नवरात्रि का दूसरा दिन, ब्रह्मचारिणी देवी
नवरात्रि के दूसरे दिन, मां भगवती के ब्रह्मचारिणी रूप की पूजा-अर्चना की जाती है! माता के इस रूप को समस्त रोगों का नाश करने वाला, समरण शक्ति को बढ़ाने वाला और रोग का नाश करने वाला माना गया है! आज के ‘मंगल भवन’ के लेख में हम ‘नवरात्री’ के दूसरे दिन यानी मां दुर्गा के ‘देवी ब्रह्मचारिणी’ स्वरूप और उनकी पूजा-अर्चना के बारे में बात करेंगे। कैसा है मां ब्रह्मचारिणी देवी का स्वरूप? क्यों कहते हैं उन्हें माता ब्रह्मचारिणी देवी, और क्या है माता की उपासना करने के लाभ? साथ ही, जानेंगे कुछ अन्य महत्वपूर्ण तथ्यों के बारे में-
मां ब्रह्मचारिणी देवी
शास्त्रों में मां ब्रह्मचारिणी देवी के नाम का अर्थ बताया गया है- जिसमें, ब्रह्म का अर्थ तपस्या और चारिणी का अर्थ आचरण करने वाली! यानी तप का आचरण करने वाली ब्रह्मचारिणी देवी को हम पूजते हैं। ज्योतिष में उनके महत्व का वर्णन करते हुए हमारे विद्वान ज्योतिष आचार्यों ने कहा है कि, माता ब्रह्मचारिणी की पूजा आराधना करने से आत्मविश्वास, आयु, आरोग्य, सौभाग्य, अभय आदि की प्राप्ति होती है।
माता ब्रह्मचारिणी को ‘ब्राह्मी’ नाम से भी कहा जाता है जो कि मां दुर्गा का ही एक रूप है! भगवती की इस शक्ति की पूजा अर्चना करने से जातक को अपने लक्ष्य प्राप्त करने की अद्भुत शक्ति मिलती है। आइए आगे इस लेख हम मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि, मंत्र, आरती और स्वरूप के बारे में विस्तार से पढ़ते है–
धार्मिक शास्त्रों में- माता ब्रह्मचारिणी देवी का वर्णन
हमारे धार्मिक शास्त्रों में बताया गया है कि मां दुर्गा (भगवती) ने पार्वती के रूप में पर्वतराज के यहां पुत्री रूप में जन्म लिया था और नारद मुनि के कथन अनुसार, अपने जीवन में भगवान महादेव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तप किया। उनकी यह तपस्या कई हजार वर्षों तक चली और इसी कारण उनका नाम तपश्चारिणी या ब्रह्मचारिणी पड़ा। इस तपस्या के दौरान वे कई वर्षों तक निराहार रही और अपने इस अत्यंत कठिन तप से भगवान शिव को प्रसन्न कर लिया। अतः उनके इसी तप के प्रतीक के रूप में प्रतिवर्ष चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन उनके इसी रूप की पूजा-आराधना की जाती है।
अद्भुत है, माता ब्रह्मचारिणी देवी के स्वरूप
नवरात्रि में, मां दुर्गा के नौ रूपों में, दूसरा रूप मां ब्रह्मचारिणी देवी का है। जिनकी पूजा-अर्चना नवरात्रि के दूसरे दिन की जाती है। माता ब्रह्मचारिणी इस लोक के समस्त चर और अचर जगत की विद्याओं की ज्ञाता मानी गई हैं। जिनका स्वरूप श्वेत वस्त्र में लिपटी हुई कन्या के रूप में दिखाई देता है, जिसके एक हाथ में अष्टदल की माला और दूसरे हाथ में कमंडल है! जो माला और कमंडल धारण कर ब्रह्मचारिणी नामक, दुर्गा शास्त्रों के ज्ञान और तंत्र-मंत्र आदि से संयुक्त है। जिनकी कृपा से उनके भक्तों को सर्वज्ञ और संपन्न विद्या की प्राप्ति होती है। माता ब्रह्मचारिणी देवी का स्वरूप बहुत ही साधारण अद्भुत और भव्य है। अन्य देवियों की तुलना में माता का यह रूप अति सौम्य, क्रोध रहित, वरदान देने वाली और अद्भुत शक्तियों से युक्त है। माता ब्रह्मचारिणी देवी के स्वरूप का शास्त्रों में इस प्रकार वर्णन किया गया है-
“दधाना काभ्याम् क्षमा कमण्डलू। देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा”।
माता ब्रह्मचारिणी की पूजा और भोग विधि
शास्त्रों के अनुसार, नवरात्रि के दूसरे दिन मां भगवती को चीनी का भोग लगाने का विधान है। मान्यता है कि, चीनी के भोग से जातक को लंबी आयु निरोगी काया प्राप्त होती है! जातक के विचार शुद्ध होते हैं और अच्छे विचारों का आगमन होता है। इसके साथ ही, माता पार्वती की कठिन तपस्या के रूप का आह्वान करने के मन में संघर्ष करने की अद्भुत क्षमता और प्रेरणा का विकास होता है।
शास्त्रों के अनुसार, नवरात्रि के दूसरे दिन सफेद रंग के वस्त्र पहनकर माता भगवती के ब्रह्मचारिणी रूप की पूजा अर्चना करनी चाहिए; क्योंकि माता ब्रह्मचारिणी को सफेद रंग बहुत प्रिय है। यह रंग से सीखने, उत्साह, बुद्धि और ज्ञान का संकेत है। अतः माता के पूजन में, वस्त्र, फूल, फल आदि अवश्य सम्मिलित करना चाहिए। यह रंग से सीखने, उत्साह, बुद्धि और ज्ञान का संकेत है। इसके अलावा मां ब्रह्मचारिणी की पूजा के साथ यह निम्न मंत्र उच्चारण करना चाहिए-
“ॐ ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिण्यै नम:”
शास्त्रों में, मां भगवती के रूपों की उपासना के लिए यह मंत्र उच्चारित किया जाता है –
‘या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:’ चाहिए।
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FAQS\ अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न-
Q. नवरात्री के दूसरे दिन मां भगवती के कौन से रूप की पूजा करें?
An. नवरात्रि के दूसरे दिन, मां भगवती के ब्रह्मचारिणी रूप की पूजा-अर्चना की जाती है! माता के इस रूप को समस्त रोगों का नाश करने वाला, समरण शक्ति को बढ़ाने वाला और रोग का नाश करने वाला माना गया है!
Q. नवरात्री के दूसरे दिन कौन से रन के वस्त्र पहनना चाहिए?
An. नवरात्री के दूसरे दिन सफेद रंग के वस्त्र पहनना चाहिए।
Q. नवरात्री के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा क्यों की जाती है?
An. नारद मुनि के कथन अनुसार, अपने जीवन में भगवान महादेव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तप किया। उनकी यह तपस्या कई हजार वर्षों तक चली और इसी कारण उनका नाम तपश्चारिणी या ब्रह्मचारिणी पड़ा। इस तपस्या के दौरान वे कई वर्षों तक निराहार रही और अपने इस अत्यंत कठिन तप से भगवान शिव को प्रसन्न कर लिया। अतः उनके इसी तप के प्रतीक के रूप में प्रतिवर्ष चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन उनके इसी रूप की पूजा-आराधना की जाती है।
Q. मां ब्रह्मचारिणी देवी किसका प्रतीक मानी गई है?
An. माता ब्रम्ह्चारिणी के इस रूप को समस्त रोगों का नाश करने वाला, समरण शक्ति को बढ़ाने वाला और रोग का नाश करने वाला माना गया है!