Dhanteras and Bhai Dhuj – धनतेरस व भाई दूज 2024 !
हिंदू धर्म में, दीपावली का शुभ और पवित्र पर्व 5 दिन का महापर्व होता है, जो धनतेरस से आरंभ होता है और भाई दूज को समाप्त होता है। प्रति वर्ष धनतेरस का पर्व कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर मनाया जाता है। धनतेरस के शुभ दिन पर आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति के जनक भगवान धन्वंतरि के साथ माता लक्ष्मी और कुबेर देवता की पूजा का विधान है! धनतेरस के अगले दिन छोटी दिवाली का पर्व मनाया जाता है। जिसे हम, ‘नरक चतुर्दशी’ भी कहते हैं!
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, भगवान धन्वंतरि की पूजा और उपासना करने से स्वस्थ शरीर के साथ रोगों से मुक्ति मिलती है! जो जातक को ऊर्जावान बने रहने में सहायक है। इस साल 2024 में धनतेरस की तिथि को लेकर बहुत सी भ्रांतियां और असमंजस की स्थिति बनी हुई है! जहाँ कुछ लोगों का कहना है कि धनतेरस का पर्व 29 अक्टूबर को मनाया जाएगा तो कहीं 30 अक्टूबर को यह पर्व मनाए जाने बात कही जा रही है! तो आइए आज ‘मंगल भवन’ के इस लेख में हम आपको धनतेरस की सटीक तिथि के बारे में तो बताएँगे ही साथ ही, इस शुभ दिन के महत्व और भाई दूज के पर्व के बारे में भी जानकारी देंगे… आगे लेख में पढ़े-
धनतेरस और भाई दूज 2024- क्या है सही तिथि?
- धनतेरस की शुभ तिथि
त्रयोदशी तिथि का प्रारम्भ –
29 अक्टूबर, सुबह 10 बजकर 31 मिनट से
त्रयोदशी तिथि का समापन-
30 अक्टूबर, दोपहर 1 बजकर 15 मिनट तक
धनतेरस का शुभ पर्व मंगलवार के दिन 29 अक्टूबर 2024 को मनाया जाएगा।
- धनतेरस की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, धनतेरस की पूजा के शुभ मुहूर्त 29 अक्टूबर को गोधूलि समय की शाम 6 बजकर 31 मिनट से शुरू होकर रात 8 बजकर 31 मिनट तक रहेगा। यानी भगवान धन्वन्तरि की पूजा के लिए आपको 1 घंटा 42 मिनट का समय प्राप्त है।
- धनतेरस की खरीदी हेतु शुभ मुहूर्त
पहला खरीदारी का मुहूर्त –
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस वर्ष धनतेरस के शुभ दिन पर ‘त्रिपुष्कर योग’ बन रहा है, हमारे ‘मंगल भवन’ के वरिष्ट आचार्यों के अनुसार, इस योग में खरीदारी करना बहुत शुभ होता है। गणना के अनुसार यह योग सुबह 6 बजकर 31 मिनट से प्रारंभ होकर अगले दिन 10 बजकर 31 मिनट तक रहेगा। इस योग में खरीदी हुई वस्तुओं में तीन गुणा वृद्धि होती है।
दूसरा शुभ मुहूर्त
इसके अलावा, धनतेरस के दिन अभिजीत मुहूर्त भी है जिसमें यदि खरीदारी की जाए तो शुभ फल की प्राप्ति होती है। तो आप 29 अक्टूबर के दिन सुबह 11 बजकर 42 मिनट से दोपहर 12 बजकर 27 मिनट के बीच खरीदी कर सकते हैं।
- भाई दूज के पर्व की शुभ तिथि
भाई दूज का शुभ पर्व 3 नवंबर , रविवार के दिन मनाया जाएगा!
