Navratri 2024 | नवरात्रि का पांचवा दिन ! माँ स्कंदमाता माता की उपासना से होगी संतान और मनोकामना पूर्ति

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नवरात्रि के पांचवें दिन मां भगवती के पांचवे रूप माँ स्कंदमाता माता की उपासना की जाती है! माता का यह रूप ममता और करुणा से परिपूर्ण होता है जो अपने भक्तों पर संतान के समान स्नेह और दया लुटाती हैं। तो आइए आज हम ‘मंगल भवन’  के इस लेख में मां दुर्गा के पांचवे स्वरूप स्कंदमाता की उपासना और पूजा विधि के बारे में जानेंगे- 

नवरात्रि के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की पूजा का विधान है! माता का यह रूप देवी मां दुर्गा का ही पांचवा रूप है जो कि स्कंदमाता के नाम से जाना जाता है। धार्मिक ग्रंथों में माता के इस रूप का वर्णन कुछ इस प्रकार है कि;  वे प्रेम और ममता की मूर्ति है! मां स्कंदमाता की पूजा और उपासना करने से जातक को संतान प्राप्ति की मनोकामना पूर्ण होती है! और माता की कृपा से भक्तों को दीर्घायु का आशीर्वाद मिलता है। 

देवी पुराण में स्कंदमाता की महिमा और महत्व के बारे में बताया गया है कि, जो भी जातक नवरात्रि के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की उपासना करते हैं उन्हें श्रेष्ठ ज्ञान और शुभ फलों की प्राप्ति होती है। माता का यह रूप ज्ञान, इच्छाशक्ति, और शुभ कर्म का सम्मिलित रूप कहलाता है। ऐसा माना जाता है कि जब भगवान शिव और देवी शक्ति का मिलन हुआ था तो स्कंद यानी कि कार्तिकेय का जन्म हुआ। आगे हम लेख में स्कंदमाता की पूजा विधि, मंत्र, श्लोक आरती और भोग के बारे में पढ़ेंगे-

नवरात्रि में पांचवें दिन मां भगवती का पांचवां रूप स्कंदमाता का होता है। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, भगवान शिव की अर्धांगिनी के रूप में मां आदिशक्ति ने स्वामी कार्तिकेय को जन्म दिया था। कार्तिकेय का दूसरा नाम स्कंद है, इसलिए मां दुर्गा के इस रूप को स्कंदमाता का नाम दिया गया है। अपनी संतान के साथ माता का यह रूप प्रेम, ममता और वात्सल्य का प्रतीक माना जाता है।

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शास्त्रों में, मां स्कंदमाता के स्वरूप का वर्णन करते हुए बताया गया है कि वें चार भुजाओं वाली अद्भुत रूप की देवी है; जो कि स्वामी कार्तिकेय को अपनी गोद में लेकर शेर पर बैठी है। स्कन्द माता  के दोनों हाथों में कमल शोभायमान हैं। मां भगवती का यह रूप समस्त संसार में ज्ञान, विज्ञान, धर्म, कर्म और कृषि उद्योग सहित पंच आवरणों से युक्त और विद्या वाहिनी दुर्गा का प्रतीक है। स्कन्दमाता सूर्य के समान तेज युक्त है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, स्कंदमाता की आराधना करने पर उनकी पूजा में धनुष बाण अर्पित करना भी शुभ माना जाता है।

धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, मां स्कंदमाता की पूजा करने हेतु सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर पूजा के स्थान को गंगाजल से शुद्ध कर लें। उसके बाद लकड़ी की चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर मां भगवती की मूर्ति या फिर तस्वीर को स्थापित करें। माता को पीला रंग बहुत प्रिय है अतः पीले फूल से मां का श्रृंगार करें। पूजा में फल, फूल मिठाई, लौंग, इलाइची, अक्षत, धूप, दीप और केले का फल अर्पित करें। इसके बाद माता की आरती करें। पूजा के बाद क्षमा याचना करके दुर्गा सप्तशती और दुर्गा चालीसा का पाठ भी करें। मां स्कंदमाता की आपको कृपा प्राप्त होगी और  माता आपके कष्टों को दूर करेंगी और आपकी सभी इच्छाएं पूर्ण करेंगी।

                                                  

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मां भगवती के इस स्कंदमाता के रूप को पीले रंग की वस्तुएं सबसे अधिक प्रिय है। अतः उनकी पूजा करते समय उन्हें  भोग में पीले रंग के फल और पीली मिठाई अर्पित करने का विधान है। फल के साथ आप केसर की खीर या मिठाई का भोग भी लगा सकते हैं। किसी जातक को शिक्षा में सफलता प्राप्त करनी हो तो ऐसे जातक को माता के सम्मुख 5 हरी इलायची अर्पित करना चाहिए और साथ में लौंग का एक जोड़ा भी माता का सम्मुख रखे।

मंत्र जाप 

                                        “सिंहासना गता नित्यं पद्माश्रि तकरद्वया।

                                                 शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी।।”

                                              “या देवी सर्वभू‍तेषु माँ स्कंदमाता रूपेण संस्थिता।

                                                                       नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।”

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Q.  नवरात्रि के पांचवें दिन मां दुर्गा के कौन से रूप की पूजा की जाती है?

An. नवरात्रि के पांचवें दिन मां भगवती के पांचवे रूप माँ स्कंदमाता माता की उपासना की जाती है! माता का यह रूप ममता और करुणा से परिपूर्ण होता है जो अपने भक्तों पर संतान के समान स्नेह और दया लुटाती हैं।

Q. स्कंदमाता का प्रिय भोग क्या है?

An. मां भगवती के इस स्कंदमाता के रूप को पीले रंग की वस्तुएं सबसे अधिक प्रिय है। अतः उनकी पूजा करते समय उन्हें  भोग में पीले रंग के फल और पीली मिठाई अर्पित करने का विधान है। 

Q. माता स्कंदमाता के रूप का क्या महत्व है?

An. नवरात्रि में पांचवें दिन मां भगवती का पांचवां रूप स्कंदमाता का होता है। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, भगवान शिव की अर्धांगिनी के रूप में मां आदिशक्ति ने स्वामी कार्तिकेय को जन्म दिया था। कार्तिकेय का दूसरा नाम स्कंद है, इसलिए मां दुर्गा के इस रूप को स्कंदमाता का नाम दिया गया है।

Q. माता स्कंद देवी की उपासना करने से क्या लाभ मिलता है?

An. धार्मिक ग्रंथों में माता के इस रूप का वर्णन कुछ इस प्रकार है कि;  वे प्रेम और ममता की मूर्ति है! मां स्कंदमाता की पूजा और उपासना करने से जातक को संतान प्राप्ति की मनोकामना पूर्ण होती है! और माता की कृपा से भक्तों को दीर्घायु का आशीर्वाद मिलता है।

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