ये जातक कोई व्यसन या नशीले पदार्थ की लत में भी हो सकते हैं। ऐसे जातक प्रायः घर-परिवार से दूर रहकर धन कमाते है।
पांचवां भाव: शनि और मंगल की युति
कुंडली के पांचवें भाव में शनि और मंगल की युति से प्रभावित जातक साहसी व शक्तिशाली होते है।
ज्योतिष के अनुसार, इन जातकों को अपने प्रेम संबंधों के मामले में कुछ परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। संतान सुख मिलने में कुछ समस्या हो सकती है। इसके साथ ही इन जातकों को विज्ञान और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में प्रशंसनीय सफलता मिल सकती है। अक्सर, इन जातकों में दूसरों के लिए परोपकार व सहायता करने का भाव रहता है।
छठवें भाव में शनि और मंगल की युति
जन्म कुंडली के छठे भाव में शनि और मंगल की युति से प्रभावित जातक ज्ञान और शक्ति से परिपूर्ण होते है। मंगल व शनि की युति से इन जातकों को धन व लाभ की प्राप्ति होती है। कई बार वें अपने शत्रुओं से भी लाभ अर्जित कर लेते हैं। ज्योतिष की सलाह अनुसार, इन जातकों को वाहन चलाते समय सावधानी बरतनी चाहिए जिससे किसी प्रकार की चोट या दुर्घटना से बचाव किया जा सके। इसके अलावा युति के कारण छोटे-छोटे रोगों का डर परेशान कर सकता है।
सातवां भाव: शनि और मंगल की युति
कुंडली के सातवें भाव में शनि और मंगल की युति से प्रभावित जातक के वैवाहिक जीवन में कुछ परेशानियां आ सकती है। प्रेम संबंधों में जातक विरोधाभास की स्थिति देख सकते है। इन जातकों का जीवन साथी आकर्षक और सुंदर होता है। इसके साथ वें कार्य क्षेत्र या व्यवसाय संबंधी मामलों में सफलता के लिए संघर्ष कर सकते है। प्रतिस्पर्धा में भी ऐसे जातक आगे रहते हैं। व्यक्ति किसी न किसी प्रकार के व्यसन पदार्थ में ग्रस्त रह सकता है।
आठवें भाव: शनि और मंगल की युति
जन्म कुंडली के आठवें भाव में शनि और मंगल की युति के प्रभाव से जातक को धनवान और लोकप्रिय होने की क्षमता मिलती है। इस योग से जातक अपने व्यापार में सफलता हासिल करते है। साथ ही ऐसे जातक दीर्घायु होते है। शोध व अनुसंधान के क्षेत्र में उनकी अच्छी रूचि होती है; जो उन्हें सफल बनाती है। मंगल व शनि की युति के कारण जातक को कुछ स्वास्थ्य संबंधी परेशानी हो सकती है। ग्रहों के नकारात्मक गुणों के कारण, कभी-कभी ऐसे जातक अपने धन का सुख नहीं भोग पाते हैं।
नौवें भाव: शनि और मंगल की युति
कुंडली के नौवें भाव में शनि और मंगल की युति से प्रभावित जातक धार्मिक प्रवृत्ति का होता है। इस दौरान जातक को कुछ आर्थिक परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। प्रायः परिवार में जातक का अपने भाई-बहनों से मतभेद होता रहता है। ऐसे जातक आध्यात्मिक कार्यों में अग्रसर रहते हैं।
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दसवें भाव: शनि और मंगल की युति
जन्म कुंडली के दसवें भाव में शनि और मंगल की युति के प्रभाव से जातक हर क्षेत्र में कई तरह की सफलता प्राप्त करता है। सरकारी कोर्ट-कचहरी व न्यायालय से संबंधित क्षेत्रों में, सरकार, पुलिस या मुकदमा संबंधी क्षेत्र में सफलता मिलती है। ज्योतिष की गणना के अनुसार, इस योग से जातक को आर्थिक समस्याओं का भी सामना करना पड़ सकता है या फिर कर्ज भी हो सकता है।
ग्यारहवां भाव : शनि और मंगल की युति
जन्म कुंडली का ग्यारहवें भाव में शनि व मंगल की युति से प्रभावित जातक परिश्रमी होते हैं; जो अपनी मेहनत से धन कमाने की क्षमता रखते हैं। इस युति के कारण जातकों को पेट संबंधी बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है। इसके साथ ही ऐसे जातकों को समाज में सम्मान नहीं मिलता है।
बारहवां भाव : शनि और मंगल की युति
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जन्म कुंडली के बारहवें भाव में शनि और मंगल की युति से प्रभावित जातक शिक्षा के क्षेत्र में सफलता प्राप्त करते है। इस दौरान शत्रु पक्ष भी उनकों हरा नहीं सकते हैं। दुर्घटना से बचने हेतु, वाहन चलाते समय सतर्क रहें।
निष्कर्ष
वैदिक ज्योतिष के अनुसार, जब कोई दो या दो से अधिक ग्रह एक साथ आते हैं तो वे आपस में युति बनाते हैं। इस युति का प्रभाव जातक की कुंडली में सभी भावों के गुणों को प्रभावित करता है। किन्तु यदि ग्रहों के भी समान गुण हो तो जातक नकारात्मक या सकारात्मक रूप से प्रभावित होता है। मंगल और शनि की युति से भी जातक को मिला-जुला परिणाम प्राप्त होता है। कुल मिलाकर कहा जा सकता है, यह युति अधिक शुभ तो नहीं मानी जाती है परन्तु ज्योतिष के माध्यम व परामर्श से हम इसके दुष्परिणाम को कम कर सकते है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न–FAQ
Q. शनि और मंगल की युति से कौन सा योग बनता है?
An. मंगल-शनि की युति से अशुभ षडाष्टक योग बनता है। जब कोई भी ग्रह एक राशि से दूसरी राशि में जाता है तो कई अलग-अलग शुभ और अशुभ योगों का निर्माण होता है।
Q.क्या मंगल, शनि का शत्रु है?
An. शनि और मंगल शत्रु ग्रह माने जाते हैं। क्योंकि, शनि दरिद्रता का कारक है और मंगल सभी हिंसा और संघर्षों के लिए जिम्मेदार है। इस योग शनि और मंगल की युति से बनने वाले, सबसे अशुभ योगों में से एक है।
Q. मंगल और शनि की युति वर्ष में कितनी बार होती है?
An. मंगल लगभग दो वर्ष में एक बार शनि के साथ संरेखित होता है। हालांकि, कभी-कभी, एक या दोनों ग्रहों की प्रतिगामी गति के कारण, ऐसी संरेखण केवल कुछ महीनों के अंतर पर हो जाती है।
Q. क्या शनि व मंगल की युति से जातक को अशुभ फल प्राप्त होते है?
An. मंगल और शनि की युति से जातक को मिला-जुला परिणाम प्राप्त होता है।