Navratri 2024 | पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा व घटस्थापना, बनेंगे यह 5 राजयोग

navratri 2024 -day-1

हिंदू धर्म में, नवरात्रि दो ऋतुओं के संधिकाल को निखारने वाला बहुत ही, शुभ और अद्भुत नौ दिवसीय महापर्व माना जाता है। जो, कि अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक मनाया जाता है! इस महापर्व में सभी भक्तों के द्वारा मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा -अर्चना की जाती है। मां आदिशक्ति के नौ रूपों में, शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चन्द्रघंटा, कूष्माण्डा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और मां सिद्धिदात्री का आह्वान किया जाता है! तो, आइए आज के इस ‘मंगल भवन’ के लेख में हम नवरात्री 2024 के पहले दिन यानी घटस्थापना और मां शैलपुत्री की पूजन विधि के बारे में जानकारी पढेंगे! साथ ही, नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना (घटस्थापना ) भी की जाती है, जिसका मुहूर्त विस्तार इस प्रकार है-

  • घटस्थापना मुहूर्त: 03 अक्टूबर, 2024

06:23 पूर्वाह्न – 10:18 पूर्वाह्न 

  • प्रतिपदा तिथि समय प्रारंभ-
    03 अक्टूबर- रात 12:19 बजे से
  • प्रतिपदा तिथि समाप्त-
    04 अक्टूबर को प्रातः 02:58 बजे तक 
  • अभिजीत मुहूर्त समय- 11:52 पूर्वाह्न – 12:39 अपराह्न
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ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शारदीय नवरात्रि में हर साल माता का आगमन और प्रस्थान की सवारी बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। क्योंकि, माता की सवारी भविष्य में होने वाली गतिविधियों या घटनाओं का पूर्व संकेत देती है। इस वर्ष 2024 में मां दुर्गा गुरुवार के दिन को पालकी पर सवार होकर आ रही हैं। धार्मिक पुराण में माता का पालकी पर सवार होकर आना बहुत ही शुभ माना गया है। लेकिन पालकी पर सवार होकर आना आंशिक रूप से महामारी का भी संकेत है! इसलिए देश में बीमारी और महामारी फैलने की आशंका है।

वैसे तो, मां दुर्गा के अद्भुत नवरात्रे साल में 4 बार आते हैं जिनमें से 2 प्रत्यक्ष और 2 अप्रत्यक्ष नवरात्रि होती हैं। हिन्दू मान्यताओं में, शारदीय नवरात्रि प्रत्यक्ष, महत्वपूर्ण और लोकप्रिय नवरात्रि है। इसलिए शारदीय नवरात्रि को महा नवरात्रि भी कहा जाता है। साल में, शारदीय नवरात्र आश्विन मास की प्रतिपदा से प्रारंभ होकर नवमी तिथि तक चलती है। भक्तों के द्वारा जगह-जगह इन 9 दिनों में मां दुर्गा की विशाल प्रतिमाएं और पंडाल स्थापित किए जाते हैं और नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों का आह्वान व पूजन किया जाता है। साथ ही मां दुर्गा के सम्मुख जवारे बोये जाते हैं और गरबा खेला जाता है। 

इसके बाद अंतिम दिन, यानी विजयादशमी पर मां दुर्गा की प्रतिमाओं के जवारे विसर्जित किए जाते हैं। चूंकि इस समय से शरद ऋतु का प्रारंभ होता है, इसलिए इसे शारदीय नवरात्रि कहा जाता है। आगे लेख में हम मां दुर्गा के प्रथम रूप ( मां शैलपुत्री) के बारे में जाएंगे जिनकी उपासना नवरात्रि में पहले दिन की जाती है- 

मां शैलपुत्री, पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं! पार्वती के स्वरूप में साक्षात शैलपुत्री की पूजा नवरात्रि के पहले दिन की जाती है! शैलपुत्री अपने अस्त्र त्रिशूल के साथ त्रिलक्ष्यं (धर्म, अर्थ और मोक्ष) मूलाधार चक्र के बल को दर्शाती है। मूलाधार, मनुष्य के पूर्व जन्मों के कर्म और सभी अच्छे-बुरे अनुभव का संचय होता है। यह चक्र कर्म सिद्धांत के अनुसार मनुष्य का प्रारब्ध निर्धारित करता है, जो अनुत्रिक के आधार योग साधना का प्रथम चक्र है। इसके साथ ही, यह मानव के अवचेतन मन (Subconscious Mind) से सम्बन्धित होता है।

