कुंडली के बारह भावों में, बृहस्पति-शुक्र की युति- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, बृहस्पति- शुक्र की युति युति किसी भी कुंडली में सबसे शुभ और शांतिपूर्ण संयोजनों में से एक मानी जाती है, जिसके शुभ प्रभाव में, जातक सामंजस्यपूर्ण और उदार व शांतिप्रिय स्वभाव को अपनाते हैं। ऐसे जातक विवादों से बचने और किसी भी परिस्थिति को सुलझाने में समझौते की सीढ़ी चढ़ने के लिए सदैव तत्पर रहते हैं।
इस युति के अनुसार, जब बृहस्पति की ऊर्जा शुक्र ग्रह की शक्ति से मिलती है, तो जो बल बनता है वह बहुत ही शुभ और संतुलित होता है। जो जातक को लाभकारी आवरण प्रदान करती है। वैदिक ज्योतिष में शुक्र के साथ बृहस्पति ग्रह को एक भाव में अत्यधिक शुभ माना जाता है। इस युति वाले जातक प्रायः धार्मिक एवं बुद्धिजीवी होते हैं। चूंकि दोनों ग्रह धन के कारक हैं, इसलिए इस युति वाले जातक धनवान होते हैं। ऐसे जातक अपनी आजीविका अक्सर एक सम्मानजनक कार्य से चलाते है। इसके अलावा इन जातकों का जीवनसाथी भी उतना ही नेक और वफादार होता है।
ज्योतिष में, बृहस्पति यानी गुरु को बुद्धि का प्रतीक माना जाता है जो अपनी बुद्धिमानी से शुक्र की कामुकता को संतुलित करता है और इस प्रकार प्रभावित जातक कभी ग़लत रास्ते पर नहीं जाता है। इन जातकों में कई कलाओं और विषयों में निपुण होने की क्षमता होती है। जो उन्हें उन्हें बेहतर वित्तीय स्थिति तक पहुंचने में भी सहायक होते हैं। इसके साथ ही ऐसे जातक शारीरिक रूप से बहुत आकर्षक होता है। उन्हें मित्रों का अच्छा सहयोग व प्रेम मिलता है। वे लंबी आयु और संतान सुख का भी आनंद लेते हैं। लेकिन युति का अशुभ प्रभाव से जातक को अत्यधिक कामुक स्वभाव, गर्भपात, चोरी या चापलूसी, स्वास्थ्य और धन की दृष्टि से पीड़ित कर सकता है।
ज्योतिष में : बृहस्पति व शुक्र ग्रह का महत्व
शास्त्र की दृष्टि में, बृहस्पति और शुक्र को दोनों ही बहुत शुभ व महत्वपूर्ण ग्रह माने जाते हैं। क्योंकि जहां बृहस्पति को धन और भाग्य को चमकाने वाला ग्रह माना जाता है। वहीं शुक्र को धन और विलासिता का देवता माना जाता है। इसके साथ ही यह भी धारणा है कि बृहस्पति को देव गुरु की संज्ञा दी जाती है; जबकि शुक्र को दानव गुरु माना जाता है। शुक्र और गुरु की इस युति से ‘गजलक्ष्मी राजयोग’ का निर्माण होता है। अपने नाम की तरह ही इस योग में कई राशियों के भाग्य को चमकाने की शक्ति होती है। इन राशियों में सिंह, तुला व कुछ अन्य राशियों को अपार सफलता मिलने के योग बनते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली में बृहस्पति (गुरु) के विराजमान होने से जातक को सफलता मिलने के साथ-साथ मान-सम्मान, पद प्रतिष्ठा में वृद्धि होती हैं।
ज्योतिष में बृहस्पति-शुक्र की युति का महत्व
शास्त्रों की गणना के अनुसार, कुंडली में बृहस्पति और शुक्र की युति को मूल रूप से दो गुरुओं की युति मानी जाती है। बृहस्पति ग्रह के बिना मनुष्य का जीवन असम्भव है इसी प्रकार शुक्र को मनुष्य के लिए संजीवनी के समान माना गया है; जिससे मृत व्यक्ति भी जीवित हो सकता है। जब कुंडली में बृहस्पति और शुक्र की युति बनती है तो यह जातक को भौतिक मामलों में भाग्यशाली बना सकता है। क्योंकि, बृहस्पति से सौभाग्य की प्राप्ति होती है और शुक्र धन-संपत्ति, वैभव का लाभ देता है।
कुंडली के बारह भावों में बृहस्पति-शुक्र की युति
पहले भाव में बृहस्पति-शुक्र की युति
कुंडली के पहले यानी लग्न भाव में शुक्र और बृहस्पति की युति जातक को शक्ति प्रदान करती है। ऐसे जातक शिक्षित, अच्छे आचरण वाले होते हैं। इस संयोजन से जातक एक कुशल शिक्षक भी बन सकते हैं। कुछ जातकों को बहुमूल्य पत्थरों व रत्नों को पहचानने का विशेषज्ञ ज्ञान है। इसके साथ ही वें संगीत, फिल्म और कला से जुड़े क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन कर सकते है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस युति वाले जातकों का अभिनय में अच्छी रूचि होती है। इनमें से कुछ व्यक्तियों को बहुमूल्य पत्थरों सहित रत्नों का विशेषज्ञ ज्ञान है।
दूसरे भाव में बृहस्पति-शुक्र की युति
कुंडली के दूसरे भाव में बृहस्पति के साथ शुक्र ग्रह की युति धन, सौंदर्य, आराम और विलासिता का सुख देने वाली होती है। इसके शुभ प्रभाव से जातक की कम्युनिकेशन स्किल बहुत अच्छी हो जाती है। किसी पारिवारिक जनों का अच्छा सहयोग प्राप्त होगा। इसके साथ ही गुरु व शुक्र का यह संयोग वैवाहिक जीवन के लिए भी उत्तम होता है। इन दोनों शुभ ग्रहों की स्थिति जातक को हर क्षेत्र में सफलता दिलाने वाली होती है। स्वास्थ्य के मामले में थोड़ा सतर्क रहना होगा।
तीसरे भाव में बृहस्पति-शुक्र की युति
वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कुंडली के तीसरे भाव में शुक्र और बृहस्पति की युति जातक के लिए भाग्यशाली होने का संकेत होती है। इस दौरान जातक को अपने छोटे भाई-बहनों से लाभ और सहयोग मिलता है। इसके साथ यह व्यापार\व्यवसाय के लिए भी लाभ देने वाली होती है। ऐसे जातक बहुत रचनात्मक होते हैं। इस दौरान जातक के आयात, निर्यात या कानून से संबंधित कोई विवाद हैं तो वें सुलझ जाएंगे।
चौथे भाव में बृहस्पति- शुक्र की युति
कुंडली के चौथे भाव में बृहस्पति व शुक्र की युति, शिक्षा और अध्ययन के लिए शुभ परिणाम में होती है। ऐसे जातकों को अपनी माता पक्ष से अच्छा साथ मिलता है। पारिवारिक सुख में भी कोई कमी नहीं होती है। युति के प्रभाव से जातक की रुचि सार्वजनिक सेवाओं पर अधिक होती है। बृहस्पति व शुक्र के शुभ संयोजन से जातक को अच्छा वैवाहिक जीवन प्राप्त होगा। ऐसे जातक अपना अधिकांश समय घर को डेकोरेट करने में लगाते हैं।
पांचवें भाव में: बृहस्पति- शुक्र की युति
कुंडली के पांचवे भाव में, बृहस्पति व शुक्र की युति जातक के लिए लाभकारी मानी जाती है। इस दौरान जातक उच्च शिक्षा की ओर अग्रसर रहते हैं। साथ भी ऐसे जातक मिलनसार और रोमांटिक हो सकते हैं। गुरु व शुक्र का यह संयोग जातक के वैवाहिक जीवन के लिए उत्तम होता है। संतान प्राप्ति के लिए भी इस युति को शुभ व भाग्यशाली माना जाता है।
छठे भाव में बृहस्पति-शुक्र की युति
कुंडली के छठे भाव में गुरु व शुक्र की युति, जातक को मित्रों से कुछ परेशानी देगी। इसके साथ ही संपत्ति के मामले में भी कानूनी कुछ रुकावटें आ सकती हैं। जो की रिश्तों को खराब कर सकती हैं। पत्नी से अनबन या मनमुटाव हो सकता है। जीवनसाथी के साथ मतभेद और गलतफहमी की स्थिति हो सकती है। छठे भाव में यह संयोजन आर्थिक सफलता के लिए भी शुभ परिणाम देने वाला नहीं माना जाता है।
सातवें भाव में बृहस्पति-शुक्र की युति
कुंडली के सातवें भाव में शुक्र और बृहस्पति की युति से प्रभावित जातक योग्य व्यक्तित्व वाले होते हैं। युति के शुभ प्रभाव से जातक बुद्धिमान बनते हैं और किसी भी परिस्थितियों के साथ अच्छी तरह से तालमेल रखने वाले होते हैं। यह संयोजन वैवाहिक जीवन के लिए अच्छा माना जाता है। सामान्यतः यह संयोग धन एवं आजीविका के स्रोत में संतुष्टि देता है। इस दौरान आपको व्यवसाय से आजीविका मिल सकती है।
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आठवें भाव में बृहस्पति-शुक्र की युति
आठवें भाव में गुरु- शुक्र की युति जातक के जोखिम लाने वाली होती है। इसके साथ ही जातक की प्रतिष्ठा और शारीरिक सुरक्षा में भी वृद्धि होती है। इस संयोजन से जातक को कुछ स्वास्थ्य संबंधी परेशानी हो सकती है। वैवाहिक जीवन के लिए भी इस युति को अच्छा नहीं माना जाता है। परंतु सामान्य रूप से देखा जाए तो वैवाहिक जीवन साधारण रहता है। जातक को को धन या संपत्ति संबंधी हानि उठानी पड़ सकती है। रिश्तेदारों और परिवार के सदस्यों के साथ अच्छे संबंध होते हैं।
नौवें भाव में बृहस्पति-शुक्र की युति
कुंडली के नौवें भाव में गुरु- शुक्र की युति से जातक को आध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति होती है। युति के शुभ प्रभाव से जातक उदार स्वभाव वाला होता है। जीवनसाथी के साथ संबंध अच्छे बने रहेंगे। इस दौरान जातक को सौभाग्य की प्राप्ति होती है। साथ ही ऐसे जातक एक कुशल डॉक्टर, वकील, जज या अभिनेता बन सकता है।

दसवें भाव में बृहस्पति-शुक्र की युति
कुंडली के दसवें भाव में बृहस्पति व शुक्र की युति से जातक को अच्छे करियर और व्यावसायिक स्रोत प्राप्त होते हैं। प्रभावित जातक बैंकिंग क्षेत्र, और चिकित्सा क्षेत्र में प्रसिद्धि प्राप्त कर सकते हैं। ग्रहों का यह संयोजन जातक को वित्तीय सफलता दिलाने वाला होता है।
ग्यारहवें भाव में बृहस्पति-शुक्र की युति
कुंडली के ग्यारहवें भाव में शुक्र और बृहस्पति की युति जातक की आय में वृद्धि करती है। व्यक्ति के बच्चों को बेहतर जीवन स्तर देने में मदद करता है। शादी के बाद उसका अच्छा लाभ मिलेगा। धन अर्जित करने के अच्छे साधन होते हैं और ईमानदारी से धन की कमाई होती है। इससे आपको समाज में अच्छी प्रसिद्धि मिलेगी। यह संयोग दांपत्य जीवन के लिए उत्तम है। आपको मददगार और सहयोगी जीवनसाथी मिल सकता है।
बारहवें भाव में बृहस्पति-शुक्र की युति
बारहवें भाव में शुक्र और बृहस्पति की युति पूर्ण रूप से जातक के लिए एक मजबूत आध्यात्मिक स्थिति को इंगित करती है। इसके साथ ही जातक को इसके अच्छे फल प्राप्त होते है। इस अवधि में जातक को आर्थिक लाभ होता है। ऐसे जातक परोपकारी स्वभाव के होते हैं और युति के शुभ प्रभाव में आरामदायक जीवन व्यतीत करते हैं। ग्रहों के अशुभ प्रभाव में आर्थिक नुकसान होने की आशंका है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न–FAQ
Q. कुंडली में बृहस्पति व शुक्र की युति से कौन सा योग बनता है?
An. शुक्र और गुरु की इस युति से ‘गजलक्ष्मी राजयोग’ का निर्माण होता है। अपने नाम की तरह ही इस योग में कई राशियों के भाग्य को चमकाने की शक्ति होती है। इन राशियों में सिंह, तुला व कुछ अन्य राशियों को अपार सफलता मिलने के योग बनते हैं।
Q. क्या प्रभाव होता है जब बृहस्पति व शुक्र ग्रह युति में होते हैं?
An. इस युति के अनुसार, जब बृहस्पति की ऊर्जा शुक्र ग्रह की शक्ति से मिलती है, तो जो बल बनता है वह बहुत ही शुभ और संतुलित होता है। जो जातक को लाभकारी आवरण प्रदान करती है। वैदिक ज्योतिष में शुक्र के साथ बृहस्पति ग्रह को एक भाव में अत्यधिक शुभ माना जाता है। इस युति वाले जातक प्रायः धार्मिक एवं बुद्धिजीवी होते हैं। चूंकि दोनों ग्रह धन के कारक हैं, इसलिए इस युति वाले जातक धनवान होते हैं।
Q. क्या. कुंडली में गुरु व शुक्र की युति शुभ फल देने वाली होती है?
An. हां, कुंडली में गुरु व शुक्र की युति को एक शुभ संयोग माना जाता है।
Q. तीसरे भाव में बृहस्पति व शुक्र की युति का क्या प्रभाव होता है?
An. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कुंडली के तीसरे भाव में शुक्र और बृहस्पति की युति जातक के लिए भाग्यशाली होने का संकेत होती है। इस दौरान जातक को अपने छोटे भाई-बहनों से लाभ और सहयोग मिलता है। इसके साथ यह व्यापार\व्यवसाय के लिए भी लाभ देने वाली होती है।