Jupiter and Rahu conjection | कुंडली के विभिन्न भावों में बृहस्पति-राहु की युति, होंगे आकस्मिक परिवर्तन

बृहस्पति-राहु की युति

कुंडली के विभिन्न भावों में बृहस्पति-राहु की युति- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, बृहस्पति व राहु, इन दोनों ग्रहों की ध्रुवीय विपरीत प्रकृति के कारण अत्यधिक ध्यान देने की मांग करती है। सौरमंडल में राहु एक ‘छाया ग्रह’ कहलाने वाला ग्रह है, जो किसी भौतिक वाद से संबंधित नहीं है; लेकिन यह तथ्य वास्तव में इसके प्रभावों को अत्यंत सूक्ष्म और अविश्वसनीय रूप से शक्तिशाली बनाता है। वहीं दूसरी ओर, बृहस्पति एक प्राकृतिक, लाभकारी व सबसे शुभ ग्रह है।

Table of Contents

वैदिक ज्योतिष के अनुसार, राहु को एक अशुभ ग्रह की संज्ञा दी जाती है; जो अक्सर जातक को उसकी कुंडली में जिस भाव में स्थित होता है उसके संबंध में अचानक और अप्रिय परिणाम देता है, जबकि बृहस्पति यानी गुरु ग्रह, जातक के गुणों पर सकारात्मक प्रभाव डालने के लिए जाना जाता है। वें कुंडली में जिस भाव में स्थित होते हैं जातक को उसके अच्छे प्रभाव मिलते हैं। इसके साथ ही बृहस्पति व राहु ग्रह मिलकर विनाशकारी ‘गुरु चांडाल योग’ का निर्माण करते हैं।

जिसे अगर समय रहते शांत नहीं किया गया, तो जातक के जीवन को तहस-नहस कर के रख देता है।

अगर आप कुंडली में हैं  बृहस्पति-राहु की युति और इसके नकारात्मक प्रभावों से परेशान हैं तो उपाय जानने के लिए ‘मंगल भवन’ के ज्योतिषियों से बात कर सकते हैं।

कुंडली के पहले भाव में गुरु व राहु की युति जातक की छवि व मान-प्रतिष्ठा पर प्रभाव डालने वाली होती है। ऐसे जातक चतुर स्वभाव वाले होते हैं।  कई जातक कठोर और अधिक गंभीर विचार वाले भी हो सकते हैं। आर्थिक समृद्धि की दृष्टि से यह युति भाग्यशाली हैं। बृहस्पति व राहु के प्रभाव में जातक स्वभाव से कंजूस और अहंकारी हो सकते हैं। इन जातकों की रूचि परंपराओं से हटकर कार्य करने में हो सकती है। साथ ही ऐसे जातक जीवन में वह सम्मान या प्रतिष्ठा प्राप्त नहीं कर पाते, जो वास्तव में उन्हें मिलनी चाहिए। जातक हमेशा साहसिक निर्णय लेने से कतराते है और जीवन में सफलता छोटे-छोटे टुकड़ों में प्राप्त करते हैं। कई प्रतिभा के होने के बावजूद, जब जीवन में कार्य करने का समय आएगा तो जातक अनभिज्ञ महसूस करेगा। 

कुंडली में यदि दूसरे भाव में बृहस्पति व राहु की युति हो तो ऐसे जातक शक्तिशाली और कठोर वाणी बोलने वाला हो सकता है। बृहस्पति जातकों को धनवान और समृद्ध बना सकता है। कमजोर या पीड़ित बृहस्पति परिवार के सदस्यों के बीच विवाद की स्थिति के साथ-साथ, धन हानि और तनावपूर्ण जीवन का कारण बन सकता है। इससे परिवार से दूरियां बन जाती हैं। इसके साथ ही, जातक को जीवन में अचल संपत्ति के साथ-साथ स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का भी सामना करना पड़ेगा। जो, दूसरों, विशेषकर प्रियजनों के साथ उसके संबंध को खराब करेगा। इन जातकों की आर्थिक स्थिति भी अशांत रहती है। 