मां शैलपुत्री के स्वरूप की बात करें तो,  मां वृषभ यानी कि बैल पर स्वर श्वेत वस्त्र धारण किये हुए हैं। मां शैलपुत्री के दाएं  दाएं हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल धारण किया हुआ है। मां का यह रूप सौम्यता, करुणा, स्नेह और धैर्य को दर्शाता है। इस चक्र का सांकेतिक प्रतीक कमल (मन, बुद्धि, चित्त और अहंकार) का द्योतक चिन्ह है।

  • मां शैलपुत्री की पूजा विधि

नवरात्रि के नौ दिन मां के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है! जिसमें पहले दिन प्रातः स्नान आदि पवित्र होकर मां दुर्गा का ध्यान करते हुए कलश स्थापना करना चाहिए। कलश स्थापना के बाद मां शैलपुत्री के चित्र को स्थापित कर उन्हें, कुमकुम और अक्षत लगाएं और मां के मां मंत्रों का जाप करें। मां शैलपुत्री को सफेद रंग के पुष्प अर्पित करें और मां शैलपुत्री आरती उतारें और प्रिय भोग लगाएं।

  • मां शैलपुत्री का प्रिय भोग और रंग  

मां शैलपुत्री का प्रिय रंग श्वेत सफेद है; ऐसे में उन्हें सफेद वस्त्र वस्तुओं का भोग अति प्रिय है- जैसे कि खीर, चावल, सफेद मिष्ठान आदि। साथ ही, इस दिन भक्तों को पीले रंग के वस्त्र पहनने चाहिए। 

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वैदिक ज्योतिष की गणना के अनुसार, चैत्र नवरात्रि के दिन चंद्रमा मेष राशि में रहेगा, जिससे चंद्रमा और बृहस्पति की युति से गजकेसरी योग बनने जा रहा है। साथ ही शनि अपनी त्रिकोण राशि कुंभ में स्थित है, जिससे शश राजयोग बनेगा। इसके अलावा शुक्र अपनी उच्च राशि में प्रवेश करेगा, जिससे मालव्य राजयोग बनेगा। इसके अलावा, सूर्य और बुध मेष राशि में बुधादित्य राजयोग का निर्माण करेंगे और अंत  में सूर्य और बुध मीन राशि में लक्ष्मी नारायण योग बनाएंगे। 

वैसे तो, चैत्र नवरात्रि 2024 में बनने वाले इन 5 राजयोगों का प्रभाव सभी 12 राशियों पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से पड़ेगा। लेकिन, कुछ राशियां हैं, जिन पर चैत्र नवरात्रि 2024 में इन शुभ योग का प्रभाव होगा और इन राशियों को अच्छे परिणाम मिलने वाले हैं। 

  • मेष राशि 

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, मेष राशि में ‘गजकेसरी योग’ बन रहा है, जो कि मेष राशि के जातकों के लिए भाग्यशाली होगा। साथ ही, मां लक्ष्मी की कृपा से उन्हें जीवन में सफलता और सिद्धि प्राप्त होगी! इन जातकों को आर्थिक स्थिति अच्छी होगी। परिवार में अच्छा समय बीतेगा। यदि आप किसी निवेश या व्यवसाय प्रारंभ करने का सोच रहे हैं तो, यह समय आपके लिए शुभ होगा। अच्छी सफलता और लाभ मिलने की संभावना है। साथ ही, मां दुर्गा की कृपा से आपको संतान पक्ष से भी शुभ समाचार मिल सकते हैं। जो जातक नौकरी करते हैं उन्हें अपने कार्यस्थल पर प्रशंसा मिलेगी! साथ ही, पदोन्नति या बड़ी जिम्मेदारी भी मिलने के अच्छे संकेत हैं। 

