ज्योतिष में- पूर्णिमा तिथि के रहस्यमयी प्रभाव
हिंदू धर्म और शास्त्रों में, पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व बताया गया है। कहा जाता है कि, इस दिन पूजा, ध्यान, गंगा स्नान और दान करने का विशेष महत्व है। पूर्णिमा तिथि पर विशेष रूप से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करने का विधान है। साथ ही, पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से युक्त होता है। इसलिए यह पूर्णत्व की तिथि मानी जाती है। इस तिथि के दिन चंद्रमा सम्पूर्ण होता है , सूर्य और चन्द्रमा समसप्तक होते हैं!
जिससे कि, जल और वातावरण में विशेष ऊर्जा का संचरण होता है! चन्द्रमा को पूर्णिमा तिथि का स्वामी कहा जाता है! अतः इस दिन विधिवत पूजा करने से हर तरह की मानसिक समस्याओं से मुक्ति मिल सकती है! साथ ही, इस दिन सत्यनारायण देव या शिव जी की उपासना अवश्य करनी चाहिए! जिससे जातक के जीवन में, बहुत से सकारात्मक परिवर्तन होते हैं! तो, आइए आज के इस ‘मंगल भवन’ के लेख में हम आपको साल 2025 में आने वाली सभी पूर्णिमा तिथियां व उनके शिन समय के बारे में तो जानकारी देंगे ही, साथ ही, पूर्णिमा के व्रत के महत्व और पूजा विधि के बारे में भी विस्तार से बताएंगे…
पूर्णिमा व्रत 2025- महत्व
पूर्णिमा का दिन शांति, समृद्धि और मोक्ष प्राप्ति के लिए शुभ माना जाता है। इस दिन कई धार्मिक कार्य किए जाते हैं और धार्मिक पर्व भी मनाए जाते हैं। हिंदू धर्म में, पूर्णिमा पर भगवान सत्यनारायण की कथा का विशेष महत्व है। यह दिन भक्तों को जीवन की कठिनाइयों से मुक्ति दिलाने और आध्यात्मिक उन्नति के लिए प्रेरित करता है। पूर्णिमा व्रत रखने आप मानसिक शांति और आत्म-नियंत्रण बनाए रखने में सफल होते हैं। आपको जीवन में सुख-समृद्धि और धन-वैभव की प्राप्ति होती है। पूर्णिमा व्रत रखने से शरीर भी स्वस्थ रहता है और आपका मन भी शुद्ध होता है।
पूर्णिमा व्रत की पूजा विधि और मंत्र
- पूर्णिमा के व्रत के लिए आपको, इस दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि कार्य से निवृत्त होना है! यदि संभव हो तो किसी पवित्र नदी में स्नान कर सकते हैं, या घर पर ही सामान्य जल में गंगाजल मिलाकर स्नान कर लें।
- इसके बाद सूर्य देव को अर्घ्य दे और अर्घ्य देते समय ॐ घृणिः सूर्याय नमः मंत्र का जप करें।
- इसके बाद एक चौकी पर साफ-सुथरा लाल कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की प्रतिमा या फोटो स्थापित करें। और उनका विधिवत पूजन कर धूप, दीप नैवेद्य आदि अर्पित करें।
- इसके बाद शाम के समय पूजा के दौरान अपने समक्ष पानी का कलश लें, और साथ ही, विष्णु जी को पंचामृत, केला और पंजीरी का भोग अर्पित करें।
- इसके बाद सत्यनारायण की कथा का पाठ करें और आसपास के लोगों को भी पूजा में आमंत्रित कर उन्हें परिवार के साथ, प्रसाद बांटे और दान-दक्षिणा दें।
- स्तोत्र\मंत्र
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, पूर्णिमा तिथि पर अधिक लाभ प्राप्ति के लिए इस दिन लक्ष्मी जी के समक्ष कनकधारा स्त्रोत का पाठ भी कर सकते हैं। ऐसा करने से मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है और वे प्रसन्न होती हैं। जिससे साधक को कभी भी धन की समस्या का सामना नहीं करना पड़ता।
कब है पूर्णिमा 2025? तिथियां और समय
प्रत्येक महीने में, एक बार पूर्णिमा की तिथि का व्रत आता है। साल 2025 में, भी पूरे साल की पूर्णिमा तिथि इस प्रकार है-
पूर्णिमा की तारीख\दिनांक | पूर्णिमा का प्रारंभ व अंत समय\ शुभ मुहूर्त | दिन | पूर्णिमा का नाम और पक्ष |
13 जनवरी 2025 | पूर्णिमा तिथि प्रारंभ- 13 जनवरी, सुबह 05:03 बजे से पूर्णिमा तिथि समाप्त – 14 जनवरी, रात 03:56 बजे तक | सोमवार | पौष पूर्णिमा व्रत\ शुक्ल पक्ष |