हिन्दू धर्म में, भाई दूज का पर्व शुक्ल पक्ष के दूसरे चंद्र दिवस पर मनाया जाता है । जिसे हम सभी इसे ‘ भाई फोंटा ‘,’ भाई टीका’ , ‘ भाऊ बीज ‘ और ‘यम द्वितीया ‘ के नाम से भी जानते है।
धनतेरस की पूजा विधि
दीपावली के महापर्व की पूजा विधि इस प्रकार है-
संध्या के समय मुख्य द्वार और आंगन में दीपक जलाएं क्योंकि इस दिन से दीपावली के शुभ पर्व की शुरुआत होती है।
धनतेरस के दिन प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत होकर अपने घर के मंदिर में जाएं और अपने बाएं हाथ में जल भरकर खुद पर और अपने आसपास पर छिड़क कर स्थान को पवित्र करें।
इसके बाद उत्तर दिशा की तरफ लकड़ी की एक चौकी रख कर उस पर लाल कपड़ा बिछा लें।
उस स्थान को गंगाजल का छिड़काव कर पवित्र करें और उस पर भगवान धन्वंतरि और कुबेर देव की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
आप चाहे तो, कुबेर देव के साथ आप भगवान गणेश, माता लक्ष्मी की प्रतिमा भी स्थापित कर सकते हैं।
अब, सभी देवी-देवताओं का विधिवत पूजन कर, उन्हें मौली, रोली कुमकुम, अक्षत, पान का पत्ता, मिठाई, फल, फूल आदि चीजें भी अर्पित करें। कुबेर देव के सम्मुख आप चांदी का सिक्का और नारियल भी अवश्य करें।
इसके बाद भगवान धन्वंतरि और लक्ष्मी चालीसा का पाठ कर घी का दीपक जलाएं और कपूर से आरती करें।
पूजा के बाद प्रसाद को सभी परिवार के जातक में वितरित करें और रात्रि जागरण भी करें।
धार्मिक महत्व- धनतेरस का पर्व
पौराणिक और धार्मिक मान्यताओं में, धनतेरस यानी कार्तिक मास की त्रयोदशी तिथि के दिन समुद्र मंथन के दौरान भगवान धन्वंतरि अमृत कलश हाथ में लेकर प्रकट हुए थे। इसलिए इस तिथि को धनतेरस या धनत्रयोदशी तिथि के नाम से जाना जाता है। भगवान धन्वंतरि को भगवान विष्णु का ही अंशावतार माना जाता है। धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि के साथ, धन की देवी माता लक्ष्मी, धन के देवता कुबेर और मृत्यु के देवता भगवान यमराज की पूजा का विधान है। इसके साथ ही, भगवान धन्वंतरि जब समुद्र मंथन से प्रकट हुए थे, तब उनके हाथ में अमृत कलश लिए हुए थे जिस कारण धनतेरस के दिन बर्तन या किसी भी वस्तु को खरीदना शुभ मन जाता है।
कई जातक धनतेरस के दिन सोना, चांदी, बर्तन, झाड़ू, धनिया आदि चीजे खरीदते हैं। मान्यता है कि धनतेरस के दिन इन वस्तुओं की खरीदारी करने से उनमें 13 गुणा वृद्धि होती है। साथ ही,किसी वाहन, जमीन व प्रॉपर्टी आदि का कार्य करना भी बहुत शुभ होता है। इसके अलावा, धनतेरस के दो शब्द, पहला धन और दूसरा तेरस, जिसका अर्थ है कि धन का तेरह गुणा होना। साथ ही, भगवान धन्वंतरि के प्रकट होने के कारण यह शुभ दिन वैद्य समाज में धन्वंतरि जयंती के रूप में मनाता है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, धनतेरस की पूजा प्रदोष काल में की जाती है, इस दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा उपासना करने के साथ-साथ दीपदान का विशेष महत्व है। मुख्य द्वार पर, छत, नल के पास दीपक लगाए जाते है। साथ ही, घर के बाहर भी दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके यम का दीपक जलाया जाता है। मान्यता है कि, यह दीपक भगवान यमराज के लिए जलाया जाता है; ऐसा करने से अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है।
भाई दूज के पर्व का महत्व
दीपावली के महापर्व को पूरे देश में बहुत ही धूमधाम और हर्षो उल्लास के साथ से मनाया जाता है। दीपावली के अंतिम दिन भाई दूज का पर मनाते हैं! इस वर्ष यह त्यौहार 3 नवंबर, रविवार को मनाया जाएगा। ‘भाई दूज ‘ का उत्सव रक्षाबंधन के पावन पर्व के समान ही मनाया जाता है! जिसमें, बहनें अपने भाइयों को तिलक कर उनके उज्जवल भविष्य की कामना करती हैं! साथ ही, भाइयों को भोजन के लिए आमंत्रित करती हैं। यह पर्व पर भाई के द्वारा अपनी बहन को किसी भी तरह के खतरे से उनकी रक्षा की प्रतिज्ञा को दर्शाता है।
हिन्दू धर्म में, भाई दूज का त्यौहार पूरे देश में बहुत ही, पारंपरिक तरीके से मनाया जाता है। इस अवसर पर बहनें अपने भाइयों के लिए चावल के आटे से आसन बनाती हैं। उस आसन पर भाइयों को बैठकर धार्मिक रूप से उन्हें हल्दी, कुमकुम का तिलक करती है। इसके बाद बहन के द्वारा भाई की हथेली में कद्दू का फूल, पान, सुपारी और कुछ सिक्के रखती है। इसके बाद भाई की कलाई पर कलावा बांधा जाता है और उनकी आरती उतारी जाती है। भाई भी अपनी बहन के पैर छूकर आशीर्वाद लेते हैं और उन्हें कुछ भेट या उपहार देते हैं।
अन्य राज्यों में भाई दूज का पर्व कैसे मनाया जाता है?
