Mars and Ketu conjunction | कुंडली के बारह भावों में मंगल-केतु की युति, होगा ऊर्जा का संचार व आक्रामक स्वभाव

मंगल-केतु की युति

कुंडली के बारह भावों में मंगल-केतु की युति- ज्योतिष में, मंगल व केतु की युति दर्शाती है कि जातक कितना ऊर्जावान हो सकता है। ऐसे जातक क़ानूनी कार्रवाई में बहुत आक्रामक हो सकते हैं। कभी-कभी अपनी आक्रामकता के कारण वे गलत कदम भी उठा सकते हैं। इसके साथ ही ऐसे जातक बहुत बहादुर होते हैं। साहसी स्वभाव उनकी विशेषता होती हैं। जुआ खेलने जैसे जोखिम लेने की क्षमता भी होगी। साथ ही ऐसे जातक में अहंकार की अधिकता हो सकती है। 

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शास्त्र के अनुसार, अग्नि तत्व से संबंधित ग्रह जैसे- मंगल, सभी प्रकार के अग्नि तत्वों को नियंत्रित करता है। यह स्वभाव से अशुभ है और कुंडली में आक्रामकता, लड़ाई, साहस, पुलिस आदि को दर्शाता है। इसके साथ ही यह राशि चक्र में मेष और वृश्चिक राशियों पर शासन करता है। जिसके कारण प्रभावित जातक में उच्च ऊर्जा की खपत बहुत तीव्र गति से होती है। 

ज्योतिष में, छाया ग्रह केतु भी उसके प्रभाव में कम नहीं है। यह वृश्चिक और मीन राशि पर शासन करता है। इसके अलावा केतु चन्द्रमा को नीचा करता है, मंगल को नहीं। इसका कोई सिर नहीं है और इसलिए यह चंद्रमा (मन) को बहुत बुरी तरह नष्ट कर देता है। ऋषि, साधु, विधुर, अशक्तता, शून्यता, नागा, अत्यधिक गर्मी जो सब कुछ नष्ट कर देती है, सेना के जवान, ऊर्ध्व दिशा मोक्ष आदि का प्रतिनिधित्व करता है। 

इससे हम यह कह सकते हैं कि, मंगल की ऊर्जा को केतु ग्रह साथ होने पर सौ गुना बढ़ा देता है। केतु ग्रह स्वयं में एक बड़ा शून्य है और केतु जिस भी चीज को छूता है वह शून्य हो जाता है। केतु की युति जिस भी ग्रह के साथ होती है यह उसके शुभ प्रभाव को ख़त्म कर देता है। ज्योतिष के अनुसार, केवल बृहस्पति ही केतु को नियंत्रित कर सकता है। बृहस्पति ग्रह केतु को महान विद्वान बनाता है और गुरु,परम्परा योग बनाता है। इसके साथ ही केतु ग्रह को आध्यात्मिक मार्ग के लिए बहुत लाभदायक माना जाता लेकिन हम सभी भौतिक संसार में हैं जिसके लिए केतु अच्छा नहीं है। 

ज्योतिष में, मंगल को क्रूर ग्रह की संज्ञा प्राप्त है। जो कि ऊर्जावान, अधीर, त्वरित निर्णय लेने वाला और जोखिम लेने वाला होता है। कुंडली में यदि मंगल ग्रह शुभ या सकारात्मक परिणाम में है तो यह आपको निश्चित रूप से सफलता दिलाने वाला होगा, इसके विपरीत कुंडली में कमजोर मंगल आपको कायर भी बना देगा। जातक के शरीर में रक्त, मंगल से प्रभावित होता है। ज्योतिष के अनुसार, केतु ग्रह का स्वभाव, मंगल ग्रह के स्वभाव से बहुत मेल खाता है। यह जब किसी जातक की उच्च राशि में होता है तो जातक का भाग्य बदल देता है। इसके साथ ही मंगल की तरह केतु ग्रह को भी साहस और पराक्रम का प्रतीक माना जाता है।