12 फरवरी 2025 | पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ – 11 फरवरी, शाम 06:55 बजे से पूर्णिमा तिथि समाप्त – 12 फरवरी, शाम 07:22 बजे तक | बुधवार | माघ पूर्णिमा व्रत\ शुक्ल पक्ष |
13 मार्च 2025 | पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ – 13 मार्च, सुबह 10:35 बजे से पूर्णिमा तिथि तिथि समाप्त – 14 मार्च, दोपहर 12:23 बजे तक | गुरुवार | फाल्गुन पूर्णिमा व्रत\ फाल्गुन, शुक्ल पक्ष |
14 मार्च 2025 | पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ – 13 मार्च, सुबह 10:35 बजे से पूर्णिमा तिथि समाप्त – 14 मार्च, दोपहर 12:23 बजे तक | शुक्रवार | फाल्गुन पूर्णिमा |
12 अप्रैल 2025 | पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ – 12 अप्रैल, सुबह 03:21 बजे से पूर्णिमा तिथि समाप्त – 13 अप्रैल, सुबह 05:51 बजे तक | शनिवार | चैत्र पूर्णिमा व्रत\ चैत्र पक्ष |
12 मई 2025, | पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ – 11 मई, रात 08:01 बजे से पूर्णिमा तिथि समाप्त – 12 मई, रात 10:25 बजे तक | सोमवार | वैशाख पूर्णिमा व्रत |
11 जून 2025 | पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ – 10 जून, सुबह 11:35 बजे से पूर्णिमा तिथि समाप्त – 11 जून, दोपहर 01:13 बजे तक | बुधवार | ज्येष्ठ पूर्णिमा |
10 जुलाई 2025 | पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ – 10 जुलाई, रात 01:36 बजे से पूर्णिमा तिथि समाप्त – 11 जुलाई, रात 02:06 बजे तक | गुरुवार | आषाढ़ पूर्णिमा व्रत |
9 अगस्त 2025 | पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ – 08 अगस्त, दोपहर 02:12 बजे से पूर्णिमा तिथि समाप्त – 09 अगस्त, दोपहर 01:24 बजे तक | शनिवार | श्रावण पूर्णिमा व्रत, |
7 सितम्बर 2025 | पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ – 07 सितम्बर, रात 01:41 बजे से पूर्णिमा तिथि समाप्त – 07 सितम्बर, रात 11:38 बजे तक | रविवार | भाद्रपद पूर्णिमा व्रत, |
6 अक्टूबर 2025 | पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ – 06 अक्टूबर, दोपहर 12:23 बजे से पूर्णिमा तिथि समाप्त – 07 अक्टूबर, सुबह 09:16 बजे तक | सोमवार | आश्विन पूर्णिमा व्रत |
5 नवंबर 2025 | पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ – 04 नवम्बर, रात 10:36 बजे से पूर्णिमा तिथि समाप्त – 05 नवम्बर, शाम 06:48 बजे तक | बुधवार | कार्तिक पूर्णिमा व्रत |
4 दिसंबर 2025 | पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ – 04 दिसम्बर, सुबह 08:37 बजे से पूर्णिमा तिथि समाप्त – 05 दिसम्बर, सुबह 04:43 बजे तक | गुरुवार | मार्गशीर्ष, शुक्ल पूर्णिमा |
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पूर्णिमा 2025- अलग-अलग पूर्णिमा व उनका महत्व
पूर्णिमा तिथि का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। साथ ही, हमारे ऐसे कई धार्मिक पर्व भी हैं जो पूर्णिमा तिथि को मनाए जाते हैं। वैसे तो हर महीने में आने वाली पूर्णिमा का अलग महत्व होता है! लेकिन कुछ विशेष त्योहार पूर्णिमा तिथि के दिन होते हैं जो इस तिथि को अधिक शुभ और सकारात्मक परिणाम देने वाले बना देते हैं। वे तिथियां एस प्रकार है…
- गुरु पूर्णिमा: गुरु पूर्णिमा की तिथि सम्पूर्ण भारत में, गुरु के पर्व के नाम से मनाई जाती है! इस दिन गुरु के प्रति आभार और सम्मान व्यक्त किया जाता है और उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है! यानी हमारे गुरुजन जिन्होंने हमारे जीवन में गुरु की भूमिका निभाई है उनका सम्मान किया जाता है।
- शरद पूर्णिमा: शास्त्रों में इस तिथि को बहुत ही शुभ तिथि माना जाता है! इस दिन उदय होने वाले चंद्रमा की किरणों को अमृत के समान पवित्र माना जाता है। शरद पूर्णिमा पर रात में खीर बनाकर खुले आसमान के नीचे रखी जाती है। इस खीर को खाने से स्वास्थ्य में अद्भुत लाभ होते हैं!
