Navratri 2024 | नवरात्रि का चौथा दिन- मां कुष्मांडा देवी की कृपा से होगी सौभाग्य में वृद्धि

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चैत्र नवरात्रि के चौथे दिन मां दुर्गा के चौथे रूप मां कुष्मांडा देवी की पूजा विधान है। इस दिन मां भगवती के चौथे रूप की पूजा और उपासना की जाती है! मां दुर्गा के सभी भक्त इस दिन मां कुष्मांडा देवी की उपासना से उन्हें प्रसन्न करते हैं! देवी की कृपा से जातकों को सुख और वैभव की प्राप्ति होती है! तो, आइए आज हम ‘मंगल भवन’ के इस लेख में, मां दुर्गा के चौथे रूप मां कुष्मांडा देवी की पूजा, उपासना और महिमा के बारे में जानेंगे-

नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा देवी की पूजा की जाती है! इस दिन भक्तजन पूरे विधि-विधान से मां दुर्गा की पूजा करते हैं और उन्हें भोग अर्पित कर, आरती करते हैं। मां कुष्मांडा 8 भुजाओं वाली दिव्य शक्ति से युक्त और मां परमेश्वरी का रूप मानी जाती हैं। ऐसी मान्यता है कि मां दुर्गा के इस रूप का आह्वान करने से जातक के सभी अभीष्ट कार्य पूर्ण होते हैं और सभी कार्य बिना बाधा के संपन्न होते हैं वे भी बिना किसी रुकावट के संपन्न हो जाते हैं। साथ ही, मां कुष्मांडा की पूजा करने से भक्तों को सुख, वैभव और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। देवी पुराण के अनुसार, विद्यार्थियों को नवरात्रि में मां कुष्मांडा की पूजा-अर्चना करने से बुद्धि का विकास होता है और सफलता मिलती है।

धार्मिक शास्त्रों में, मां कुष्मांडा के स्वरूप का बहुत ही अद्भुत चित्रण किया गया है! उनका रूप बहुत ही दिव्य और अलौकिक माना गया है। मां कुष्मांडा की सवारी शेर हैं और उनकी आठ भुजाओं में दिव्‍य, अस्त्र और शस्त्र धारण की हुई है। उनके इन आठ भुजाओं में कमंडल, कलश, कमल और सुदर्शन चक्र धारण किया हुआ है। मां कुष्मांडा के इस रूप के जातकों को जीवन में शक्ति और साहस की प्रेरणा मिलती है।

                                                  

  • पूजन सामग्री 

धार्मिक शास्त्रों में, देवी-देवताओं के आह्वान के लिए कुछ विशेष बातों का उल्लेख किया गया है, जिससे उनकी कृपा प्राप्त होती है!  मां कूष्मांडा की पूजा में भी कुछ पूजन सामग्री का उपयोग किया जाता है जैसे- कुमकुम, लाल कलावा, अक्षत, पीले वस्त्र, पीली चूड़ियां, पीली मिठाई , घी, धूप, चंदन आदि।

  • पूजा विधि 

देवी कुष्मांडा की पूजा के लिए प्रातः पवित्र स्नान कर शुद्ध हो जाना चाहिए! इसके बाद, स्वच्छ कपड़े धारण करें। मां कुष्मांडा देवी का ध्यान करते हुए देवी भगवती का पंचामृत से स्नान करें और धूप-दीप जलाएं। लाल फूल, कुमकुम और पीले चंदन का तिलक लगाएं और उन्हें प्रिय भोग अर्पित करें। मां कुष्मांडा का प्रिय भोग, पीले रंग का केसर पेठा, सफेद पेठे, फल, मालपुआ और बताशे का भोग है। अंत में पूर्ण श्रद्धा के साथ आरती करें और माता से अपनी पूजा में हुई गलतियों की क्षमा याचना कर प्रार्थना करें! शंखनाद की पवित्र ध्वनि से पूजा सम्पन्न करें। माता को अर्पित किया गया भोग प्रसाद के रूप में सभी में वितरित करें और स्वयं भी ग्रहण करें।

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नवरात्रि के चौथे दिन से जुड़े कुछ विशेष तथ्य 

नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा देवी की पूजा की जाती है! धार्मिक शास्त्रों में मां कूष्मांडा देवी को दुर्गा का चौथा रूप माना जाता है तो आइये जानते हैं- नवरात्रि के चौथे दिन से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्य- 

  1. धार्मिक मान्यता के अनुसार, मां कूष्मांडा को आदिशक्ति कहा जाता है! 
  2. मां कूष्मांडा देवी की आराधना से रोग-दोष दूर होते हैं और सौभाग्य बढ़ता है!
  3. मां कूष्मांडा को अष्टभुजाओं की देवी भी कहा जाता है!  जिनकी कृपा से यश, बल, और धन की प्राप्ति होती है!
  4. मां कूष्मांडा को नारंगी रंग बहुत प्रिय है! इसलिए उनकी पूजा में, कुमकुम, लाल कलावा, अक्षत, पीले वस्त्र, पीली चूड़ियां, पीली मिठाई, घी, धूप, चंदन का उपयोग किया जाता है!
  5. मां कुष्मांडा को पीली मिठाई और मालपुए का भोग लगाया जाता है! 
  6. मां कूष्मांडा देवी की पूजा करते समय हरे रंग के कपड़े धारण करने विधान है!
  7. मां कूष्मांडा देवी की पूजा में पीले रंग के फूल और वस्तुओं का उपयोग किया किया जाता है! 
  8. मां कूष्मांडा देवी की पूजा के समय उन्हें श्रृंगार में सिंदूर, काजल, चूड़ियां, बिंदी, बिछिया, कंघी, दर्पण, और पायल भी चढ़ाए जाते हैं! 
  9. पूर्ण विधि-विधान से पूजा करने के बाद माता की आरती और क्षमा याचना करना न भूले!

  मां कुष्मांडा देवी की आराधना करते समय निम्न मंत्रों का जाप करना चाहिए-                                                                    

  • “ऐं ह्री देव्यै नम:”
  • “ॐ कूष्माण्डायै नम: ध्यान मंत्र: वन्दे वांछित कामार्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्। 

                     सिंहरूढ़ा अष्टभुजा कूष्माण्डा यशस्वनीम्॥

  • “सुरासम्पूर्ण कलशं रुधिराप्लुतमेव च। दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥

                            या देवी सर्वभूतेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥”

 

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Q. नवरात्री के चौथे दिन मान दूर के कौन से रूप की पूजा की जाती है?

An. चैत्र नवरात्रि के चौथे दिन मां दुर्गा के चौथे रूप मां कुष्मांडा देवी की पूजा विधान है। इस दिन मां भगवती के चौथे रूप की पूजा और उपासना की जाती है! मां दुर्गा के सभी भक्त इस दिन मां कुष्मांडा देवी की उपासना से उन्हें प्रसन्न करते हैं!

Q. मां कुष्मांडा देवी की उपासना करने से क्या होता है?

An. मां कूष्मांडा देवी की आराधना से रोग-दोष दूर होते हैं और सौभाग्य बढ़ता है!

Q. मां कुष्मांडा देवी को भोग में कौन सी वस्तु प्रिय है?

An. मां कुष्मांडा का प्रिय भोग, पीले रंग का केसर पेठा, सफेद पेठे, फल, मालपुआ और बताशे का भोग है। 

Q. मां कुष्मांडा देवी को कौन सा रंग प्रिय है?

An. मां कुष्मांडा को नारंगी रंग बहुत प्रिय है!

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