Mars and Jupiter conjunction | कुंडली के विभिन्न भावों में मंगल-बृहस्पति की युति, बढ़ाएगी अध्यात्म की ओर, मिलेंगे उत्कृष्ट परिणाम

मंगल-बृहस्पति की युति

कुंडली के विभिन्न भावों में मंगल-बृहस्पति की युति– कुंडली में यदि मंगल व बृहस्पति का संयोजन सकारात्मक  परिणाम में है तो, यह आपको अच्छा आत्मविश्वास, ज्ञान व तीव्र बुद्धि के साथ दूसरों का नेतृत्व करने की क्षमता देगा। इन जातकों में बृहस्पति यानी गुरु के आशीर्वाद से एक ही दिशा में फोकस और निरंतर कार्य करने के साथ-साथ अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने हेतु कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प बहुत प्रबल होगा।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, बृहस्पति ग्रह विकास, विस्तार, कानून, आत्मविश्वास और निर्देशित करने वाली नैतिक शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है। यह उन्नति और समर्थन की भावना को विकसित करता है, जो संभावना, धन और आत्मविश्वास के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। लेकिन यदि किसी अवस्था में यदि बृहस्पति पीड़ित हो तो जातक असभ्य व झगड़ालू होता है। 

वहीं मंगल ग्रह, हमारी सभी इच्छाओं को पूरा करने की आवश्यकता का प्रतीक है। इसे जातक की मूल प्रेरणाओं के रूप में संदर्भित किया जाता है। मंगल ग्रह हमें हमारी आवश्यकताओं, जागृत गुणवत्ता, साहस और इच्छा शक्ति के बारे में सूचित करता है। यह हमें हमारी गतिशीलता के आधार पर अपने विरोधियों को हराने के बारे में सिखाता है।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब कुंडली के किसी भाव में मंगल व गुरु साथ में होते हैं तो, ‘गुरु मंगल योग’ बनता है। इन दोनों ग्रहों को एक दूसरे के साथी ग्रह की संज्ञा दी जाती है।  वैदिक ज्योतिष में मंगल अशुभ ग्रह है और बृहस्पति यानी गुरु सबसे लाभकारी ग्रह होता है। कुंडली के बारह भावों में मंगल के साथ बृहस्पति का संयोजन जातक को आध्यात्मिक प्रवृत्ति और धार्मिक बुद्धि देता है। ऐसा व्यक्ति विद्वान व चतुर होता है। 

इसके साथ ही ऐसा जातक उत्कृष्ट प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले होते हैं, जो पत्रकारों के लिए एक ठोस संसाधन के रूप में कार्य करते हैं। ऐसी स्थिति के जातकों को समाज में अच्छा सम्मान मिलता है। इसके अलावा, वे आम तौर पर प्रौद्योगिकी, भवन और निर्माण जैसे क्षेत्रों में अपना काम करते हैं। शस्त्र, सेना, शिक्षा, वेद, शास्त्र जैसे क्षेत्रों के साथ-साथ प्रशासनिक पदों पर भी उनकी गहरी पकड़ होती है। 

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कुंडली के पहले भाव में मंगल व बृहस्पति की युति में जातक मोटे तौर पर स्वयं, व्यक्तित्व, सामाजिक कद और आत्मविश्वास का प्रतिनिधित्व करता है। इस भाव में बृहस्पति और मंगल की युति जातक को एक बहुत ही अनोखा संवादात्मक दृष्टिकोण प्रदान करती है। ऐसा जातक समाज में विभिन्न स्तरों पर अपनी वाणी व अच्छे व्यक्तित्व से शुभ परिणाम प्राप्त करने में माहिर होता है। साथ ही ऐसे जातक समाज में बहुत ही सम्मान प्राप्त करते हैं ऐसे जातक बहुत साहसी प्रवृत्ति रखने वाले होते हैं; जो उन्हें ज्ञान और आत्मविश्वास दोनों के साथ जीवन की चुनौतियों का सामना करने में सक्षम बनाता है। अक्सर ऐसे जातक बाहर अधिक समय व्यतीत करना पसंद करते है, लेकिन अच्छे कार्यों में भी अपना समय और सहयोग देना उन्हें पसंद होता है।