कुंडली के तीसरे भाव में राहु और बृहस्पति की युति से प्रभावित जातक को धन और संपत्ति के मामले में भाग्यशाली होते हैं। ऐसे जातक कुछ हद तक स्वार्थी और लालची हो सकता है। इन जातकों का अध्यात्म में रुचि कम या दूसरे धर्मों के प्रति आकर्षण अधिक हो सकता है। यात्रा से लाभ मिलता है। और यात्रा करने के कई अवसर भी मिलेंगे। जातक साहसी होगा, लेकिन कुछ विपरीत परिस्थितियों के चलते अंततः इस तरह का व्यवहार करेगा कि वह अहंकारी और बुरे व्यवहार वाला दिखाई देगा, जो सामाजिक रिश्तों के मामले में अधिक नुकसान पहुंचाएगा। हालांकि जातक के प्रयासों के बाद अंत में सब वैसे भी जातक के पक्ष में ही होगा।

कुंडली के चौथे भाव में गुरु व राहु की उपस्थिति के कारण जातक को मकान और संपत्ति तो मिलती है लेकिन बहुत विवाद भी होते हैं। ऐसे जातक सुख में कमी और मानसिक अशांति अधिक हो सकती है। ग्रहों के अशुभ प्रभाव के कारण स्वास्थ्य कमजोर रह सकता है। प्रियजनों से दूरियां बढ़ सकती हैं। जातक को जीवन में घरेलू समस्याओं का भी सामना करना पड़ेगा और उसे अपनी माता के स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखना होगा। संपत्ति को लेकर विवाद जातक को परेशान करेगा, लेकिन उसे विपरीत परिस्थितियों के दौरान शांत रहना होगा अन्यथा कुछ ही समय में चीजें नियंत्रण से बाहर हो जाएंगी। 

कुंडली में पांचवें भाव में बृहस्पति गुरु व राहु की युति होने से जातक को रिश्तों में विश्वासघात का सामना करना पड़ सकता है। इनके जीवन में अपनों का सहयोग कम मिलता है। शिक्षा के क्षेत्र में बहुत उपलब्धियां मिलती है। ऐसे जातक शोध से संबंधित कार्य करने में आगे रहता है। जीवन के शैक्षणिक क्षेत्र में अचानक रुकावट या विफलता से इंकार नहीं किया जा सकता है और जातक तब तक पुरस्कृत शिक्षा प्राप्त करने में असफल हो सकता है जब तक कि वह पूरी भागीदारी और समर्पण के साथ अध्ययन नहीं करता। यदि कोई जातक माता-पिता है और उसकी कुंडली में यह योग है तो जातक को अपने बच्चों के साथ व्यवहार में समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इसके साथ ही जिन महिलाओं की कुंडली में ‘गुरु चांडाल योग’ हो उन्हें गर्भावस्था के दौरान बहुत सतर्क रहने की सलाह दी जाती है। 

छठे भाव में राहु और बृहस्पति की युति से प्रभावित जातक को जीवन में कई अच्छी सफलता मिल सकती हैं। यदि बृहस्पति ग्रह मजबूत अवस्था में हो तो जातक विवेकपूर्ण निर्णय लेकर सफल होता है। शत्रुओं को परास्त करने में सक्षम है। अच्छे संतान सुख की प्राप्ति होती है। स्वास्थ्य पर असर पड़ता है लेकिन स्वास्थ्य में तेजी से सुधार होता है। ऐसे जातक को जीवन में कर्ज लेने पड़ सकते हैं। हालांकि, जातक सभी शत्रुओं पर विजय प्राप्त करेगा और किसी भी कानूनी परेशानी से सफलतापूर्वक बाहर आ जाएगा। ‘गुरु चांडाल योग’  के कारण जातक के जीवन के पेशेवर क्षेत्र में बाधा आ सकती है।  जिसके प्रभाव में एक अच्छी नौकरी पाना थोड़ा मुश्किल होगा। 

