वैदिक ज्योतिष व खगोलीय विज्ञान में ग्रहों के “गोचर” का अपना एक अलग ही महत्व होता है। “गोचर” शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है, जिसमें जहाँ “गो” शब्द से तात्पर्य है “नक्षत्र” वहीं “चर” से “गति करने या चलने”।
ज्योतिष गणना को समझें तो, उसके अनुसार हमारे सौरमंडल में कुल ग्रहों की संख्या नौ बताई गई है, जिसमें: सूर्य, चन्द्रमा, शनि, मंगल, गुरु, शुक्र, बुध, राहु और केतु शामिल होते हैं। ये सभी नवग्रह अपनी एक निश्चित गति से और एक निर्धारित समय अवधि के अनुसार ही राशि चक्र की प्रत्येक राशि में भ्रमण या गति करते हैं। राशि चक्र की सभी 12 राशियां इन्ही नवग्रहों की गति के अनुरूप जातक के जीवन को प्रभावित करती हैं। इसका तात्पर्य यह है कि ग्रहों का “गोचर” वह समय या अवधि काल है जो हर ग्रह अपनी राशि परिवर्तन के दौरान प्रत्येक राशि में अलग-अलग दशा व दिशा को सूचित करते हैं।
गोचर से भविष्यवाणी
जातक के जीवन में होने वाली समस्त घटनाओं का अनुमान, ज्योतिषी विशेषज्ञ इन नवग्रहों के विशेष राशि में घूमने अथवा गति करने के आधार पर ही गणना कर भविष्यवाणी के रूप में तैयार करते हैं। वैदिक शास्त्र के नियम अनुसार सौरमंडल के सभी ग्रह समस्त 12 राशियों में से किसी न किसी राशि के स्वामी होते हैं। ऐसे में हर राशि विशेष को कुछ ग्रहों की किसी ख़ास स्थिति, गोचर या भ्रमण से प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से शुभ व अशुभ परिणाम प्राप्त होते हैं। हर एक ग्रह का अपना एक विशेष स्वभाव या कारक होता है, जो अपने गोचर या राशि परिवर्तन करते हुए जातकों को उसी के अनुरूप ही फल देने का कार्य करता है। जैसे:-
- चंद्र ग्रह से जातक के मन संबंधी विचारों का ज्ञान प्राप्त किया जाता है।
- सूर्य ग्रह से जातक को सरकारी तथा राजयोग का दर्जा प्राप्त होता है।
- इसी प्रकार शुक्र ग्रह जातक के जीवन में प्यार और विवाह का सूचक माना जाता है।
- इसके अतिरिक्त बुध ग्रह जातक की बौद्धिक क्षमताओं को संदर्भित करता है।
- जबकि बृहस्पति (गुरु) ग्रह मुख्य रूप से जातक के शारीरिक, स्वास्थ्य को दर्शाता है।
- अब बात की जाए शनि ग्रह की तो, शनि ग्रह जातक को उसके कर्म के अनुरूप फल प्रदान करते हैं।
- मंगल से जातक को ऊर्जा व साहस संबंधित फल प्राप्त होते हैं।
- राहु जातक में शरारत, भय, असंतोष, जुनून और भ्रम का सूचक होता है।
- इसके अलावा केतु ग्रह को मनुष्य के जीवन में चिंताओं एवं कुल की वृद्धि का सूचक ग्रह माना गया है।
इस प्रकार इन सभी ग्रहों के गोचर काल एवं गोचर के समय की उचित जानकारी हमारे लिए अत्यंत महत्वपूर्ण मानी गयी है। ताकि हम सभी ग्रहों के गोचर से मिलने वाले सकारात्मक तथा नकारात्मक परिवर्तनों से अवगत होते हुए खुद को हर परिस्थिति के लिए तैयार कर सकें।
गोचर की गति
अब बात करते हैं नवग्रहों में गोचर की चाल की। यह सर्वथा आवश्यक नही है कि सभी ग्रह एक राशि से दूसरी राशि में अपना भ्रमण एक समान गति से करें। क्योंकि नवग्रहों में से जहाँ कई ग्रहों की गति अत्यधिक धीमी है: जैसे शनि, तो वहीं कुछ ग्रहों की गति बेहद तीव्र है। मंगल भवन के विशेषज्ञ ज्योतिषाचार्यों के मत अनुसार, शनि ग्रह की गति समस्त ग्रहों में से सबसे मंद होती है, जिस कारण शनि को अपना गोचर करने में सबसे अधिक दिनों का समय लगता है। जबकि इसके विपरीत चन्द्र ग्रह का गोचर सबसे कम अवधि का होता है। क्योंकि उसकी गति सबसे तीव्र मानी गई है। इसके अलावा बुध ग्रह की चाल भी तेज होती है। ग्रहों की गति का समय अलग बताने से हमारा यह आशय है कि किसी भी जातक के लिए ग्रहों की अवस्थाओं पर नजर रखना पूर्णतः संभव नहीं है। परन्तु इन ग्रहों के राशि परिवर्तन यानी “ग्रहों के गोचर” से हमारे जीवन में भी कई परिवर्तन आ सकते हैं।
ग्रहों के गोचर काल की निर्धारित अवधि
वैदिक ज्योतिष में सभी नव ग्रहों का प्रत्येक राशि में गोचर करने का एक निश्चित समय बताया गया है। जो कुछ इस प्रकार है:-
- सूर्य के गोचर की अवधि: सूर्य का गोचर होने में लगभग एक माह यानी 30 दिनों का समय लगता है।
- शुक्र के गोचर की अवधि: शुक्र के गोचर की अवधि लगभग 23 दिन की होती है।
- बुध के गोचर की अवधि: बुध ग्रह का भ्रमण काल हर एक राशि में लगभग 14 दिन का होता है।
- चंद्र के गोचर की अवधि: चंद्र ग्रह का सवा दो दिन का गोचर काल रहता है।
- मंगल के गोचर की अवधि: मंगल ग्रह का 57 दिन का गोचर रहता है।
- बृहस्पति के गोचर की अवधि: गुरु एक राशि में लगभग 1 वर्ष तक विराजमान रहते हैं।
- राहु-केतु के गोचर की अवधि: राहु-केतु का 1-1/2 (डेढ़ वर्ष) का समय रहता है।
- शनि के गोचर की अवधि: शनि देव का भ्रमण काल 2-1/2 (ढाई वर्ष) का होता है।
इस संपूर्ण लेख के माध्यम से हम आपको यह बताना चाहते हैं कि जातक के जीवन में घटित होने वाली समस्त घटनाएं, इन ग्रहों की गति अर्थात गोचर पर ही निर्भर करती हैं। ग्रहों की इस चाल से हमारे जीवन में कुछ अच्छे तो कुछ बुरे परिवर्तन देखने को मिलते हैं। इसके साथ ही यह सभी ग्रह हमारे जीवन के विभिन्न पहलुओं को नियंत्रित करने की भी क्षमता रखते हैं।
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