Navratri 2024 | नवरात्रि का तीसरा दिन, मां चंद्रघंटा माता की उपासना से होगी आध्यात्मिक शक्ति में वृद्धि

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नवरात्रि के तीसरे दिन मां भगवती के तीसरे रूप माता चंद्रघंटा देवी की पूजा का विधान है। चंद्रघंटा मां, देवी दुर्गा का ही एक रूप हैं जो कि बहुत ही सुंदर, मोहक, अलौकिक, कल्याणकारी और शांतिदायक है। तो आइए आज के इस “मंगल भवन” के लेख में हम माता चंद्रघंटा के अद्भुत और अलौकिक रूप और उनकी शक्तियों के बारे जानेगें- 

मां दुर्गा का तीसरा रूप माता चंद्रघंटा देवी के माथे पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र विराजमान है, जिस कारण उन्हें चंद्रघंटा के नाम से जाना जाता है। चैत्र नवरात्रि के तीसरे दिन माता चंद्रघंटा देवी की पूजा और उपासना की जाती है! धार्मिक ग्रंथों में माता की शकरी का बखान करते हुए बताया गया है कि देवी चंद्रघंटा की उपासना करने वाले जातकों को पराक्रमी और निर्भय होने का आशीर्वाद मिलता है! 

हमारे ‘मंगल भवन’ के वरिष्ट आचार्यों की गणना से यह ज्ञात हुआ कि देवी चंद्रघंटा की पूजा और भक्ति करने से आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त होती है। इसके अलावा यदि नवरात्रि में तीसरे दिन माता का श्रद्धा से आह्वान किया जाए तो, देवी ऐसे भक्तों को अपनी कृपा और आशीर्वाद निश्चित रूप से प्रदान करती हैं। माना जाता है कि, माता की पूजा करने से आध्यात्मिक शांति मिलती है! 

माता चंद्रघंटा देवी के इस रूप की उपासना करने से मन को अलौकिक शक्ति और शांति का अनुभव प्राप्त होता है, जिससे न केवल इस संसार जगत में, बल्कि परलोक में भी परम कल्याण और मोक्ष की प्राप्ति होती है। देवी चंद्रघंटा की वंदना से एक अलौकिक परम सूक्ष्म ध्वनि सुनाई देती है, जो मन बहुत शांत करती है। चूंकि उनका वर्ण स्वर्ण(सोना) जैसा चमकीला है और ये हमेशा आसुरी शक्तियों के विनाश के लिए तत्पर रहती हैं, अतः उनकी आराधना करने वाले जातकों को भी अद्भुत और अपूर्व शक्ति का अनुभव होता है। मां चंद्रघंटा की पूजा-विधि में दूध का प्रयोग लाभकारी परिणाम देने वाला माना गया है।

धार्मिक शास्त्रों में, देवी-देवताओं की उपासना के लिए कुछ नियम बताए गए हैं:  जिनका पालन करने से उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है और पूजा सफल मानी जाती है! आइए जानें….

  • प्रातः काल ब्रम्हमुहुर्त या सूर्योदय से पहले उठकर स्नान कर पवित्र हो जाएँ! फिर मां चंद्रघंटा के साथ मां दुर्गा के अन्य स्वरूपों का ध्यान करते हुए मां चंद्रघंटा की विधिवत धूप-दीप के साथ पूजा करें और पुष्प अर्पित करें! इसके बाद माता को केसर की खीर या फिर दूध से बनी कोई मिठाई का भोग अर्पित करें! माता दुर्गा की उपासना हेतु, दुर्गा चालीसा, दुर्गा सप्तशती का पाठ या माता चंद्रघंटा के मंत्रों का जाप करें और अंत में माता की आरती करें! इसके बाद माता से पूजा में हुई भूल-चूक के लिए क्षमा याचना करें!