प्रत्येक त्योहार का अपना एक अलग महत्व होता है! ठीक वैसे ही, पर्वों को मनाने का तरीका भी विभिन्न स्थानों के अनुरूप भिन्न-भिन्न होता है- यह देखते हुए कि पूरे देश में भाई दूज के उत्सव को भी कुछ अलग-अलग रूप में मनाया जाता है। आइए जानें, देश के कुछ अन्य राज्यों में इस त्यौहार को कैसे मनाते हैं…
- महाराष्ट्र में- भाई दूज
महाराष्ट्र में, इस त्यौहार को ‘ भाव बीज ‘ के नाम से जाना जाता है। इस दिन पर महाराष्ट्र में, भाइयों को फर्श पर बैठाया जाता है जहाँ बहनें एक चौक बनाती हैं और करीथ नामक एक कड़वा फल खाती हैं। इसके बाद, बहनें अपने भाइयों के माथे पर तिलक करती हैं और उनके उज्जवल भविष्य की कामना के साथ उनकी आरती उतारती हैं।
- पश्चिम बंगाल में – भाई दूज
पश्चिम बंगाल में इस पर्व को ‘ भाई फोंटा ‘ के नाम से जाना जाता है। पश्चिम बंगाल में इस पर्व में कई तरह की रस्में होती हैं। इस दिन बहनें व्रत रखती हैं जब तक कि रस्म पूरी न हो जाए! इसके बाद भाइयों के माथे पर चंदन, काजल और घी का तिलक लगाती हैं और फिर उनकी सलामती की प्रार्थना करती हैं।
- बिहार में – भाई दूज
बिहार में भाई दूज का उत्सव बहुत की अलग रूप में मनाते हैं, बिहार में, इस दिन बहनें अपने भाइयों को गालियां देती हैं और फिर दंड के रूप में उनकी जीभ काट कर माफ़ी मांगती हैं। इसके बाद बदले में भाई उन्हें आशीर्वाद और कुछ उपहार या भेंट देते हैं।
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FAQS\ अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
Q. साल 2024 में, धनतेरस और दीवाली का पर्व कब मनाया जाएगा?
An. साल 2024 में, धनतेरस का शुभ पर्व मंगलवार के दिन 29 अक्टूबर 2024 को मनाया जाएगा।
Q. साल 2024 में, भाई-दूज के पर्व की सही तिथि क्या है?
An. साल 2024 में, भाई दूज का शुभ पर्व 3 नवंबर , रविवार के दिन मनाया जाएगा! हिन्दू धर्म में, भाई दूज का पर्व शुक्ल पक्ष के दूसरे चंद्र दिवस पर मनाया जाता है । जिसे हम सभी इसे ‘ भाई फोंटा ‘,’ भाई टीका’ ,’ भाऊ बीज ‘ और ‘यम द्वितीया ‘ के नाम से भी जानते है।
Q. धनतेरस के दिन खरीदी के लिए शुभ मुहूर्त कौन सा है?
An. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस वर्ष धनतेरस के शुभ दिन पर ‘त्रिपुष्कर योग’ बन रहा है, हमारे ‘मंगल भवन’ के वरिष्ट आचार्यों के अनुसार, इस योग में खरीदारी करना बहुत शुभ होता है। गणना के अनुसार यह योग सुबह 6 बजकर 31 मिनट से प्रारंभ होकर अगले दिन 10 बजकर 31 मिनट तक रहेगा। इस योग में खरीदी हुई वस्तुओं में तीन गुणा वृद्धि होती है।
Q.धनतेरस के शुभ दिन कौन-कौन से देवताओं का पूजन करने का विधान हैं?
An. धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि के साथ, धन की देवी माता लक्ष्मी, धन के देवता कुबेर और मृत्यु के देवता भगवान यमराज की पूजा का विधान है। इसके साथ ही, भगवान धन्वंतरि जब समुद्र मंथन से प्रकट हुए थे, तब उनके हाथ में अमृत कलश लिए हुए थे जिस कारण धनतेरस के दिन बर्तन या किसी भी वस्तु को खरीदना शुभ मन जाता है।