कुंडली के दूसरा भाव संचित धन, बैंक बैलेंस, परिवार व वाणी से संबंधित होता है। इस भाव में मंगल व गुरु की युति जातक की वाणी में कठोरता को दर्शाती है, जिसमें यदि बृहस्पति यानी गुरु अपने शुभ प्रभाव में हो तो वें अंत में वाणी में शांति और ज्ञान का संचार व क्षति नियंत्रण की भूमिका निभाते हैं। इसके अलावा कुंडली के दूसरे भाव में मंगल व बृहस्पति का संयोजन, पारिवारिक संबंधों के लिए अच्छा होता है साथ ही यह युति जातक में एक अच्छा नेता बनने के गुणों का भी संचार करती है; जो कि सभी के हित व सर्वोत्तम मार्गदर्शन प्रदान करता है। ऐसे जातक अच्छा धन अर्जन करते हैं।  ज्योतिष की सलाह में इन जातकों को अपने खर्चों पर नियंत्रण रखने की सलाह है। 

कुंडली का तीसरा भाव साहस, संचार, छोटी यात्राएं, संघर्ष, लेखन कौशल, दस्तावेज़ और छोटे भाई-बहनों के साथ व्यवहार को संदर्भित करता है। इस भाव में मंगल व गुरु का संयोजन जातक को प्रगतिशील सोच की क्षमता देने वाला होता है। जो कड़ी मेहनत के साथ-साथ भाग्य का साथ व व्यावसायिक क्षेत्र में सफलता प्राप्त करता है। परिवार में छोटे भाई-बहनों के साथ रिश्ते हमेशा मधुर नहीं रहते हैं और अक्सर जीवन में छोटी-छोटी यात्राएं निरर्थक लगती है; जो निराशा देने वाली हो सकती है। बृहस्पति के साथ मंगल की युति में जातक अपनी कड़ी मेहनत और निरंतर सकारात्मक दृष्टिकोण से सफलता हासिल कर ही लेते हैं। साथ ही ऐसे जातक को जीवन में दस्तावेजों का लेन-देन करते समय बहुत सतर्क रहने की आवश्यकता होती है क्योंकि दस्तावेज, हस्ताक्षर के समय की गई लापरवाही, धोखाधड़ी का कारण बन सकती है। 

कुंडली के चौथे भाव में, मूल भूमि, माता, प्राथमिक शिक्षा, आराम, संपत्ति, घर और वाहन की जानकारी मिलती है। इस भाव में बृहस्पति यह सुनिश्चित करता है कि जातक अपने जीवन में विभिन्न सुख-सुविधाओं और विलासिता का आनंद उठाएं, लेकिन मंगल जातक के जीवन में भूमि/संपत्ति से संबंधित समस्याएं पैदा करता है। इसके साथ ही इस भाव में मंगल के साथ बृहस्पति का संयोजन जातक को अपनी मां के साथ बहुत मधुर संबंध देती है और उसे एक दयालु व्यक्ति के रूप में देखा जाता है जो जरूरतमंद लोगों की मदद के लिए अतिरिक्त मील जाने को तैयार रहता है। इसके साथ ही मंगल अक्सर जातक की भावनाओं को भड़काता है और उसकी मानसिक शांति पर भी प्रभाव डाल सकता है। 

कुंडली के पांचवे भाव में मंगल व बृहस्पति की युति जातक को बुद्धिमान बनाती है और शिक्षा की तकनीकी या अनुसंधान के क्षेत्रों की ओर रूचि कर बनाती है। ऐसे जातक का अपने किसी प्रियजन के साथ मनमुटाव और बहस के कारण प्रेम संबंधों में समस्या का सामना करना पड़ सकता है, इसलिए जब रिश्ते का भाग्य दांव पर हो तो समझौता करने की कला का आना बहुत महत्वपूर्ण होता है। जोखिम भरे निवेश से बचना चाहिए और सट्टेबाजी से दूर रहना चाहिए क्योंकि इससे अचानक नुकसान हो सकता है। महिलाओं की कुंडली में ऐसा योग हो तो उन्हें गर्भावस्था के दौरान लापरवाही कुछ जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है। 

कुंडली के छठा भाव विशेष रूप से नौकरी, ऋण, मुकदमेबाजी, प्रतिस्पर्धा, शत्रु और बीमारी का प्रतिनिधित्व करता है। इस भाव में मंगल व बृहस्पति का संयोजन जातक को कर्ज लेने हेतु प्रेरित करता है। ग्रहों की यह युति जातक को जीवन में पेट संबंधी समस्याओं से पीड़ित कर सकती है। ऐसा व्यक्ति अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करता है और कोर्ट-कचहरी संबंधी मामलों में भी अंतिम निर्णय उनके पक्ष में होता है। ऐसे जातक धन संबंधी हिसाब-किताब में मजबूत होते हैं।  