  • कुंभ राशि 

इस नवरात्रि, कुंभ राशि के जातकों की कुंडली में ‘राजयोग’ के साथ ‘शश राजयोग’ भी बनने जा रहा है! जिसके कारण कुम्भ राशि के जातकों पर मां दुर्गा की विशेष कृपा रहेगी। और ज्योतिष के मुताबिक, मां दुर्गा के साथ-साथ मां लक्ष्मी और शनिदेव भी कुंभ राशि के जातकों पर अपनी कृपा बरसाएंगे, जिससे उन्हें जीवन के हर क्षेत्र में सफलता मिलेगी। पारिवारिक मामलों की बात करें तो, कुंभ राशि के जातक अपने परिवार के साथ अच्छा समय बिताएंगे। साथ ही, प्रॉपर्टी या जमीन खरीदने के भी अच्छे योग बन रहे हैं, जिससे अच्छा लाभ मिलने के संकेत हैं। संतान पक्ष से जुड़ी परेशानियां दूर होंगी और घर का वातावरण सकारात्मक रहेगा। यदि कोई नया व्यवसाय शुरू करने के विचार में है तो यह समय अच्छा है और आय के नए स्रोत बनेंगे। इस समय, कुंभ राशि के जातकों को सामाजिक मान-सम्मान की भी प्राप्ति होगी। 

  • सिंह राशि 

सिंह राशि के जातकों की बात करें तो, इस नवरात्रि 2024 में मां दुर्गा की इन जातकों पर विशेष कृपा होगी। जो भी कार्य करेंगे, उन्हें प्रयासों से सफलता मिलेगी और सामाजिक मान-सम्मान और ख्याति प्राप्त होगी। जो जातक नौकरी की तलाश कर रहे हैं उनके लिए अच्छे अवसर आएँगे। मां दुर्गा की कृपा से आपके सभी रुके हुए कार्य पूरे होंगे। इस राशि के जातकों को न केवल कर्ज से मुक्ति मिलेगी बल्कि धन सम्बन्धी समस्याएं भी दूर होंगी। पारिवारिक कलेश समाप्त होंगे यदि कोई जातक नया व्यवसाय शुरू करने की सोच रहे हैं तो यह समय अनुकूल रहेगा। 

अवश्य पढ़ें: नवरात्रि का दूसरा दिन, ब्रह्मचारिणी देवी, उपासना से होगी स्मरण शक्ति में वृद्धि

Q. नवरात्रि 2024 में घत्स्थाना के लिए शुभ मुहूर्त क्या है?

An. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, नवरात्रि में घट स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त: 03 अक्टूबर, 2024

06:23 पूर्वाह्न से 10:18 पूर्वाह्न तक रहेगा।

Q. नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा के किस रूप की पूजा की जाती है?

An. मां शैलपुत्री, पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं! पार्वती के स्वरूप में साक्षात शैलपुत्री की पूजा नवरात्रि के पहले दिन की जाती है! शैलपुत्री अपने अस्त्र त्रिशूल के साथ त्रिलक्ष्यं (धर्म, अर्थ और मोक्ष) मूलाधार चक्र के बल को दर्शाती है।

Q. क्या, नवरात्रि में सभी को व्रत करना चाहिए?

An.   नहीं, नवरात्रि में मां दुर्गा की उपासना की जाती है और सभी भक्तजन मां के लिए अपनी शक्ति अनुसार व्रत रख सकते हैं।

Q. साल में आने वाली नवरात्रि में से कौन सी नवरात्रि सबसे अधिक महत्वपूर्ण और विशेष है?

An. वैसे तो, मां दुर्गा के अद्भुत नवरात्रे साल में 4 बार आते हैं जिनमें से 2 प्रत्यक्ष और 2 अप्रत्यक्ष नवरात्रि होती हैं। हिन्दू मान्यताओं में, शारदीय नवरात्रि प्रत्यक्ष, महत्वपूर्ण और लोकप्रिय नवरात्रि है। इसलिए शारदीय नवरात्रि को महा नवरात्रि भी कहा जाता है। 

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