- राखी का त्योहार: पुरे देश में, भाई-बहन का पवित्र पर्व रक्षाबंधन का पावन त्यौहार भी श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है।
- बुद्ध पूर्णिमा: इस पूर्णिमा की तिथि को भगवान बुद्ध से सम्बन्धित बताया गया है। यह बुद्ध के जन्म, ज्ञान प्राप्ति और महापरिनिर्वाण के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। साथ ही, इस दिन विशेष रूप से बौद्ध धर्म के लोग भगवान बुद्ध की पूजा अर्चना करते हैं!
- होली: रंगों का पवन पर्व होली भी फाल्गुन पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इस पर्व को बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में, मनाया जाता है!
- वट पूर्णिमा: वट पूर्णिमा का पर्व विशेष रूप से शगिन स्त्रियों द्वारा मनाया जाता है। इस दिन वें, अपने पति की लम्बी आयु के लिए वट वृक्ष की पूजा करती है और समृद्धि की कामना कर व्रत करती हैं!
- दत्तात्रेय जयंती: प्रतिवर्ष मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन भगवान दत्तात्रेय की जयंती मनाई जाती है। भगवान दत्तात्रेय को ब्रह्मा, विष्णु और महेश का अवतार माना जाता है।
पूर्णिमा तिथि पर व्रत के लाभ
इस दिन व्रत करने से कुछ व विशेष लाभ होते हैं जो इस प्रकार है-
- पूर्णिमा व्रत करने से चन्द्रमा को मजबूत किया जा सकता है!
- पूर्णिमा व्रत करने से चन्द्रमा के दुर्योगों को समाप्त किया जा सकता है!
- इस व्रत को करने से मानसिक बीमारियों से छुटकारा मिलता है और मन शांत होता है!
- इस दिन ईश्वर की उपासना से मनोकामनाओं को पूर्ण किया जा सकता है!
- पूर्णिमा के दिन रात्रि में स्नान करके चन्द्रमा की रौशनी में बैठने से जातक का चन्द्रमा अच्छे फल देने लगता है!
- चन्द्रमा के बीज मंत्रों का जप करने से चंद्र ग्रह मजबूत होते हैं-
“ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चन्द्रमसे नमः” मंत्र जप के बाद चंद्र देव को प्रणाम करें!ते हुए बच्चे की तस्वीर लगा सकते हैं! यदि वैवाहिक जीवन में प्रेम और सामंजस्य की कमी है तो, आप अपने जीवनसाथी के साथ हंसती हुई फोटो या फिर राधा-कृष्ण की फोटो लगा सकते हैं! इसके अलावा, अपने कारोबार\व्यवसाय में सफलता और लाभ के लिए कभी भी अपने व्यावसायिक स्थान\ दुकान पर बैठे हुए गणपति या माता लक्ष्मी आदि की तस्वीर नहीं लगाना चाहिए! इसी प्रकार घर के अन्दर कभी भी उनकी खड़ी देवी देवताओं की तस्वीर नहीं लगाना चाहिए!

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पूर्णिमा 2025- क्या कार्य न करें
पूर्णिमा तिथि पर शास्त्रों में कुछ कार्यों को करना वर्जित माना गया है! जानें क्या हैं वे कार्य…
- पूर्णिमा तिथि के दिन, झूठ या अपशब्द बोलने से बचें और किसी का अपमान न करें!
- पूर्णिमा तिथि के दिन हो सके तो, उपवास ही रहें और यदि उपवास रखना सम्भव न हो तो हल्का और सात्विक भोजन करें। मांसाहार और तामसिक भोजन का सेवन इस दिन नहीं करना चाहिए!
- पूर्णिमा के दिन अपने मन में किसी भी प्रकार की कोई नकारात्मक सोच न आने दें और क्रोध को भी नियंत्रण में रखें।
- इस दिन अपने व्यवहार को सोम्यता रखे। कोशिश करें अपने व्यवहार से किसी का भी दिल दिल न दुखे और शांति बनाए रखें।
FAQS / अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
Q. पूर्णिमा के व्रत का क्या महत्व है?
An. हिंदू धर्म और शास्त्रों में, पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व बताया गया है। कहा जाता है कि, इस दिन पूजा, ध्यान, गंगा स्नान और दान करने का विशेष महत्व है। पूर्णिमा तिथि पर विशेष रूप से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करने का विधान है। साथ ही, पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से युक्त होता है।
Q. पूर्णिमा के दिन कौन से देवी-देवताओं की पूजा की जाती है?
An. पूर्णिमा तिथि पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का पूजन किया जाता है!
Q. पूर्णिमा तिथि पर शाम के समय क्या किया जाता है?
An. पूर्णिमा के दिन रात्रि में स्नान करके चन्द्रमा की रौशनी में बैठने से जातक का चन्द्रमा अच्छे फल देने लगता है!
Q. साल 2025 में पूर्णिमा की तिथि कब है?
An. साल 2025 में, पूर्णिमा की तिथि दिनांक, 12 फरवरी दिन बुधवार को आएगी, जिसका शुभ समय 11 फरवरी, शाम 06:55 बजे से 12 फरवरी, शाम 07:22 बजे तक रहेगा!