कुंडली के सातवें भाव में मंगल व गुरु की युति जातक के वैवाहिक जीवन में समस्याएं पैदा करती है, अतः इस युति से प्रभावित जातक को जीवन में विवाह संबंधी निर्णय लेने से पहले एक अनुभवी ज्योतिषी से परामर्श आवश्यक रूप से लेना चाहिए। जो जातक विवाहित हैं, उन्हें भी इस ग्रह संयोजन के परेशान करने वाले प्रभावों से होने वाले अशुभ प्रभाव हेतु और अपने वैवाहिक जीवन में सुख-शांति व समृद्धि लाने हेतु अपनी कुंडली का संयुक्त रूप से विश्लेषण अवश्य कराना चाहिए। साथ ही ऐसे जातक अपने आत्मविश्वासी व श्रेष्ठ व्यावसायिक कौशल से पेशेवर क्षेत्र में सफलता प्राप्त करते है। 

कुंडली के आठवें भाव में मंगल-बृहस्पति की युति में जातक को गुप्त विज्ञान में अधिक झुकाव होता है साथ ही ऐसे जातक बौद्धिक रूप से अधिक क्रियाशील होते हैं। यह जातक को अत्यधिक शोध-उन्मुख और विश्लेषणात्मक-दिमाग वाला बनाता है। जातक को जीवन में धन संबंधी उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ सकता है। इन जातकों को धन कमाने के लिए शोर्टकट नहीं अपनाना चाहिए। बल्कि जीवन में हमेशा कड़ी मेहनत करने का प्रयास करना चाहिए। ज्योतिष के अनुसार, वाहन चलाते समय विशेष सावधानी रखें। 

कुंडली के नौवें भाव में मंगल और बृहस्पति की युति जातक के भाग्य में वृद्धि करने वाली होती है। ऐसे जातकों के पास धन कमाने के लिए कई साधन होते हैं। कई रुके हुए काम भी पूरे हो सकते हैं। मंगल-गुरु का शुभ संयोजन जातक के धन और यश में वृद्धि लाता है। 

मंगल-बृहस्पति की युति

कुंडली के दसवें भाव में मंगल के साथ बृहस्पति की युति के कारण जातक, धन कमाने के लिए कुछ गलत काम करने का विचार करने लगते हैं। साथ ही जातक करियर में भी अच्छी सफलता प्राप्त करेंगे। जातक को बहुत मेहनत और प्रयास करने की जरूरत होगी लेकिन मेहनत का फल श्रेष्ठ मिलेगा। 

कुंडली के ग्यारहवें भाव में मंगल व बृहस्पति का संयोजन, जातक की सभी इच्छाएं पूरी करने वाला होता है। जातक को शुभ फलों की प्राप्ति होती है व धन लाभ होता है। इसके साथ ही यदि जीवन में कोई समस्या चल रही हो तो उसका समाधान भी जल्दी सफलता मिलेगी। 

बारहवें भाव में मंगल और बृहस्पति की युति पारिवारिक जीवन में सुख और समृद्धि लाएगी। आपके करीबी दोस्त आपके आसपास रहना चाहेंगे। आपके दिए गए परामर्श को दूसरों से उचित सराहना मिलेगी।  साथ ही आपको समाज में भी बहुत सम्मान मिलेगा। 


Q. कुंडली में मंगल-बृहस्पति की युति से कौन सा योग बनता है?

An. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब कुंडली के किसी भाव में मंगल व गुरु साथ में होते हैं तो, ‘गुरु मंगल योग’ का निर्माण होता है।

Q. क्या, मंगल के साथ बृहस्पति की युति शुभ होती है?

An. कुंडली में यदि मंगल व बृहस्पति का संयोजन सकारात्मक  परिणाम में है तो, यह आपको अच्छा आत्मविश्वास, ज्ञान व तीव्र बुद्धि के साथ दूसरों का नेतृत्व करने की क्षमता देगा। इन जातकों में बृहस्पति यानी गुरु के आशीर्वाद से एक ही दिशा में फोकस और निरंतर कार्य करने के साथ-साथ अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने हेतु कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प बहुत प्रबल होगा।

Q. क्या, मंगल व बृहस्पति की युति से जातक को अशुभ परिणाम मिलते हैं?

An. नहीं, मंगल व बृहस्पति की युति से जातक को भावों के प्रभाव के अनुसार शुभ व अशुभ परिणाम मिलते हैं।

Q. क्या मंगल व बृहस्पति ग्रह परस्पर शत्रु ग्रह होते हैं?

An. नहीं, इन दोनों ग्रहों को एक दूसरे के साथी ग्रह की संज्ञा दी जाती है।  वैदिक ज्योतिष में मंगल अशुभ ग्रह है और बृहस्पति यानी गुरु सबसे लाभकारी ग्रह होता है।

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