कुंडली के पहले भाव में मंगल और केतु की युति से प्रभावित जातक धार्मिक और आध्यात्मिक कार्यों में आगे रहेगा। इस दौरान जातक को अनावश्यक चिंताएं घेर सकती हैं। परिवार में सभी सदस्यों की राय व सलाह से कार्य करने पर, गलत फैसले लेने से बच सकते हैं। इसके साथ ही अपने जीवन साथी के स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखने की सलाह दी जाती है। 

कुंडली के दूसरे भाव में मंगल और केतु की युति के कारण जातक को वाणी पर संयम रखना चाहिए। इस दौरान आपको सामाजिक स्तर पर सोच-समझकर व्यवहार करना चाहिए। यदि आप निवेश के विचार में हैं तो किसी अनुभवी व्यक्ति की सलाह लेकर आगे बढ़ना चाहिए। अपने कार्यस्थल पर सहयोग की कमी रहेगी। इसके साथ ही आपके खर्चे कमाई या बजट से अधिक हो सकते है।

कुंडली के तीसरे भाव में मंगल और केतु की युति जातक को साहसी बनाती है। भाई-बहनों के साथ संबंध के मामलों में सतर्क रहें, विवाद का कारण हो सकते हैं। इस दौरान जातक को छोटी दूरी की यात्राएं फायदेमंद हो सकती हैं। नौकरी व्यवसाय में सहकर्मियों से अच्छा सहयोग मिलेगा। आर्थिक मामलों में असुरक्षा के लिए अपने बजट का ध्यान रखना होगा। 

चतुर्थ भाव में मंगल और केतु की युति से जातक को स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहिए। इस संयोग के दौरान आपको अपनी मां के स्वास्थ्य का ख्याल रखना होगा। यदि जमीन से जुड़ा कोई मामला कोर्ट में है तो इस दौरान दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। 

कुंडली के पांचवे भाव में मंगल और केतु की युति से जातक को शिक्षा के क्षेत्र में मिश्रित परिणाम मिल सकते है। इस दौरान विद्यार्थी को खेल से लाभ मिल सकता है। संतान पक्ष से कुछ चिंताएं रह सकती हैं। प्रेम जीवन में संतुलन लाने के लिए आपको प्रयास करने पड़ सकते हैं। 

छठे भाव में मंगल और केतु की युति के कारण जातक को करियर के क्षेत्र में अच्छे परिणाम मिल सकते हैं। युति के शुभ प्रभाव से जातक अपने विरोधियों या शत्रु पक्ष पर हावी रहेंगे। जातक को स्वास्थ्य संबंधी मामलों को लेकर सतर्क रहने की आवश्यकता है। पारिवारिक जीवन में मिश्रित परिणाम प्राप्त होंगे। आर्थिक दृष्टि से कुंडली के छठे भाव में मंगल और केतु का यह संयोग जातक को शुभ परिणाम देगा। व्यवसाय में सफलता पूर्वक आगे रहेंगे। 

कुंडली के सातवें भाव में मंगल और केतु की युति जातक के वैवाहिक जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है। इस दौरान आपका जीवनसाथी थोड़ा आक्रामक स्वभाव का हो सकता है, हालांकि उनकी बातों पर प्रतिक्रिया देने से बचेंगे तो दांपत्य जीवन में मधुरता बना सकते हैं। साझेदारी के व्यवसाय में बहुत सोच-विचार कर काम करने की आवश्यकता है। सामाजिक स्तर पर बातचीत के दौरान शब्दों का प्रयोग भी सोच-समझकर करें, विवाद होने की भी आशंका है। 

कुंडली के आठवें भाव में मंगल और केतु की युति जातक के लिए परेशानियां खड़ी कर सकती है। कार्यस्थल पर काम का अतिरिक्त दबाव रह सकता है;  जिससे कि मानसिक रूप से परेशान हो सकते हैं और स्वास्थ्य संबंधी मामलों में भी उतार-चढ़ाव देखने को मिलेगा। इस दौरान खर्चों पर नियंत्रण रखना चाहिए। 