सातवें भाव में बृहस्पति व राहु की युति के कारण पारिवारिक जीवन में परेशानियां आ सकती हैं। ऐसे जातक अपने धर्म से विमुख दिखाई दे सकता है। युति के शुभ प्रभाव में जातक धनवान और समृद्ध शाली बनेगा; लेकिन वैवाहिक जीवन में उतार-चढ़ाव आ सकता है। जातक के वैवाहिक जीवन में परेशानी रहेगी और जीवनसाथी के साथ कलह और असहमति का अनुभव होगा। वैवाहिक क्षेत्र में उत्पन्न होने वाले मामलों पर समझौता करने की इच्छा के साथ-साथ विवाह को सफल बनाने के लिए जातक को हर सचेत प्रयास की आवश्यकता होगी। व्यावसायिक गतिविधियों के मामलों साझेदारियाँ अस्थिर होंगी जो कि मतभेदों के कारण अचानक समाप्त हो सकती हैं। 

कुंडली के यदि आठवें भाव में राहु और बृहस्पति की युति हो तो यह जातक के जीवन को विनाशकारी परिणाम दे सकती है। यदि ग्रहों का कोई अन्य शुभ प्रभाव न हो तो वैवाहिक जीवन में भी बहुत परेशानियां आ सकती हैं। जीवन में दुर्घटना, चोट और सर्जरी की संभावना बढ़ जाती है। ऐसे जातक की किस्मत उसके जन्म स्थान से ही चमकती है। जातक को जीवन में अचानक स्वास्थ्य समस्याओं का अनुभव होगा। उसे अपने आहार के बारे में बहुत सावधान रहना होगा और उचित व्यायाम दिनचर्या का पालन करना होगा। राहु और बृहस्पति के इस कष्टकारी प्रभाव के चलते इन जातकों को दूसरों की तुलना में दुर्घटनाओं का खतरा अधिक होता है, इसलिए उसे अत्यधिक सावधानी के साथ वाहन चलाना चाहिए। जातक अपने ससुराल वालों के साथ मधुर संबंधों का आनंद नहीं ले पाएगा। पैतृक संपत्ति या विरासत संबंधित विवाद जातक की मानसिक शांति को भंग कर सकते हैं। 

कुंडली के नौवें भाव में गुरु व राहु की युति होने से जातक को धार्मिक क्षेत्र में यात्रा करने का मौका मिलता है। आर्थिक क्षेत्र में स्थिति सामान्य होगी। वह संगठनों से जुड़कर जनकल्याण के कार्य भी करते हैं। जातक को भाग्य का साथ नहीं मिलेगा जिसके कारण उसके जीवन में संघर्ष और परेशानियां उत्पन्न होंगी। जातक सदैव भ्रम में रहेगा कि किसी विशेष स्थिति में क्या करना सही है और हर कीमत पर क्या करने से बचना चाहिए। जातक को विदेश या लंबी यात्रा से लाभ होगा। 

कुंडली के दसवें भाव में राहु और बृहस्पति की युति भी कुछ अच्छे प्रभाव परिणाम देने वाली हो सकती है। ऐसे जातक को प्रॉपर्टी, करियर और बिजनेस में सफलता मिलती है। जातक के नैतिक मूल्यों में कमी आ सकती है। जातक अपने प्रियजनों के प्रति उदासीन भाव रह सकता है। जातक के जीवन के व्यावसायिक क्षेत्र में बार-बार रुकावट आ सकती है। जातक को अपने करियर क्षेत्र में चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों का सामना करना पड़ सकता है, इसलिए उसे वरिष्ठों के साथ बहस करने से बचना चाहिए और कार्यालय की राजनीति से दूर रहना चाहिए। किसी गलत निर्णय के कारण जातक को सामाजिक शर्मिंदगी से गुजरना पड़ सकता है। 