नवरात्रि के तीसरे दिन माता भगवती के चंद्रघंटा रूप की उपासना करते हैं! ऐसा कहा जाता है कि पूजा करते समय माता का प्रिय भोग दूध या दूध से बनी मिठाई या खीर लगाया जाता है। मां को भोग लगाने के बाद आप किसी जरूरतमंद को दूध का दान भी कर सकते हैं ! इसके अलावा माता को शहद का भोग भी लगा सकते है।

धार्मिक शास्त्रों में, मां दुर्गा के पहले रूप को शैलपुत्री और दूसरे रूप को ब्रह्मचारिणी स्वरूप जो कि भगवान शंकर को पति रूप में प्राप्त करने के लिए है, जब माता भगवान शंकर को पति रूप में प्राप्त कर लेती हैं तब वह आदिशक्ति के शक्तिशाली रूप में प्रकट होती है और माता चंद्रघंटा बन जाती हैं। यह देवी पार्वती के जीवन में तीसरी सबसे बड़ी घटना होती है जिनमें, उनको प्रिय वाहन वाघ प्राप्त होता है। अतः माता की सवारी बाघ पर भक्तों को अभय और शक्ति प्रदान करने वाली होती है। देवी भगवती को लाल रंग बहुत प्रिय है इसलिए माता की पूजा में लाल रंग के वस्त्र पहनने चाहिए।

देवी चंद्रघंटा की उपासना हेतु मंत्र 

                                   “पिंडजप्रवरारूढ़ा, चन्दकोपास्त्रकैर्युता।

                                          प्रसादं तनुते मह्यं, चंद्रघण्टेति विश्रुता।।”

इसका अर्थ है कि सिंह पर सवार माता चंडिका अस्त्र-शस्त्र से युक्त मां चंद्रघंटा मुझ पर अपनी कृपा करें।

                          “या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

                                           पिण्डज प्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकैर्युता। प्रसादं तनुते महयं चन्द्रघण्टेति विश्रुता।।”

पेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥”

 

अवश्य पढ़ें: नवरात्रि का चौथा दिन- मां कुष्मांडा देवी की कृपा से होगी सौभाग्य में वृद्धि

Q. नवरात्री के तीसरे दिन माता दुर्गा के कौन से रूप की पूजा की जाती है?

An. नवरात्रि के तीसरे दिन मां भगवती के तीसरे रूप माता चंद्रघंटा देवी की पूजा का विधान है। चंद्रघंटा मां, देवी दुर्गा का ही एक रूप हैं जो कि बहुत ही सुंदर, मोहक, अलौकिक, कल्याणकारी और शांतिदायक है।

Q. माता चंद्रघंटा की पूजा का क्या महत्व है?

An. देवी चंद्रघंटा की पूजा और भक्ति करने से आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त होती है। इसके अलावा यदि नवरात्रि में तीसरे दिन माता का श्रद्धा से आह्वान किया जाए तो, देवी ऐसे भक्तों को अपनी कृपा और आशीर्वाद निश्चित रूप से प्रदान करती हैं।

Q. नवरात्रि के तीसरे दिन माता भगवती को किसका भोग लगाना चाहिए?

An. नवरात्रि के तीसरे दिन माता भगवती के चंद्रघंटा रूप की उपासना करते हैं! ऐसा कहा जाता है कि पूजा करते समय माता का प्रिय भोग दूध या दूध से बनी मिठाई या खीर लगाया जाता है।

Q. माता चंद्र घंटा के रूप का पौराणिक महत्व बताइए?

An. धार्मिक शास्त्रों में, मां दुर्गा के पहले रूप को शैलपुत्री और दूसरे रूप को ब्रह्मचारिणी स्वरूप जो कि भगवान शंकर को पति रूप में प्राप्त करने के लिए है, जब माता भगवान शंकर को पति रूप में प्राप्त कर लेती हैं तब वह आदिशक्ति के शक्तिशाली रूप में प्रकट होती है और माता चंद्रघंटा बन जाती हैं। यह देवी पार्वती के जीवन में तीसरी सबसे बड़ी घटना होती है जिनमें, उनके प्रिय वाहन वाघ प्राप्त होता है। 

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