कुंडली के नौवें भाव में मंगल और केतु की युति के कारण आप धार्मिक कार्यों से दूरी बना सकते हैं। करियर के मामले में लाभ मिलने की संभावना है। इस दौरान जीवनसाथी के साथ प्रेम और सौहार्द्र बढ़ेगा। आर्थिक मामलों में आपको निवेश और कई अन्य स्रोतों से आर्थिक लाभ मिल सकता है। व्यवसाय में प्रगति होगी। 

कुंडली के दसवें भाव में मंगल और केतु की युति के कारण जातक को करियर के क्षेत्र में तरक्की मिल सकती है। वरिष्ठजनों के बीच आपकी अच्छी छवि बनेगी। परिवार में लोगों के साथ आपके संबंध अच्छे रहेंगे और जीवनसाथी के साथ तालमेल आपको रोमांच महसूस करा सकते हैं। लेकिन आपको अपने पिता के स्वास्थ्य का ध्यान रखना होगा। इस अवधि में स्वास्थ्य ठीक रहेगा। कई स्रोतों से धन लाभ हो सकता है। दसवें घर में मंगल और केतु की युति के बारे में और पढ़ें।

मंगल-केतु की युति

कुंडली के ग्यारहवें भाव में, मंगल व केतु की युति, जातक को योग्यता और वीरता प्रदान करती है। ऐसे जातक  प्रतिस्पर्धात्मकता को अधिक महत्व देते हैं। वे उन लोगों के साथ रहना पसंद करते हैं जो निर्देश देने के बजाय उनके साथ कार्य करना पसंद करते हैं। ऐसे जातक बहुत अनुभवी और जानकार भी होते हैं। परिणामस्वरूप, वे किसी भी चुनौतीपूर्ण परिस्थिति से आसानी से निकलने में सक्षम होते हैं। 

कुंडली के बारहवें भाव में मंगल और केतु की युति से जातक धन खर्च के मामलों में बहुत खर्चीले हो सकते है। स्वास्थ्य को लेकर सतर्क रहने की आवश्यकता है। हालांकि जो लोग विदेश में रहते हैं उन्हें कोई अच्छी खबर मिल सकती है। नौकरी व्यवसाय करने वालों से विवाद होने की आशंका है। 

कुल-मिलाकर कुंडली के सभी बारह भावों मंगल और केतु की युति का प्रभाव देखने को मिल सकता है। इस युति के कारण जातक को नकारात्मक और सकारात्मक दोनों प्रभाव देखने को मिलेंगे हैं। इसके नकारात्मक प्रभाव से बचने के लिए आप ज्योतिष से बात कर सकते हैं।


Q. क्या मंगल और केतु मित्र हैं?

An. केतु बुध, शुक्र और शनि का मित्र ग्रह है। मित्रता में बृहस्पति तटस्थ रहता हैं। सूर्य, चंद्रमा और मंगल केतु के शत्रु ग्रह कहलाते हैं ।

Q. कुंडली में मंगल के साथ केतु ग्रह की युति का क्या प्रभाव होता है?

An. मंगल व केतु की युति दर्शाती है कि जातक कितना ऊर्जावान हो सकता है। ऐसे जातक क़ानूनी कार्रवाई में बहुत आक्रामक हो सकते हैं। कभी-कभी अपनी आक्रामकता के कारण वे गलत कदम भी उठा सकते हैं। इसके साथ ही ऐसे जातक बहुत बहादुर होते हैं।

Q. क्या मंगल व केतु का संयोग शुभ होता है?

An. कुंडली के सभी बारह भावों मंगल और केतु की युति का प्रभाव देखने को मिल सकता है। इस युति के कारण जातक को नकारात्मक और सकारात्मक दोनों प्रभाव देखने को मिलेंगे हैं।

Q. मंगल व केतु की युति से कौन सा योग बनता है?

An. कुंडली में मंगल व केतु की युति से ‘अंगारक योग’ बनता है।

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