बृहस्पति-राहु की युति

ग्यारहवें भाव में राहु और बृहस्पति की युति शुभ मानी जाती है। जातक के पास विभिन्न स्रोतों से धन आ सकता है। सामाजिक तौर पर जाना जाता है. व्यक्ति व्यक्तिगत प्रयासों के साथ-साथ विरासत के माध्यम से भी धन कमाने में सक्षम होता है। जातक के जीवन में आय के प्रवाह में उतार-चढ़ाव आते रहेंगे, हालांकि कुल मिलाकर जातक के जीवन में पर्याप्त आय रहेगी। मित्र और बड़े भाई-बहन जातक के लिए मददगार रहेंगे और जातक को विदेशी भूमि से करियर के अवसरों का लाभ मिलेगा। 

कुंडली के बारहवें भाव में राहु और बृहस्पति की युति से जातक अपने धर्म और जाति को लेकर बहुत गंभीर हो सकता है। अपने विचारों में दृढ़ होने के कारण वह दूसरों से मतभेद सहन कर सकता है। खर्च अधिक होगा और जातक बिना सोचे-समझे धन खर्च करेगा, जिससे जातक की आर्थिक स्थिति खराब हो जाएगी। स्वास्थ्य पर सबसे अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है क्योंकि जातक आसानी से बीमारियों की चपेट में आ जाता है। ऐसे जातक का भाग्य अपनी मातृभूमि की अपेक्षा विदेशी भूमि में अधिक साथ दे सकता है।

वैदिक ज्योतिष के अनुसार गुरु व राहु ग्रह के संयोजन से ‘गुरु चांडाल योग’ बनता है। बृहस्पति ग्रह को गुरु के नाम से जाना जाता है जो इस योग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह नीच संगत के साथ ज्ञान योग बनाने जैसा है, लेकिन इस योग के भी अपने अलग-अलग प्रभाव होते हैं जिसके कारण यह अच्छे और बुरे दोनों परिणाम दे सकता है। इन दोनों ग्रहों का योग भी कुंडली में कुछ स्थानों पर शुभ फल देता है। 


Q. कुंडली में बृहस्पति-राहु की युति से कौन सा योग बनता है व यह योग कैसा होता है?

An. कुंडली में, बृहस्पति व राहु ग्रह मिलकर विनाशकारी ‘गुरु चांडाल योग’ का निर्माण करते हैं। जिसे अगर समय रहते शांत नहीं किया गया, तो जातक के जीवन को तहस-नहस कर के रख देता है।

Q. क्या, गुरु व राहु की युति अशुभ होती है?

An. गुरु व राहु नीच संगत के साथ ज्ञान योग बनाने जैसा है, लेकिन इस योग के भी अपने अलग-अलग प्रभाव होते हैं जिसके कारण यह अच्छे और बुरे दोनों परिणाम दे सकता है। इन दोनों ग्रहों का योग भी कुंडली में कुछ स्थानों पर शुभ फल देता है।

Q. राहु बृहस्पति की युति के क्या लाभ हैं?

An. इस युति में जातक के पेशे और परिवार संबंधी मामलों में अच्छे परिणाम मिल सकते हैं। संतान का जन्म या विवाह के माध्यम से परिवार में किसी सदस्य का शामिल होना संभव है। साथ ही बचत में भी वृद्धि हो सकती है।

Q. क्या बृहस्पति व राहु की युति अच्छी होती है?

An. वैदिक ज्योतिष के अनुसार, राहु को एक अशुभ ग्रह की संज्ञा दी जाती है; जो अक्सर जातक को उसकी कुंडली में जिस भाव में स्थित होता है उसके संबंध में अचानक और अप्रिय परिणाम देता है, जबकि बृहस्पति यानी गुरु ग्रह, जातक के गुणों पर सकारात्मक प्रभाव डालने के लिए जाना जाता है। वें कुंडली में जिस भाव में स्थित होते हैं जातक को उसके अच्छे प्रभाव मिलते हैं।

Related Post

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *